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बच्चे मन के सच्चे — Bachche Man Ke Sachche

आज के बच्चे कल के पिता हैं !

बच्चे बहुत प्यारे होते हैं। नटखट होते हैं, पर उनका मन बिल्कुल साफ होता है। इनका मन खाली बर्तन के समान होता है। खाली बर्तनों में जो चाहो भर दो, वैसे ही होता है बच्चों का मन। क्या अच्छा है और क्या बुरा उन्हें इसका ज्ञान नहीं होता। वो तो सांप को भी रस्सी समझकर पकड़ लेते हैं। 

प्रत्येक परिवार के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं ये नन्हें परिन्दे। विना इनके परिवार की कल्पना नहीं की जा सकती। इनका देखभाल बहुत अच्छे ठंग से होनी चाहिए।

खुद रुठे, खुद मान जाये, फिर हमजोली बन जाये। झगड़ा जिसके साथ करें, अगले ही पल फिर बात करें। इनकी किसी से बैर नहीं, इनके लिये कोई ग़ैर नहीं। इनका भोलापन मिलता है,सबको बाँह पसारे..! बच्चे मन के सच्चे..!

हर माता-पिता/अभिभावक यही चाहते हैं कि उनके बच्चे हमेशा खुश रहें। जाहिर हैं खुश रहने वाले बालक अधिक अच्छे लगते हैं। सवाल यह है कि आप अपने बच्चे की खुशी के लिए क्या करते हैं? माता-पिता बालकों के जरुरतों को पूरा करने  के लिए रात-दिन काम करते है, जिस वजह से उनको ज्यादा समय नहीं दे पाते। फलस्वरुप बच्चे उनसे दूर होते चले जाते हैं और अवसाद के शिकार हो जाते हैं।अगर आप अपने उन्हें खुश रखना चाहते हैं तो इन तरीकों को अपनाएं।

1. तारीफ करें_

आपका बच्चा अगर कोई अच्छा काम करता है तो उसकी तारीफ करें। इससे वो खुश भी होगा और आगे और भी अच्छा काम करेने की कोशिश करेगा। कई पेरेंट्स अपने बच्चों की सामान्य कामों के लिए भी नहीं तारीफ करते हैं। यह अच्छी बात नहीं है। आपकी नजर उसके हर छोटे कामों पर होनी चाहिए। अधिकाश लोग उनकी तारीफ कुछ बड़ा काम करने पर ही करते हैं। उनके हर काम के लिए उनकी तारीफ करें। इससे उसे प्यार और वास्तविकता के बीच अंतर को समझने में मदद मिलती है। उसकी तारीफ़ करने पर ही उसके चेहरे पर खुशी आती है।

2. बच्चों के साथ खेलें_

काम में व्यस्त होने के कारण पेरेंट्स बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते। ऐसे में जब भी आपको काम से फुर्सत मिले अपने बच्चों के साथ समय बिताएं। इससे बच्चे आपके करीब आएंगे। बच्चों को बहुत छोटी-छोटी चीजों की जरूर होती है  जैसे- खाना, खेलना, किस करना और गले लगाना। अगर आप ऐसा करते रहते हैं, तो बच्चा भी खुश रहेगा. पेरेंट्स होने के नाते केवल टॉयज खरीद लेना ही काफी नहीं है बल्कि आप बच्चे के साथ खेले भी। बच्चा उस समय बहुत खुश होता है, जब पेरेंट्स उसके खेल में दिलचस्पी लेते हैं।

3. खुद खुश रहें_

कई लोग बाहर का टेंशन घर पर ले आते है। इससे घर का माहौल खराब होता है। इसलिए बाहर का गुस्सा और तनाव घर पर न लाएं। जब भी घर आएं खुश होकर ही आएं। आपके चेहरे की खुशी उनको भी खुश कर देगी। घर के अन्य लोग भी खुश रहेंगे। बेशक काम, चिंता और तनाव की वजह से कई बार आपको उदासीनता का सामना करना पड़ता है लेकिन पेरेंट्स होने के नाते आपकी खुशी ही बच्चे के लिए सबसे बड़ी खुशी है। उसे यह जाहिर ना होने दें कि हमेशा खुश नहीं रहा जा सकता है। इसलिए अपनी भावनाओं को उजागर ना होने दें और बच्चे को सिखाएं कि कोई भी बात हो हमेशा खुश रहना चाहिए।

4. बच्चों की बातों पर दें ध्यान_

अगर आपका बच्चा आपसे कोई बात करता है तो उसकी बात को ध्यान से सुने और समझें। उनकी जरुरतों को आपसे ज्यादा कोई नहीं जानता इसलिए उनकी बातों पर ध्यान दें। यह आप तभी समझ पाएंगे, जब आप उसका ध्यान रखेंगे। हर बच्चे की सीखने की क्षमता और जरूरत अलग होती है। लेकिन यह आपकी जिम्मेदारी है है कि आप उसकी जरूरत को समझ पाते हैं या नहीं। बच्चे को खुश रखने के लिए उसका पूरा ध्यान रखें। यानि उसके उन सभी कामों पर नजर रखें जिससे उसे खुशी मिलती है

5. आभार व्यक्त करें_

बच्चों को सिखाएं कि अगर कोई आपकी मदद करता है तो उसे धन्यवाद जरुर करें। किसी का आभार जताने की भावना आपको खुश और संतुष्ट होने से ही आती है। जब आप छोटी-छोटी चीजों के लिए आभार जताने लगेंगे तो आप खुश रहने लगेंगे। आप अपने बच्चे के साथ खाने, हवा, पानी, टॉयज, आरामदायक घर और अन्य चीजों के लिए ईश्वर को थैंक्स कहें। बच्चे को यह सिखाएं कि इन छोटी-छोटी चीजों से ही उनका जीवन आरामदायक बनता है और इनके लिए परमात्मा को धन्यवाद कहना चाहिए।

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बड़ो को बच्चों के साथ हमेंशा मर्यादित आचरण करना चाहिए। बच्चों का प्रारंभिक शिक्षा उसके परिवार से ही मिलता है। आप उनके साथ जैसा व्यवहार करेंगे, जिस प्रकार उनका देखभाल करेंगे, उनमें वैसे ही संस्कारों का निर्माण होता जायगा। धीरे-धीरे वो बड़े होने लगते हैं और बड़ो से देख-सुनकर ही सब सीखते चले जाते हैं। ध्यान रहे; आज का बच्चा कल का पिता होता है।

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