Adhyatmpedia

Recent Post

करो या मरो का जो मंत्र है, मानसिक एवम् आत्मिक दोनो स्वरुपों में महत्वपूर्ण है। एक स्वरुप को समझो तो भौतिक सुख प्राप्त करना संभव हो सकता है। और दुसरा स्वरूप मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

दिल जलता है अपने माशुका के लिए, जिसका वह आशिक है। वह जलेगा तभी आहुति लेगा। तभी उसकी तड़प मिटेगी, और समस्त दुखों से मुक्ति मिलेगी।

मैं कौन हूं? खुद को संबोधित करने के लिए ‘मैं’ का प्रयोग किया जाता है। सामान्यतः ‘मैं’ का भाव मन का विषय …