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फितरत का मतलब क्या है — Meaning of Nature

फितरत से कोई अच्छा तो कोई बुरा होता है ! किसी का फितरत उसके सोचने, बोलने और व्यवहार से आंका जाता है। यह व्यक्ति या वस्तु में प्राय: एक जैसा रहने वाला गुण है। बुरे प्रकृति के लोगों में यह कुटिल होने की अवस्था है। वैसे लोग अपने मतलब के लिए गिरगिट के तरह रंग बदलने में माहिर होते हैं।

गुण क्या है जानिए : know what is quality 👈

बुरे सोच का व्यक्ति चालाक, धुर्त और चालबाज होता है। वैसे लोग जैसे होते हैं वैसे दिखते नहीं। वहीं जिनकी फितरत अच्छी हो वे सरल होते हैं। वे खुली किताब के तरह होते हैं और सबका भला चाहने वाले हैं। वे खुद भी खुश रहते हैं और दुसरों को खुश करने की कोशिश में लगे रहते हैं।

हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और !

फितरत

पुराने जमाने की कहावत है – एक लालाजी थे। जिस गांव में वो रहते थे, उस गांव के  लोग उनके फितरत से बहुत परेशान रहते थे। अपना प्रभाव बनाये रखने के लिए लालाजी तरह तरह के हथकंडे अपनाते रहते। नफरत बांटने वालों को प्यार नहीं मिल सकता।

लोग उनसे चिड़े चिड़े रहते, लेकिन सामने कुछ कहते ना थे। समय बीतता गया, लालाजी को गंभीर बीमारी हो गयी। बिमारी ऐसी की लाईलाज, लोगों को पता चला,  खुशी की लरह दौड़ गयी। 

लालाजी दुष्ट प्रकृति के तो थे ही, चतुर भी थे। उन्हें मालुम था कि लोग उनसे नफरत करते हैंं। जिसने सारी जिन्दगी छल कपट, प्रपंच के सहारे बितायी हो, दुसरों को दुख देकर खुशी ढुँढनेवाले को लोगों की खुशी बर्दास्त न हुवी। मरते मरते वे प्रपंच रच गये। उसने ‘हम तो डूबेंगे शनम तुमको भी ले डुबेंगे’, इस जुमले को आजमाने की सोच ली। 

उसने गांव के लोगों को बुलाया, बड़े प्यार से बातें की, लोगों का सारा कर्ज माफ कर दिया। सबसे क्षमा प्रार्थना करते हुवे अपनी अंतिम ईच्छा बतायी। जब कोई मरता हुवा आदमी गिड़गिड़ाने लगे, तो दया का भाव आना स्वाभाविक है। लोग भावना में बह गये।

बदला जो रंग उसने हैरत हुवी मुझे। मौसम को भी मात दे गयी फितरत जनाब की।।

लोगों ने सोचा, अब तो इससे छुटकारा मिल ही रहा है, चलो इसकी अंतिम ईच्छा पुरी किये देते हैं। भोली भाली जनता उनकी बातों में आ गयी, लालाजी पुरे बहुमत से विजयी हुवे, फिर लाला ने जनता को धन्यवाद देते हुवे अपनी अंतिम इच्छा को व्यक्त किया। उसने कहा कि अब मैं मरने वाला हूँ। जब मैं मर जाऊं, मुझे जलाना मत। तुम सभी मिल कर मेंरे मृत शरीर को गांव के मैदान के बीचोबीच एक बड़े डण्डे के सहारे खड़ा कर देना। ठीक उसी प्रकार जैसे खेतों में फसल की रक्षा के लिये तुम पुतले को खड़ा करते हो। फिर वहाँ ईकट्ठा होकर एक दुष्ट के मौत का जश्न मनाना। तुम लोगों के मन को और मेंरे आत्मा को शांति मिल जायगी।

ईधर लोग राजी हुवे, उधर लाला ने अपने एक नमक हलाल को बुलाया। उसे अच्छी तरह से समझा दिया कि जब गांव के लोग ऐसा कर रहे हों, तुम कोतवाल को खबर कर देना। मेंरे द्वारा रचा यह झुठा षडयन्त्र कानून के नजर में साक्ष्य बन जायगा।

कोतवाल समझेगा सभी लोगों ने मिलकर मुझे मारा है। फिर सबों को सजा मिल जायगी। ठीक वैसा ही हुवा और जीवन भर सबको दुख देने वाला लाला मरते मरते भी सबको उलझाकर चला गया। ऐसी थी लाला की फितरत !

