धीरे धीरे रे मना धीरे सबकुछ होय।
माली सींचै सौ घड़ा ऋतु आये फल होय।।
धैर्य और समय इन दो त्तत्वों का महत्व जीवन में सर्वाधिक है। संत कबीर ने इसी बात को इंगित किया है। कबीर कहते हैं, कि सब काम धीरे-धीरे और समय आने पर ही संपन्न होता है। समय आने पर ही पेड़ में फल फूल लगते हैं। अतिरिक्त प्रयास करना निरर्थक होता है। पेड़ की जड़ो को अधीर होकर सींचने से तुरन्त फल नहीं लग जाते। समय आने पर ही वृक्ष में फल लगते हैं। इसलिए फल आने तक धैर्यपूर्वक अपने कार्य में लगे रहना एक कुशल माली का कर्तव्य है। धैर्य और परिश्रम से वह सबकुछ प्राप्त हो सकता है, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी प्राप्त नहीं होता।
आप विलम्ब कर सकते हैं, पर समय विलम्ब नहीं करेगा।_ बेंजामिन फ्रैंकलिन
हर किसी को अपने समय का उपयोग बुद्धिमता पूर्वक करना चाहिए। परन्तु इसके लिए धैर्य का होना अनिवार्य है। अगर किसी व्यक्ति में थोड़ा सा भी धैर्य है तो वह ढेर सारी बुद्धि से अधिक महत्वपूर्ण है।
सामान्य व्यक्ति समय काटने के विषय में सोचता है और महान व्यक्ति यह सोचता है कि इसका उपयोग कैसे करें! _ बेंजामिन फ्रैंकलिन
ज्ञानियों का कहना है कि धैर्य प्रतिभा का अनिवार्य अंग है। जिसके भीतर धैर्य है और जो परिश्रम करने से पीछे नहीं हटता है, समय आने पर उसे सफलता अवश्य मिलती है। अत: बुद्धिमान होने के साथ-साथ धैर्यवान होना जरूरी है।
जिसके पास धैर्य है, उसे उसका फल अवश्य मिलता है। वह जो चाहता है, उसे पा सकता है। _ बेंजामिन फ्रैंकलिन
कर्म पर कर्ता का अधिकार है, परिणाम पर नहीं। (कर्मयोग का रहस्य) परिणाम समय आने पर ही मिलता है। और यह भी जरूरी नहीं कि कर्ता जो चाहे, जितना चाहे, उस मात्रा में परिणाम मिल जाय। समय और परिस्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं होती। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में कभी अच्छे तो कभी बुरे दौर से गुजरना पड़ता है। परन्तु बुद्धिमान व्यक्ति की कार्यकुशलता कठिन समय में ही निखर कर आता है।
धैर्य और समय दो सबसे शक्तिशाली योद्धा हैं। _ लियो टॉलस्टाय
धैर्य रखने का आशय है शांत प्रकृति का होना। जब कोई व्यक्ति शांत और स्थिर होकर समस्याओं का सामना करता है, तो उसके सफल होने की संभावना अधिक होती है। धैर्य के साथ लिए गये निर्णय में कितनी शक्ति होती है, यह स्वामी विवेकानंद के साथ घटी एक घटना से समझा जा सकता है।
धैर्य रखना जरूरी क्यों है – Why it is important to be petient
एक समय की बात है, विवेकानंद को उनके एक ईसाई मित्र ने उन्हें भोजन पर अपने घर आने का आग्रह किया। जब वो उस मित्र के घर गये तो, उसने उन्हें एक कमरे में बैठाया। उस कमरे के एक दराज पर अनेक धार्मिक पुस्तकें रखी हुवी थी। उन पुस्तकों को एक दुसरे के ऊपर रखा गया था। सबसे ऊपर बाइबिल और सबसे नीचे गीता को रखा गया था। शायद उनके मित्र ने जानबूझ पुस्तकों को इस प्रकार से रखा हो। उसकी मंशा विवेकानंद के संयम और विवेक को परखने की रही होगी। इसलिए उसने गीता को सबसे निचले स्तर पर रखा था। वह सोच रहा था कि विवेकानंद इसे देखकर क्रोधित हो सकते हैं। उसने विवेकानंद से कहा कि पुस्तकों को रखने यह तरीका आपको कैसा लगा ? स्वामीजी शांत मन से उन पुस्तकों को देखा और कहा कि नींव वस्तुत: बहुत अच्छी है। उनके मित्र ने इस उत्तर की कल्पना भी नहीं की होगी। विवेकानंद के इस संयत टिप्पणी से वह लज्जित हो उठा।
