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दुख

उड़ना तुझे अकेला है …

दुख प्राकृतिक नहीं होता है और ना ही स्थायी होता है। यह जीवन में आता जाता रहता है। दुख एक मानसिक अवस्था है जो मानव द्वारा स्वयं निर्मित होता है। यह शब्द साधारण मानव के मन को सर्वाधिक पीड़ित करता है। दुख एक ऐसा मनोभाव है जिसका मन और शरीर पर विपरीत असर पड़ता है।