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सफलता और विफलता — Success and Failure

सफलता और विफलता कर्ता का मनोभाव है, जो उसके इच्छाओं, कामनाओं से उत्पन्न होती है। सफलता या कामयाबी से आशय है सफल होने का भाव। यह सफल शब्द का विशेषण है। सफल यानि फल से युक्त, कामना से युक्त। व्यक्ति की कामयाबी उसकी इच्छाओं के पुर्ण होने की स्थिति है। जब व्यक्ति अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए कार्य करता है और उसे इच्छित् फल की प्राप्ति हो जाती है, तो उसे सुख प्राप्त होता है।

विफलता या नाकामयाबी असफलताओं होने का भाव है। यह इच्छित वस्तुओं अथवा उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो पाने की स्थिति है। असफलता हमेंशा पीड़ादायक होती है। जब व्यक्ति अपनी इच्छाओं की पुर्ण कर पाने में असमर्थ होता है, तो वह निराश हो जाता है।

सफलता और विफलता का अर्थ !

‘सफलता और विफलता, ये केवल शब्द मात्र हैं। कुछ प्राप्त हो जाय तो आपकी जीत नहीं है और कुछ खो जाय तो हार नहीं है। ये केवल कुछ समय के लिए आती है और दोनों ही हमें कुछ सिखाकर जाती है| अगर कामयाबी हमें सिखाती है कि कठिन परिश्रम का फल मीठा होता है तो नाकामयाबी हमें कमज़ोरियों को समझने में मदद करती है।

अभीष्ट फल की प्राप्ति हो अथवा ना हो, ज्ञानी पुरुष उसके लिए शोक नहीं करता __वेद व्यास

हार और जीत का फलसफा है ये जिंदगी ..!

सफलता सभी को अच्छी लगती है और विफलता बुरी। प्रत्येक कार्य का कोई ना कोई परिणाम अवश्य होता है, अगर आपके इच्छानुसार हो तो अच्छा और ना हो तो बुरा। कर्म पर आपका अधिकार हो सकता है, उसके परिणाम पर नहीं। असफलता हमें डराती है, ऐसा हमारे सोच के कारण, समझ के कारण होता है। सफलता के मार्ग में विफल होने की संभावना बनी रहती है। 

जब आप शहद के तलाश में जाते हैं तो मधुमक्खियों द्वारा काटे जाने की संभावना को स्वीकार करनी चाहिए।

सफलता निश्चित ही मुश्किल है।  कई बार सफल व्यक्ति भी कामयाबी के मार्ग में नाकामयाब हो जाता है। परन्तु वे इस अवस्था से उत्पन्न अपने मनोभावों पर नियन्त्रण कर लेते हैं। वे अपनी गलतियों पर विचार करते हैं। अपनी नाकामयाबी से सीख लेकर वे उन गलतियों की पुनरावृत्ति नहीं होने देते। असफलता उन्हें सीखाती है कि उन्हेंं कार्य करने के तरीके में क्या बदलाव करना चाहिए। 

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

घोड़े की सवारी करना कठिन है। अगर हमें सवारी की इच्छा हो तो इसके लिए प्रयास करना ही होगा। घुड़सवारी करने से सुख अवश्य मिलता है, परन्तु गिरने और चोटिल होने की संभावना भी बनी रहती है। जो घुड़सवार दोनोें ही स्थितियों के लिए खुद को तैयार कर लेता है। चोट पर चोट खाने के वावजुद वह घुड़सवारी करना नहीं छोड़ता। धीरे-धीरे वह इसमें कुशल हो जाता है। असफलता के आगे झुकने के बजाय उसके सामने डटकर खड़े होने वाले ही जीतते हैं। हार न मानने वालों और निरंतर प्रयास करते रहने वालों को ही कामयाबी मिलती है।

जीवन में संतुलन का होना जरूरी है !

हमसे जो कार्य होते हैं, उसका कोई ना कोई उद्देश्य होता है। और अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ही हम किसी कार्य को कर रहे होते हैं। हम उद्देश्य को प्राप्त करने में विफल भी हो सकते हैं। हम इस अवस्था के लिए खुद को तैयार नहीं कर पाते। यही कारण है कि विफलता हमें डराती है और हम निराश होकर कार्य करने से घबराने लगते हैं। सफलता सभी को चाहिए, परन्तु विडम्बना यह है कि लोग अपनी जरुरतों को हासिल करने के लिए ज़िन्दगी को संतुलित नहीं कर पाते।

जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है, वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिए। मन का दुख मिट जाने पर शरीर का दुख मिट जाता है।

अपने अनुभव से सीख लेकर आगे बढ़ें !