वही व्यक्ति अपने जीवन में एक घंटा बर्बाद करने का दुस्साहस कर सकता है, जो इसके कीमत को नहीं जानता। _ चार्ल्स डार्विन
सबकुछ व्यक्ति के सोच पर निर्भर करता है। अच्छी सोच, उत्तम विचारों से ही अच्छे जीवन का निर्माण होता है। एक अच्छा विचार एक अच्छे दिन का, एक अच्छा दिन एक अच्छे महीने का, एक अच्छा महीना एक अच्छे वर्ष का, और एक अच्छा वर्ष अच्छे जीवन का निर्माण करता है। नकारात्मक विचारों के कारण मन अशांत हो जाता है। मन के अशांत रहने से कार्यशैली में बुरा प्रभाव पड़ता है। कोई काम सही तरीके से नहीं हो पाता और समय नष्ट होता रहता है। समय अत्यधिक मुल्यवान है, बीता हुवा समय फिर कभी लौटकर नहीं आता है। अत: समय के सदुपयोग के प्रति हमेशा जागरुक रहन आवश्यक है।
एक मिनट विलम्ब करने से अच्छा है कि समय से तीन घंटे पूर्व कार्य कर लिया जाय। _ विलियम शेक्सपियर
‘धीरे-धीरे रे मना’ प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे संम्पन्न होते हैं। और नियत समय पर होते है, इस बात को मन को समझाना जरुरी है।
ओशो के अनुसार ; “समय पर सब होता है। समय पर जन्म, समय पर मृत्यु, समय पर सफलता, समय पर असफलता, समय पर सब होता है। कुछ भी समय से पहले नहीं होता। जो ऐसा मानता है कि विपति और संपति दैवयोग से समय आने पर घटती है, वह सदा संतुष्ट रहता है। जब समय होगा फसल पकेगी काट लेंगे! अशांति तब पैदा होती है, जब हम समय से पहले कुछ मांगने लगते हैं; हम कहते हैं जल्दी हो जाय।”
समय के महत्व की जानकारी ! The Importance of Time.
कल क्या होगा यह किसी को ज्ञात नहीं होता। जीवन एक ऐसी यात्रा है, जिसमें कुछ भी निश्चित नहीं होता। और अगर सबकुछ निश्चित और निर्धारित हो जाय तो धैर्य और समय का महत्व ही नहीं रह जायगा। जो आशावादी है वह यह देखता है कि दो दिनों के बीच एक रात होती है। और निराश व्यक्ति यह सोचता है कि दो रातों के बीच एक दिन आता है। आशाओं का किरण मन में जगाये रखना, और परिणाम की चिंता किये विना धैर्यपूर्वक कर्मे में लगे रहना ही सफल होने का मंत्र है।
धैर्य हर समस्या का हल है। _ प्लेटो
हां कभी ऐसा भी होता है कि कार्य का परिणाम असफलता के रुप में प्रगट होता है। परन्तु असफलता के पीछे भी कुछ छुपा होता है, जो उस वक्त दिखाई नहीं देता। परन्तु धैर्यपूर्वक कार्य में लगे रहने से समय आने पर वह दिख जाता है। धैर्य का आशय है कि हमें जो मिला है, उसे स्वीकार करना और इस आशा के साथ कर्म करना कि जो छुपा हुवा है एक दिन स्वत: सामने प्रगट हो जायगा। कबीर की यह अमृतवाणी को हमेशा याद रखने की आवश्यकता है!
धीरे धीरे रे मना धीरे सबकुछ होय।
माली सींचै सौ घड़ा ऋतु आये फल होय।।