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सुमति है तो सम्पति है —

जहां सुमति तहां सम्पति नाना ! सुमति और कुमति एक दुसरे के विलोम शब्द हैं। सुमति का आशय सद्बुद्धि से है, सद्भभाव से है।। सुमति अर्थात् अच्छे विचारों से युक्त, यह ऐसी बुद्धि है जो विवेक को धारण करता है। यह  ऐसी मान्सिक स्थिति है जो किसी व्यक्ति को अच्छे कर्म, अच्छे व्यवहार करने के …

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एकला चलो रे — Ekla Chalo Re

यदि तोर डाक सुने केऊ ना आसे तोबे एकला चलो रे ! इस कालजयी, मनोरम गीत ‘एकला चलो रे’ का आशय है, कि जीवन पथ पर आगे बढ़ने के लिए किसी का साथ ना मिले तब भी आगे बढ़ते रहना है। अपने मंजिल की ओर हर किसी को हरेक परिस्थितियों से लड़ते हुए, राह में …

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निंदक नियरे राखिए — Critics Should Be Around

निंदक आपके शुभचिंतक हो सकते हैं। कबीरदास जी कहते हैं कि ‘निंदक नियरे राखिये’ अर्थात् जो आपका निंदा करता हो, उसे अपने आसपास रखें। क्योंकि जो निंदक होते हैं वो हमेशा आपकी कमियों को, आपके अवगुणों को दर्शाते रहते हैं।

जीवन में दुख क्यों है —

मनिषियों की अगर सुने तो उनका कहना है, कि जीवन में आनंद ही आनंद है। आनंद के सिवा कुछ भी नहीं है। ऋषियों के कहे वचनों को असत्य नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर ही ऐसा कहा है। परन्तु साधारण मनुष्य को ऐसा लगता है कि जीवन में दुख ही दुख …

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उड़ना तुझे अकेला है …

दुख प्राकृतिक नहीं होता है और ना ही स्थायी होता है। यह जीवन में आता जाता रहता है। दुख एक मानसिक अवस्था है जो मानव द्वारा स्वयं निर्मित होता है। यह शब्द साधारण मानव के मन को सर्वाधिक पीड़ित करता है। दुख एक ऐसा मनोभाव है जिसका मन और शरीर पर विपरीत असर पड़ता है।