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महर्षि अरविंद का जीवन परिचय

महर्षि अरविंद जो अपने युवावस्था में अरविंद घोष के नाम से जाने जाते थे। उनकी रचनाओं और विचारों ने उन्हें एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में स्थापित किया। महर्षि अरविंद का जीवन परिचय समस्त संसार के लोगों के लिए समान रूप से प्रेरणादायक है।

उनका जन्म 15 अगस्त 1872 को कोलकाता, भारत में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्ण चन्द घोष था जो एक वकील थे। उन्होंने अंग्रेजी, संस्कृत, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी, बंगाली और तेलुगू भाषाओं का अध्ययन किया था।

अरविंद घोष ने भारत की स्वाधीनता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस दौरान उन्हें अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों से गुजरना पड़ा था। उन्होंने विभिन्न राजनैतिक आंदोलनों में भाग लिया और देश में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। उनका योगदान भारत की स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य है, वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व में से एक थे।

उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दृष्टिकोण के साथ-साथ समाज सुधार और विश्व शांति के विचारों को अपनाया था। उन्होंने भारतीय आजादी के बाद भी राष्ट्र के उन्नयन के लिए काम किया। वे भारत में उद्योग विकास को प्रोत्साहित करते थे और भारतीय उद्यमियों को समर्थन दिया था। अरविंद की सोच अत्यंत विस्तृत और संगठित थी। वे धार्मिक एवम् आध्यात्मिक विषयों में भी रुचि रखते थे।

एक स्वतंत्रता सेनानी कै रूप में उन्हें दो बार जेल जाना पड़ा था और उन्हें जेल में अनेक वर्ष तक रहना पड़ा था।1908 ई. के मध्य जब वे अलीपुर जेल में बंद थे, तो उन्हें एक रात अचानक एक दैविक अनुभूति हुई। उनके उस अनुभव को “सुप्रसंग” के नाम से जाना जाता है। इस दैविक अनुभव ने उनके जीवन की दिशा बदल दी और उनके जीवन का मार्ग प्रशस्त कर दिया। उन्होंने वेदान्त, योग और तंत्र के विषयों पर अनेक ग्रंथ लिखे। उनका लेखन साहित्य दुनिया में उत्कृष्ट माना जाता है।

महर्षि अरविंद के जीवन अंतिम समय पांडिचेरी में बीता। अपने जीवन अंतिम दिनों में भी, वे अपने विचारों को दूसरों के साथ साझा करते थे। उन्होंने इस संसार को अपनी विचारधारा से समृद्ध किया है। उन्होंने समस्त संसार को आध्यात्मिकता के महत्व को समझाया है। उनके विचारों में से एक विचार था कि आध्यात्मिकता एक ऐसी शक्ति है जो मानव जीवन को समृद्ध और संतुलित बनाती है।

महर्षि अरविंद के विचारों का प्रभाव

महर्षि अरविंद के विचारों ने विश्व को एक नया आयाम दिया है। उनकी सोच अत्यंत विस्तृत थी, उनका उद्देश्य भारतीय संस्कृति और विचारधारा को दुनिया के साथ साझा करना और उसे विश्व में अधिक मान्यता दिलाना था। उनके विचारों का जो मूल विषय है, वह यह है कि मनुष्य का उद्देश्य केवल स्वयं का उन्नयन नहीं है, बल्कि उसका उद्देश्य सबका कल्याण करना है। उन्होंने स्वयं को एक उत्तम मानव बनाने के साथ-साथ समाज के लिए भी कुछ करने की जरूरत पर बल दिया है।

महर्षि अरविंद के मतानुसार दिमाग को तनाव से मुक्त करने के लिए आध्यात्मिकता और योग का अभ्यास अत्यंत आवश्यक है। वे ध्यान के माध्यम से मन को शांत करने का महत्व बताते थे। उनके विचारों से बहुत से लोग आध्यात्मिकता और ध्यान के महत्व को समझने लगे। उनकी विचारधारा से सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में लोगों में आध्यात्मिकता के प्रति रुचि बढ़ने लगी। उनके विचारों से दुनिया भर में कई आध्यात्मिक गुरु उत्पन्न हुए और उनका प्रभाव दुनिया भर में फैला।

अरविंद का संदेश था कि मानव जीवन का अर्थ है, उसे जीवित रखने वाली जीवन-शक्ति को समझना। उन्होंने कहा था कि जीवन-शक्ति को जाने बिना हम एक आध्यात्मिक जीवन नहीं जी सकते। उन्होंने यह भी समझाया था कि आध्यात्मिकता और वैज्ञानिक विचारों में कोई विरोध नहीं होता। दोनों की शक्तियां एक दूसरे को पूरक होती हैं।