फितरत-Nature-of-Human

अच्छे फितरत वाले भीतर से अच्छे होते हैं :

चीन में तीन फकीर हुऐ, वे बड़े अद्भुत थे। लोग उन्हें लाफिंग बुद्धा कहते थे। वे गांव गांव घूमते, चौराहे पर खड़े हो जाते और हँसना शुरू कर देते थे। एक हँसता, दुसरा हँसता, तीसरा हँसता और उनकी हँसी एक दुसरे की हँसी को बढाती चली जाती। भीड़ इकट्ठी हो जाती और भीड़ भी हँसती, इस तरह सारे गांव में हँसी की लहर दौड़ जाती। कोई अगर उनसे पुछता कि तुम्हारा संदेश क्या है, तो वे कहते- तुम हँसो… इतना ही हमारा संदेश है और वह हँसकर हमने कह दिया। 

वे तीनों फकीर गांव गांव घुमते रहे। उनके पँहुचते ही सारे गांव की हवा बदल जाती। फिर उसमें से एक मर गया। जिस गांव में उसकी मृत्यु हुवी, गांव के लोगों ने सोचा कि आज तो वे जरूर दुखी हुवे होंगे, लोग उनके झोपड़े पर पहुंच गये। लेकिन लोग यह देखकर हैरान रह गये कि वे दोनों फकीर अपने साथी के शव के पास बैठकर हँस रहे थे।

ऐ सनम अब जरा अपनी फितरत बदल के देख। तुझे भी इश्क हो जायगा जरा हमसे मिल के तो देख।।

लोगों ने कहा, यह तुम क्या कर रहे हो? वह मर गया और.तुम हँस रहे हो? वे कहने लगे, यह एक तो हममें से खत्म हुवा, कल हम खत्म होने वाले ह़ै। हम पुरी जिन्दगी पर हँस रहे हैं अपनी, क्या क्या सोचते थे जिन्दगी के लिए और मामला अन्त में यह हो जाता है, एक फूल गिरा और बिखर गया। फिर वह क्या सोचेगा जो मर गया? कि अरे! जब जरूरत आयी हँसने की तब धोखा दे गये।

फिर वे उनकी लाश को लेकर मरघट की ओर दिये। गांव के लोग उदास हैं लेकिन वे दोनो हँसे चले जाते हैं। लोग कैसे हँसते? हँसने की तो आदत न थी और फिर मौत के सामने कौन हँसेगा ? मौत के सामने कौन हँस सकता है? मौत के सामने मरनेवाला कैसे हँस सकता है! मौत के सामने वही हँस सकता है, जिसे अमृत का बोध हो गया हो। यह मौत की उदासी हमें भयभीत कर जाती है।

वे दोनो फकीर हँसते ही चले गये। फिर लाश को चढ़ाने लगे अर्थी पर, लोग कहने लगे, कपड़े बदल दो, स्नान करवा दो, जैसा रिवाज है वैसा करो! फकीरों ने कहा- हमारा मित्र कह गया है, मेरा मृत शरीर जिस हालत में रहेगा, उसी हालत मेंं जला देना। उन्होंने शव को अर्थी पर चढ़ा दिया।

अर्थी को आग लगाते ही फटाके फुटने लगे, फुलझड़ियां छुटनी शुरू हो गयी। वह फकीर मरने से पूर्व कपड़ों के अन्दर सब छुपा रक्खा था। धीरे धीरे वह भीड़ जो वहाँ जमा हुवी थी, वह हँसने लगी और कहने लगी, कैसा आदमी था, जिन्दगी भर हँसाता था और मर गया है अब, फिर भी हँसा रहा है।

