सुर्य नमस्कार का शाब्दिक अर्थ है सुर्य को नमस्कार करना। भारतीय संस्कृति में एक दूसरे को अभिवादन करने के लिए नमस्कार का प्रचलन है। सामान्यतः यह एक दुसरे के प्रति आदर एवम् विनम्रता का भाव व्यक्त करने का एक मुद्रा है। गहन अर्थों में प्रत्येक मनुष्य के भीतर एक विशिष्ट ऊर्जा विद्यमान है, जो कि दैविक शक्ति का अंश है। मनुष्य ही नहीं समस्त जगत में जो भी गतिविधियां हो रही हैं, सबकुछ एक दैविक शक्ति से संचालित हो रहा है। ऐ जो शक्तियां हैं जो विभिन्न रुपों में प्रगट हो रही हैं, एक परम शक्ति का अंश हैं। नमस्कार एक ऊर्जा का दूसरी ऊर्जा के प्रति आदर, समर्पण अथवा विनम्रता का भाव व्यक्त करने का मुद्रा है। यह जो मुद्रा है, यह अनेक रुपों में प्रगट होता है। दोनों हाथों को जोड़कर, नतमस्तक होकर एवम् साष्टांग दंडवत आदि अनेक मुद्रा में नमस्कार का प्रचलन है। सुर्य ऊर्जा का स्रोत है, विशाल भंडार है। सुर्य नमस्कार इसी विशाल ऊर्जा स्रोत के प्रति सम्मान अर्जित करने की क्रिया है।
भारतीय योगशास्त्र में सुर्य को नमस्कार करने हेतु एक विशेष प्रक्रिया का वर्णन मिलता है। यह बारह योगासनों का एक समुच्चय है। प्रत्येक आसन से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है। इसे सूर्य की आराधना के रूप में भी जाना जाता है। सूर्य नमस्कार कैसे करें, इस आलेख में पुरी प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण दिया गया है। आशा करता हूं कि अभ्यास के द्वारा आप सभी लाभान्वित होंगे।
सुर्य नमस्कार कैसे करें !
योगासन के रूप में सूर्य नमस्कार कई लोगों द्वारा प्रतिदिन किया जाता है। सूर्य नमस्कार के बारह आसन निम्नलिखित हैं –
प्रणामासन (Pranamasana): स्थिति – खड़े होकर आंखें बंद करें और सांस लें। फिर अपने हाथों को छाती के सामने जोड़ें और प्रणाम करें।
हस्तौत्तानासन (Hasta Uttanasana): स्थिति – ऊपर की ओर उठें, अपने भुजाओं को सीधा करें और अपने सिर को पीछे करें।
पादहस्तासन (Padahastasana): स्थिति – नीचे की ओर झुकें और अपने हाथों को अपने पैरों के पास लाएं। अपने सिर को नीचे की ओर लाएं।
आश्वसंचलनासन (Ashwa Sanchalanasana): स्थिति – अपने दाहिने पैर को आगे बढ़ाएं, बाएं पैर को नीचे रखें और अपने सीधे पैर को पीछे ले जाएं।
दण्डासन (Dandasana): स्थिति – सीधे खड़े हों, अपने भुजाओं को अपने शरीर के साथ सीधा करें।
अष्टंग नमस्कार (Ashtanga Namaskar): स्थिति – चौड़े बैठक में जाएं, आपके हाथ, छाती, और पैर स्पष्ट आपस में नहीं होंगे।
भुजंगासन (Bhujangasana): स्थिति – अपने शरीर को ऊपर की ओर उठाएं, अपने हाथों को शरीर के साथ सीधा करें और अपने सिर को पीछे करें।
पर्वतासन (Parvatasana): स्थिति – नीचे की ओर उठें और अपने बाएं पैर को आगे बढ़ाएं, अपने दाहिने पैर को पीछे ले जाएं।
आश्वसंचलनासन (Ashwa Sanchalanasana): स्थिति – अपने दाहिने पैर को आगे बढ़ाएं, बाएं पैर को नीचे रखें और अपने सीधे पैर को पीछे ले जाएं।
पादहस्तासन (Padahastasana): स्थिति – नीचे की ओर झुकें और अपने हाथों को अपने पैरों के पास लाएं। अपने सिर को नीचे की ओर लाएं।
हस्तौत्तानासन (Hasta Uttanasana): स्थिति – ऊपर की ओर उठें, अपने भुजाओं को सीधा करें और अपने सिर को पीछे करें।
प्रणामासन (Pranamasana): स्थिति – खड़े होकर आंखें बंद करें और सांस लें। फिर अपने हाथों को छाती के सामने जोड़ें और प्रणाम करें।
यह सम्पूर्ण सूर्य नमस्कार है। आप इन स्टेप्स को अपने स्वस्थ शरीर के अनुसार अनुकूलित कर सकते हैं।
सूर्य नमस्कार के कुछ महत्वपूर्ण लाभ:
सूर्य नमस्कार एक पूर्ण शरीर का व्यायाम है जो आपकी शारीरिक स्थिति को सुधारता है। यह आसन सभी शरीर के हिस्सों को स्तर देता है और शारीरिक बल, लचीलापन और स्थिरता बढ़ाता है।
सूर्य नमस्कार करने से आपके शरीर में ताकत का आभास होता है। इस आसन को नियमित रूप से करने से आपका शरीर मजबूत और स्थिर होता है।
सूर्य नमस्कार करने से आपके शरीर के अंगों के बीच संचार सुधारता है। यह आपके शरीर को बहुत लाभ पहुंचाता है और आपके शरीर को सुगमता से चलने और काम करने में मदद करता है।
सूर्य नमस्कार आपकी शरीर की संतुलित विकास को बढ़ाता है। यह आसन आपकी शरीर के सभी अंगों को संतुलित रखता है और आपके शरीर के रंग को सुंदर बनाने में मदद करता है।
सूर्य नमस्कार आपके पाचन तंत्र को सुधारता है। यह आपकी आहार विकल्पों को बढ़ाता है और आपके शरीर को ऊर्जा देता है।