महर्षि अरविंद ने अपने जीवनकाल में बहुत से उद्धरण दिए हैं, जो संसार को आध्यात्मिकता के महत्व को समझाते हैं। उनके मतानुसार आध्यात्मिकता हमारी सोच को शुद्ध करती है, जिससे हमारा जीवन को सुखी और समृद्ध होता है। 

महर्षि अरविंद ने अपने जीवन काल के दौरान कुछ महत्वपूर्ण किताबें भी लिखीं। उनकी पहली पुस्तक ‘योगदर्शन’ थी, जो उन्होंने 1902 में लिखी थी। इस पुस्तक में उन्होंने योग के महत्व के बारे में बताया है। उन्होंने योग को एक ऐसी शक्ति बताया है जो हमें एक शांत और स्वस्थ जीवन जीने में सहायता करती है।

महर्षि अरविंद का योग दर्शन

महर्षि अरविंद का योग दर्शन हिंदी में एक आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो योगाभ्यास के माध्यम से आध्यात्मिक सफलता और समृद्धि के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करता है। इस ग्रंथ में योग के साधनों के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो हमारे दिमाग, शरीर और आत्मा को संतुलित बनाने में सहायक हैं। अरविंद का योग दर्शन भीतरी एवं बाहरी जीवन में सुधार और सफलता के लिए मार्गदर्शन करता है।

इस ग्रंथ में योग के विभिन्न आयामों के बारे में बताया गया है, जैसे कि आसन, प्राणायाम, ध्यान, धारणा और समाधि। इन आयामों के सही अभ्यास से हम अपने शरीर की स्वस्थता, मन की स्थिरता और आत्मानुभूति को प्राप्त कर सकते हैं। इस ग्रंथ में योग के साधनों के साथ-साथ भारतीय धर्म, दर्शन और उनके तत्वों के बारे में भी विस्तार से वर्णन किया गया है।

महर्षि अरविंद का योग दर्शन आधुनिक युग में जीवन की असली जरूरतों पर आधारित है, जो अत्यधिक तनाव, दुख, अस्थिरता और अनुशासनहीनता के साथ संघर्ष कर रहे लोगों के लिए उपयोगी है। इस ग्रंथ में योग के महत्व को समझाने और समर्थन करने के लिए अनेक उदाहरण दिए गए हैं।

समाज में स्वस्थ, सकारात्मक और सफल जीवन जीने के लिए अरविंद का योग दर्शन एक उत्तम संसाधन है। यह एक आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो हमें अपने जीवन में स्थिरता, समृद्धि और सुख की ओर ले जाता है।

महर्षि अरविंद का योग दर्शन अत्यंत मूल्यवान ज्ञान है, जो हमें अपने वास्तविक स्वरूप से जुड़ने और समस्त जीवन के साथ एक तालमेल बनाने की ओर ले जाता है। इस ग्रंथ के माध्यम से, हम अपने जीवन में समस्याओं का सामना करने की कला सीखते हैं और उन्हें जीतते हुए आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। उनके दृष्टिकोण में योग और ध्यान का अभ्यास हमारे जीवन में जगह-जगह से आशीर्वाद का स्रोत बनता है। यह अभ्यास हमें अपने आप से जुड़ने और स्वयं को जानने की स्वतंत्रता देता है। यह एक अद्भुत ग्रंथ है, जो हमें जीवन के इस गंभीर और अर्थपूर्ण विषय पर सोचने के लिए प्रेरित करता है। 

महर्षि अरविंद का योग दर्शन अपने व्यापक और विस्तृत संदर्भों से एक प्रकार का अध्यात्म और दार्शनिक सिद्धांत है, जो हमारे जीवन के सभी पहलुओं को समायोजित करता है। महर्षि का योग दर्शन हमारे जीवन का अर्थ और उद्देश्य को समझने में सहायक है।

अरविंद का योग दर्शन जीवन के सभी पहलुओं को संयोजित करता है और हमें संपूर्णता और ऊर्जा से परिपूर्ण करता है। यह हमें अपने जीवन में आनंद और समृद्धि का मार्ग प्रदान करता है। इस ग्रंथ में वर्णित सिद्धांतों का अभ्यास हमें अपने स्वयं के विकास के लिए प्रेरित करता है, साथ ही हमें अपने आसपास के संसार को भी बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है।