लाफिंग बुद्धा की मुर्तियां हमलोग घर में रखते हैं। मान्यता है, कि इनकी मुर्तियों को घर में रखने से खुशहाली आती है। मतलब साफ है, कि वो हर चीज,  हर विचार, हर कार्य हमें अच्छी लगती हैं, जिनसे हमें खुशी मिलती हो। लाला जैसे लोग अपने भांति भांति के क्रियाकलापों के द्वारा सिर्फ और सिर्फ अपना हित साधन में लगे रहते हैं। उनके कर्म दुसरों का अहित करता चला जाता है।

कथनी कुछ और करनी कुछ, ऐसी फितरत वालों के कारण आज हमारा समाज जल रहा है। लोकतंत्र की अपनी गरिमा है, लेकिन इनके कृत्यों ने लोकतंत्र को धुमिल कर दिया है। लेकिन दुर्भाग्य से आज अधिकांश लोग ऐसे ही चंद दिग्गजों का अनुसरण करते दिखाई पड़ते हैंं।

फितरत-Nature-of-Human

इंसानियत सबसे ऊपर होता है

महाकवि तुलसीदास ने कहा है- परहित सरिस धर्म नहीं भाई। हमारे शास्त्रों में उल्लेखित मंत्रों, छन्दों का एक ही निहितार्थ है, और वह है सबका कल्याण और स्वम् को सद्बुद्धि। जब हम मन्त्र पढ़ रहे होते हैं तो प्राणी मात्र के सुख शान्ति के लिए और स्वम् के सद्बुध्दि केलिए कामना कर रहे होते हैं। फिर व्यवहार में किसी का भी अहित कैसे कर सकते हैं? वास्तव में हम दुसरों का अहित नहीं करते, वस्तुतः हम खुद का ही अहित करते हैं।

व्यवहार कुशल होना जरुरी क्यों है – Vyavahar Kushal Hona Jaruri Kyun Hai

जिन कृत्यों से मानवता को चोट पहुंचे वो अधर्म है। कुछ समय के लिए धर्म धुमिल हो सकता है, परन्तु जो अक्षय है, उसका क्षय नहीं हो सकता। हमारे अन्दर हँसता हुवा फकीर भी है और लाला रुपी अधर्मी भी। हमारे अन्दर सत्य भी है और असत्य भी, हमारे अन्दर प्रकाश भी है और अंधकार भी। परन्तु अन्दर का फकीर सोया हुवा है, उसे जगाना है!

हमारी खुशी लाफिंग  सेन्ट्स के मुर्तियों में नहीं, हमारे अन्दर है, खोजो! अन्दर का फकीर जब जाग जायगा तो लाला जैसे शैतान से मुक्ति मिल जायेगी। याद रखें इंसानियत के विना आप इसान नहीं हो सकते।

चालबाजों से सावधान रहें :

क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे। नकली चेहरा सामने आये असली सुरत छुपी रहे।।

कहीं फितरत के तकाजे भी बदल सकते हैं। घास पर शेर पालोगे तो पल जायेगा।।

मैं वाकिफ हूं रंगों के हर रंग बदलती फितरत से। रौनक को बाजार समझने वाले मुझसे दुर रहें।।

साथियों; दोहरे चरित्र से जिन्दगी को जीने से परहेज करें। साथ ही दोहरे चरित्र वाले लोगों के प्रभाव से अपने को  हरसंभव दुर रखने का प्रयास करें। वैसे लोगों पर आक्रमण करने की आवश्यकता नहीं, सिर्फ प्रतिकार की निति से चलते रहेंं।

स्वभाव का अर्थ क्या है : Meaning of nature 👈

All right things are not possible always & all possible things are not right always. Be true on both and your mind & heart will never go wrong.

आपको मेरी बातें कैसी लगीं, नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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