सूर्य नमस्कार आपके श्वसन संबंधी तंत्र को सुधारता है। यह आसन आपकी श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे दमा और फेफड़ों के रोग से निपटने में मदद करता है।
सूर्य नमस्कार आपकी नींद को भी सुधारता है। यह आसन आपकी नींद को अच्छी तरह से सुधारता है जो आपको उत्तेजित नहीं रखता है।है। यह आसन अवसाद और उत्तेजना जैसी मानसिक समस्याओं से निपटने में मदद करता है।
सूर्य नमस्कार आपकी त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। यह आसन आपकी त्वचा को निखारता है और आपकी त्वचा को जवां और चमकीला बनाता है।
सूर्य नमस्कार आपके हृदय के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह आसन हृदय के लिए अच्छा होता है जो उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।
सूर्य नमस्कार करने से आपका मन शांत होता है और आपके विचार एकाग्र होते हैं। यह आपके मानसिक स्थिति को सुधारता है और आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। इस अभ्यास के दौरान आपको अपनी श्वास की गति को नियंत्रित करना पड़ता है जिससे आपके मन को शांति मिलती है।
सूर्य नमस्कार करने से आपका शरीर और मन दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। इस आसन को करने से आप अपने शरीर को स्वस्थ और फिट रख सकते हैं और अपने मन को शांत कर सकते हैं।
प्लैंक मुद्रा से बचना चाहिए, क्योंकि इससे कलाइयों पर दबाव पड़ सकता है।
सूर्य नमस्कार कुज सावधानियों के साथ करें!
सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योगाभ्यास है जो शरीर, मन और आत्मा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हालांकि, अगर आप इसे गलत तरीके से करते हैं, तो यह आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, सूर्य नमस्कार के दौरान निम्न सावधानियों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है:
पूर्ण ज़ोर से न लगाएं: सूर्य नमस्कार के दौरान शरीर को नहीं ज़ोर लगाना चाहिए। स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए अपने शरीर के सीमित योग्यता के अनुसार कदम उठाएं।
स्थिर रहें: सूर्य नमस्कार के दौरान शरीर को स्थिर रखना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आप शरीर को अस्थिर रखते हैं, तो यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है।
संयम बनाए रखें: सूर्य नमस्कार के दौरान शांति बनाए रखना बहुत ज़रूरी होता है। शांति बनाए रखने के लिए संयम का पालन करें।
ठंड के लिए सावधान रहें: सूर्य नमस्कार के दौरान अपने शरीर को ठंड से बचाएं। यदि आपको ठंड अधिक लगती है तो आप एक चादर का उपयोग कर सकते हैं। इससे आपके शरीर की मांसपेशियों को ठंड से राहत मिलेगी।
अभ्यास के दौरान शीशा न घुमाएं: सूर्य नमस्कार के दौरान आपको सिर घुमाना नहीं चाहिए। यह आपके सिर को तनाव में डाल सकता है और आपकी दशा बिगड़ सकती है।
धीरे-धीरे शुरू करें: सूर्य नमस्कार के दौरान शुरुआत में आप धीरे-धीरे शुरू करें। इससे आपके शरीर को उचित वार्मअप मिलेगा।
स्नान करें: सूर्य नमस्कार करने से पहले स्नान करना बहुत महत्वपूर्ण है। स्नान से आपके शरीर की धूल और मल हट जाएंगे और आप फ्रेश महसूस करेंगे।
अगर आप इन सावधानियों का पालन करेंगे तो सूर्य नमस्कार सुरक्षित रूप से कर सकते हैं। आप स्वस्थ रहेंगे और इस योगाभ्यास से अधिक लाभ उठा सकेंगे।
रोज न करें: शुरुआत में सूर्य नमस्कार को रोजाना नहीं करना चाहिए। आपके शरीर के लिए अधिक तनाव का कारण बन सकता है। अधिकतम 3-4 दिन में एक बार ही सूर्य नमस्कार करें।
एक प्रशिक्षिक के साथ शुरू करें: सूर्य नमस्कार को शुरू करने से पहले, यदि आपको इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है, तो आपको एक योग्य व्यक्ति के निर्देशन के साथ करना चाहिए। जो आपको सही ढंग से सूर्य नमस्कार करने में मदद करेगा।
अगर आप इन सावधानियों का पालन करेंगे, तो सूर्य नमस्कार सुरक्षित रूप से कर सकते हैं। यह आपके शरीर को फायदेमंद होगा और आपके मानसिक स्थिति को भी स्थिर रखेगा। सामान्य तौर पर, सूर्य नमस्कार सहित कोई भी नई व्यायाम दिनचर्या शुरू करने से पहले किसी योग्य योग प्रशिक्षक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना हमेशा सबसे अच्छा होता है। वे आपकी व्यक्तिगत जरूरतों का आकलन करने में मदद कर सकते हैं और आपकी सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित हो, इसका उचित ख्याल रखते हैं।