अरविंद का योग दर्शन एक उद्देश्य से अधिक अनुभव की ओर ले जाता है। इस दर्शन के अनुसार, हमारे अनुभवों से हमें अधिक ज्ञान और समझ मिलता है, जो हमारे जीवन को उन्नत बनाने में मदद करता है। इस ग्रंथ में अरविंद के योग दर्शन के अलावा, उन्होंने भारतीय दर्शन, उपनिषदों, भगवद गीता और पूर्व महाकाव्यों के विषय में भी अपने विचार व्यक्त किए हैं।

महर्षि अरविंद का योग दर्शन एक संपूर्ण दर्शन है, जो हमारे जीवन के सभी पहलुओं को संयोजित करता है। इस दर्शन में वर्णित सिद्धांत हमें संपूर्णता, समृद्धि, सुख और आनंद का मार्ग प्रदान करते हैं। यह अनोखा योग दर्शन हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है और हमें एक सम्पूर्ण जीवन जीने का मार्ग प्रदान करता है।

अरविंद का ईश्वर दर्शन!

महर्षि अरविन्द की महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में से एक ‘ईश्वर दर्शन’ भी है। इस पुस्तक में वे इश्वर के विभिन्न रूपों को समझाते हैं। अरविंद का ईश्वर दर्शन एक दार्शनिक विचार है जो आधुनिक योग, वेदांत, तंत्र और तांत्रिक क्रियाओं के आधार पर बनाया गया है। उनका मत था कि मानव जीवन का उद्देश्य ईश्वरीय ज्ञान और सत्य का अनुभव करना है।

उनके अनुसार, ईश्वर सभी वस्तुओं का आधार है और सभी जीवों में निहित है। उन्होंने कहा है कि मनुष्य का उद्देश्य है, ईश्वर के साथ स्वयं को जोड़ना और अपने स्वरूप को ईश्वर से सम्बोधित करना। उन्होंने योग को एक मार्ग के रूप में देखा, जो शरीर, मन और आत्मा के एकीकरण द्वारा अधिकतम आनंद और सत्य की प्राप्ति का साधन है।

अरविंद का ईश्वर दर्शन धार्मिक और आध्यात्मिक दर्शनों के एक मिश्रण के रूप में जाना जाता है। उनके द्वारा विकसित किए गए विचार विदेशी भाषाओं में भी अनुवादित हुए हैं और वे आधुनिक युग में आध्यात्मिक उन्नयन के लिए एक महत्वपूर्ण संरचना के रूप में माने जाते हैं।

महर्षि अरविंद के ईश्वरवाद वेदांत पर आधारित है। वेदांत दर्शन के अनुसार, जगत सत्य नहीं है, बल्कि अनित्य है, और आत्मा अमर है। उनका ईश्वर दर्शन एक ऐसा आध्यात्मिक मत है, जो मानव जीवन के उद्देश्य और सार्वभौमिक ज्ञान के प्रति उत्सुकता को प्रोत्साहित करता है। उनके मतानुसार ईश्वर अनंत है और सभी जीवों में मौजूद है। उनके अनुसार, ईश्वर जीवन के अस्तित्व का निर्माता नहीं है, बल्कि ईश्वर स्वयं जीवन है।

महर्षि अरविंद का ईश्वरवाद स्वामी विवेकानंद की तरह हमारी अंतरात्मा का गुणगान करता है। उन्होंने कहा था कि हमारी आत्मा में ईश्वर होता है और हमें अपनी आत्मा के साथ जुड़कर ईश्वर से जुड़े हुए रहना चाहिए। उनके मतानुसार ईश्वर एक सत्य होता है जो हमें सच्चाई की ओर ले जाता है। ईश्वर के साथ जुड़ने के लिए हमें अपनी आत्मा के साथ जुड़कर अपनी मन को एकाग्र करना होगा और अपने जीवन के अनुभवों से सीख लेना होगा। हमें अपनी आत्मा के माध्यम से ईश्वर से संपर्क करना चाहिए और उसके साथ एक संबंध बनाना चाहिए।

इस दृष्टिकोण के अनुसार, ईश्वर सभी व्यक्तियों के भीतर विद्यमान होता है और हमारी आत्मा ईश्वर का अंश है। ईश्वर को एक संज्ञा के रूप में देखने से पहले, हमें अपने अंतरात्मा से साक्षात्कार करना चाहिए, जो हमें ईश्वर के समीप ले जाता है। अरविंद ने कहा है कि सत्य का ज्ञान एक आत्मीय अनुभव है, जो हमें आत्मा के साथ सम्बन्धित होने की अनुमति देता है। इसलिए, सभी धर्मों के उद्देश्य यही होता है कि हम अपनी आत्मा के साथ सम्बन्धित हों और ईश्वर के साथ एक हों। उनके मतानुसार जब हम अपने आत्मा को जानते हैं, तब हम सत्य को जानते हैं और वास्तविक जीवन का मूल्य समझते हैं।