यदि आप अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में विफल रहते हैं तो अपने कार्य करने के तरीके को बदलें, अपने उद्देश्य को नहीं। फिर चाहे वो अध्ययन के क्षेत्र में हो, व्यवसाय के क्षेत्र में हो अथवा किसी और क्षेत्र में हो। कामयाबी हमेशा क्रिया से जुड़ी होती है। सफल लोग निरन्तर आगे बढ़ते रहते हैं। उनसे भी गलतियां होती हैं, पर वे अपनी गलतियों से सीखते हैं। वे अपने कर्म और कर्त्तव्य से कभी विमुख नहीं होते। 

जैसे तेल के समाप्त होने पर दीपक बुझ जाता है, ठीक उसी प्रकार कर्म के क्षीण हो जाने पर देह भी नष्ट हो जाता है!

विफलता की स्थिति में, इससे सीखने के बजाय हम निराश हो जाते हैं। इसी प्रकार सफलता की स्थिति में हम अत्यधिक उत्साह से भर जाते हैं। दोनों ही स्थितियों में हमारी प्रतिक्रियाएं इतनी अधिक होती है कि हम स्वयं के विकास को रोक देते हैं। ऐसा जीवन व्यर्थ है जिसमें कुछ सीखा ना जाय और कुछ किया ना जाय। विफल होने के डर से कर्म से विमुख होना सर्वथा अनुचित है। 

चुनौतियों को स्वीकार करना सीखें!

मनुष्य अपने विचारों से, अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वो विचार करता है, जैसा वो विश्वास करता है, वैसा ही बन जाता है। नकारात्मकता विचार मनुष्य के जीवन को बर्बाद कर देता है। सकारात्मक विचारों का प्रवाह जीवन को उन्नति की ओर ले जाता है। जीवन में जिन विचारों को अपनाने से आपका जीवन सरल हो, उन विचारों को अपनाना चाहिए। सफल लोग सकारात्मक विचारों पर ही ध्यान केन्द्रित करते हैं। जिन्दगी हर मोड़ पर परीक्षा लेती रहेगी, गर आपने अपने भीतर नकारात्मकता का प्रवाह होने दिया तो आपका पतन निश्चित है। कोई भी सफल होकर जन्म नहीं लेता, हर किसी को सफलता हासिल करनी पड़ती है। अगर आप सफल होना चाहते हैं तो चुनौतियों को स्वीकार कर उनका सामना करना ही पड़ेगा।

स्वयं को प्रोत्साहित करते रहें।

अगर आपको लगातार असफलता का सामना करना पड़ रहा हो, तो निराश ना हों। संसार में कई ऐसे लोगो ने जो सफल होने से पूर्व अनेक असफलताओं का सामना किया है। जो लोग सफल माने जाते हैं, वे क्या करते होंगे, यह जानने का प्रयास करें। आपके खुद के जान-पहचान में बहुत से सफल लोग मिल जाएंगे। संसार में अनेक सफल लोगों के उदाहरण भरे हुए हैं, उनके विचारों पर गौर करें। जो लोग जीवन में असफल हुवे हैं, उनके अनुभवों से सीखें।

किसी मौके पर अब्राहम लिंकन से किसी व्यक्ति ने पूछा कि आपकी कामयाबी का राज क्या है? लिंकन ने कहा; मैं हर रोज अनेकों असफल लोगों से मिलता था। और उनके नाकामयाबी के कारणों को जानने का प्रयास करता। जान जाने के पश्चात उन गलतियों को स्वयं नहीं करने की ठान लेता। वैसा करते करते मैं परिपक्व हो गया। यही मेंरे सफलता का राज है।

प्रार्थना से ऊर्जा मिलती है!

सफलता के लिए पांच बातों की आवश्यकता होती है। सबसे पहले उस व्यक्ति का आशय जो उसे कर रहा है। क्योंकि हर व्यक्ति का विश्वास उसके प्रकृति के अनुसार होता है, और उसी के अनुसार वह अपने कार्य का चुनाव करता है। फिर उन साधनों की उपलब्धता जिससे वह कार्य होगा। तीसरी बात उस कार्य को करने का मनोभाव और उसे सम्पन्न करने की इच्छा। फिर उस कार्य को करने का समय, क्योंकि प्रत्येक कार्य को करने का एक निर्धारित समय होता है। और यदि उसे सही समय पर ना किया जाए, तो वह कार्य व्यर्थ हो जाता है। इस बात को समझना होगा कि समय कितना महत्त्वपूर्ण है और उसके बाद दैविक कृपा जरुरी है। कार्य करने वाले के जीवन में प्रार्थना का होना अत्यंत आवश्यक है। ___रविशंकर

प्रार्थना से मन शान्त होता है, शान्त और स्थिर मन में विवेक का प्रादुर्भाव होता है। विवेक से निर्णय लेने और कार्य क्षमता में वृद्धि होती है। जीवन में अगर प्रार्थना हो, तो आप विपरीत परिस्थितियों का सामना कर पाने में सक्षम हो जाते हैं। विकट स्थितियों मे सहनशक्ति, धैर्य, विवेक और आत्मविश्वास का होना जरूरी है। प्रार्थना से आपमें इन सकारात्मक गुणों का विकास होता रहेगा।