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मंजिल का अर्थ

Manjil ka arth

यह जो शब्द है मंजिल, यह गंतव्य को संदर्भित करता है। यह किसी विशेष स्थान, उद्देश्य अथवा लक्ष्य को दर्शाता है। जिस स्थान की ओर जाना हो, वह यात्री का मंजिल होता है। जिस उद्देश्य अथवा लक्ष्य को प्राप्त करना हो, वह कर्ता का मंजिल होता है। इसका प्रयोग कई अर्थों में किया जाता है – जैसे कि यात्रा की मंजिल, शिक्षा की मंजिल, आजिविका एवम् व्यवसायिक मंजिल, जीवन का मंजिल आदि। 

मंजिल का शब्द जीवन के महत्वपूर्ण उद्देश्यों को दर्शाता है, जो व्यक्ति अपने जीवन में प्राप्त करना चाहता है। इसमें विभिन्न मानसिक, व्यक्तिगत अथवा व्यवसायिक उद्देश्य शामिल हो सकते हैं। जैसे कि शिक्षा, कला अथवा संगीत का एक उद्देश्य यह हो सकता है कि आप अपनी रचनात्मकता को व्यक्त करें। और दुसरा की इनके द्वारा आप अपनी व्यक्तिक, सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करें। 

इस प्रकार, मंजिल शब्द कई अर्थों में उपयोग किया जाता है। लेकिन इसका मूल अर्थ एक गंतव्य, उद्देश्य या लक्ष्य को दर्शाना होता है, जो किसी व्यक्ति या समूह द्वारा प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।

मंजिल नज़र आती है दुर
जिसे हम पा सकते नहीं
जो मिले कठिन परिश्रम से
उसे पाना भी आसान नहीं।

कई बार हम पाते हैं,
खुद को पाने की दौड़ में
पर दुर खड़े रह जाते हैं
पिछड़ जाते हैं प्रयत्न में।

लगता है वक्त इसे पाने में,
और रखना पड़ता है धैर्य भी
पर मंज़िल हमेशा मिलती नहीं
दुर रह जाता है कभी कभी।

पर छोड़ना नहीं कभी प्रयत्न को
अपनी मंजिल को पाने की
अगर लक्ष्य कोई ठान लिया तो
प्रयत्न हो हमेशा इसे साधने की।

रहो हमेशा मंजिल की तलाश में
जीवन के हर मोड़ पर
प्रयत्न तुम्हारा सफल होगा
वांक्षित लक्ष्य को पाकर

अगर कहीं जाने की, कुछ पाने की सोच ही न हो, जीव़न में अगर लक्ष्य ही न हो, तो फिर सब व्यर्थ है। लक्ष्यहीन जीवन व्यर्थ हो जाता है। लक्ष्यहीनता जीवन में एक बहुत बड़ी कमी को दर्शाती है। और हमें अपने असली पहचान से दूर होना पड़ता है।

लेकिन जब हम किसी लक्ष्य का निर्धारण कर, उसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं। और अपने प्रयासों में सफल हो जाते हैं, तो अपने आप को सुखी महसूस करते हैं। जब हम किसी लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं। तो यह अवस्था हमें पूर्व की स्थिति से अधिक ऊंचाई तक ले जाती है। जहां हमें एक नई पहचान और एक नया दृष्टिकोण प्राप्त होता है। अतः लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिए।

अब तक हमने जाना कि मंजिल का संदर्भ किसी गंतव्य, उद्देश्य अथवा लक्ष्य को प्राप्त करने से है। यही इसका मूल अर्थ है। लेकिन वास्तव में मनुष्य के जीवन का अर्थ क्या है? जीवन के मंजिल का मूल अर्थ क्या है? यह जानना जरूरी है। 

हमें अपने विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने, जानकारी प्राप्त करने अथवा मनोरंजन के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाना पड़ता है। अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक एवम् सामाजिक दायित्वों को पूरा करने के लिए कुछ लक्ष्य का निर्धारण करना पड़ता है। इनमें शिक्षा एवम् कौशल को अर्जित कर धनार्जन करना भी शामिल हैं। परन्तु क्या केवल भौतिक उद्देश्यों को प्राप्त करना ही मनुष्य जीवन का उद्देश्य है। मनुष्य के जीवन का जो मंजिल है, वहां तक की यात्रा क्या केवल भौतिक सुखों को पाने के लिए की जानी चाहिए। या फिर मंजिल कहीं और है, जो मनुष्य के जीवन के लक्ष्य को दर्शाता है। 

वास्तव में मनुष्य के जीवन का मंजिल वहां है, जहां वास्तविक सुख है। वास्तविक सुख का आशय है कि जो सुख क्षणिक नहीं होता। जिस स्थान तक एक बार पहुंच गये, और फिर तलाश खत्म हो गई, वही वास्तविक मंजिल है। वहां केवल सुख है, शांति है, प्रसन्नता है। और वास्तव में सबको सुख, शांति एवम् प्रसन्नता का ही तलाश है। पर लोग ढुंढते इसे कहीं और हैं। लोग अपने अपने सुख चैन को सांसारिकता में तलाश करते हैं, जबकि वास्तविक मंजिल आध्यात्मिकता का विषय है।

 

जीवन की धुंधली राहों में,
सुख कहां और चैन कहां
पहूंच भी गए गर मंजिल तक
इन धुंधली राहों पर चलकर
पर मिलता नहीं आराम वहां

अगर चाहिए स्थायी आराम
धवल राह पर चलना होगा
छोड़ सांसारिक मोह माया को
अध्यात्म के राह पर चलना होगा

दुर नहीं है सुख का मंजिल
चैन और खुशी की मंजिल
यह हमेशा सबके करीब हैं
जो समझा उसने खोज लिया,
और लक्ष्य तक पहूंच गया

आध्यात्मिकता का सफर है ये,
जो राह नई दिखालाता हैं
सभी उलझनों को सुलझा कर
सफलता तक पहुंचाता हैं,
जीवन को समृद्ध बनाता हैं।

अगर वह लक्ष्य प्राप्त करना हो, जहां केवल आनंद ही आनंद है, तो इसे बाहर नहीं, भीतर तलाश करना होगा। खुद के भीतर, स्वयं के भीतर झांककर स्वयं को खोजना होगा। मनुष्य का मंजिल उसके भीतर निहित है, और यह है उसकी अंतरात्मा। यह असीम ऊर्जा का अंश है, ज्ञान के प्रकाश से आलोकित है। 

आध्यात्मिक पुरुष
सदा शान्ति के आदर्श हैं,
सीख मिलती है सभी को
जिनकी करनी और कथनी से
जो जगमगाते हैं सभी को
अपनी आभा की ज्योति से

है अनंत शान्ति का वास
आत्मा से परिचित होते हैं
हमेशा तृप्त रहता हैं मन
जो वस्तुओं में लगता नहीं
वो सत्य का मार्ग दिखाते हैं
उनके वचन भी सबको भाते हैं
पर समझ विरले ही पाते हैं।

जीवन का लक्ष्य जहां है, वहां तक पहुंच पाना अत्यंत कठिन है, पर असंभव भी नहीं है। अपने प्रयासों से जिसने इस तथ्य को जान लिया, वह अलबेला है, निराला है। संसार में अनेक ऐसे महापुरुषों का अवतरण हुआ है, जिन्होंने खुद को जाना है। और अपनी मंजिल को पाया है।

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