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सफर और वंदगी दो अलग-अलग शब्द हैं, जो भिन्न अर्थों को दर्शाते
मन का आपा खोय – इस ऊक्ति का आशय है मन को
आप भला तो जग भला! इस पद का का अर्थ है, अपने
लोग क्या कहेंगे..! भाई, अच्छा या बुरा कुछ तो लोग कहेंगे ही!
असतो मा सद्गमय – उपनिषद का यह मंत्र जीवन में प्रगति के
ईश्वर सत्य है , सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है!
ऐसी वाणी बोलिये मन का आपा खोय। औरन को शीतल करै आपहूं
भावना क्या है ? यह मनोभाव है, मन में उत्पन्न होने वाले
आप भला तो जग भला! इस पद का का अर्थ है, अपने
देनहार कोऊ और है! अर्थात् देनेवाला कोई और है, हम अगर किसी
‘सकली तुमारी इच्छा’ यह बंगला भाषा के एक वाक्यांश ‘সকলি তোমারি ইচ্ছা’
हमारे जीवन में अनेक कार्य ऐसे होते हैं, जो नियत समय पर ही पूर्ण होते हैं, समय से पूर्व किसी को कुछ भी प्राप्त नहीं होता।
धीरे धीरे रे मना धीरे सबकुछ होय।माली सींचै सौ घड़ा ऋतु आये
पोथी एक संस्कृत शब्द है, अन्य भाषाओं में इसे पुस्तक, किताब, book
प्रेम ना बाड़ी ऊपजै प्रेम ना हाट विकाय। राजा रंक जेही रूचै