महर्षि अरविंद के मतानुसार सभी धर्मों का मूल उद्देश्य एक ही होता है, यानी ईश्वर के साथ संवाद में होना। धर्म यह सिद्ध करने के लिए होता है कि हम अपनी आत्मा के साथ संलग्न होकर ईश्वर से जुड़ सकते हैं। उनके अनुसार सभी जीवों में ईश्वर का ही रूप होता है और उनकी आत्मा उनके शरीर से ऊपर होती है। आत्मा हमारी सच्ची स्वभाव से जुड़ी होती है, जो अविनाशी है। इस सच्ची स्वभाव को जानने और अनुभव करने के लिए आत्मा के भीतर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

महर्षि अरविंद के अनुसार, ईश्वर जीवन के सभी पहलुओं का नियंत्रण करता है। जगत की उत्पत्ति, संचालन एवम् विनाश को नियंत्रित करता है, अतः ईश्वर के साथ संवाद करना जरूरी है। उनके अनुसार, सत्य को जानने के लिए हमें आत्मा के अंदर दृढ़ता से प्रवेश करना चाहिए। इस प्रकार के आत्मीय अनुभव से हम ईश्वर के साथ संलग्न हो सकते हैं।

महर्षि अरविंद का मानना था कि जगत के निर्माण में ईश्वर ने माया शक्ति का उपयोग किया है। माया शक्ति हमें अपनी आत्मा से अलग करती है, जो ईश्वर का ही खेल है। अतः आत्मा के ज्ञान को प्राप्त करने के लिए हमें माया का त्याग करना होगा। ईश्वर एक अद्वितीय एवं निराकार वस्तु है जो सभी जीवों में विद्यमान है। उनके अनुसार, ईश्वर को साकार रूप में नहीं देखा जा सकता, बल्कि उसे अपनी आत्मा के माध्यम से अनुभव किया जा सकता है। इस अनुभव से ही हम ईश्वर के अस्तित्व को समझ सकते हैं।

उन्होंने कहा है कि हमारे दिमाग में एक समस्या है कि हम वस्तुओं को ज्यादा महत्व देते हैं और अपनी अंतरात्मा को भूल जाते हैं। अरविंद का ईश्वरवाद हमें यह समझाता है कि हमें अपनी अंतरात्मा के साथ जुड़े हुए रहना चाहिए और वस्तुओं को ज्यादा महत्व नहीं देना चाहिए। उन्होंने यह समझाया है कि जीवन में सफलता तभी संभव है जब हम ईश्वर के साथ एक संबंध बनाते हैं और उसके दिशानिर्देशों का पालन करते हैं।

अरविंद के कथनानुसार ईश्वर से जुड़ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय ध्यान होता है। ध्यान के द्वारा हम अपनी मन को एकाग्र करते हैं और अपनी आत्मा के साथ जुड़ जाते हैं। उनका मानना था कि ध्यान एक सकारात्मक शक्ति होती है जो हमें सच्चाई की ओर ले जाती है। उनके मतानुसार ईश्वर अधिक से अधिक जीवों को अपने साथ जोड़ना चाहता है। इसलिए, हमें आत्मा के ज्ञान को प्राप्त करने और उससे जुड़ने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय ध्यान होता है।

उनके मतानुसार हम सभी ईश्वर के अंश हैं और हमें ईश्वरीय शक्तियों का उपयोग करना चाहिए। वे इस बात का भी उल्लेख करते थे कि ईश्वर एक व्यक्तित्व नहीं है, बल्कि एक ऊर्जा है, जो जीवों को संचालित करता है।

ईश्वर जीवन के अस्तित्व का निर्माता नहीं है, बल्कि ईश्वर स्वयं जीवन है। यह एक नया दृष्टिकोण है जो ईश्वर के स्वरूप के बारे में हमें सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है।

महर्षिअरविंद

उनके ईश्वरवाद का अध्ययन मानव जीवन में आनंद एवं शांति को प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसे समझने के बाद, व्यक्ति अपने जीवन को ईश्वर के दिशानिर्देशों के अनुसार जीता हुआ अनुभव करता है। अध्ययन और मनन के द्वारा उनके ईश्वरवाद के सिद्धांतों को समझने से हमारी दृष्टि संवेदनशील होती है। और हम जीवन में अधिक सकारात्मकता एवं संतोष प्राप्त करने के लिए उनके सिद्धांतों को अपना सकते हैं।

अरविंद के महत्वपूर्ण विचार!

जीवन में सफलता उसके लिए मिलती है, जो अपने सपनों के पीछे भागता है।” – (Success in life comes to those who chase their dreams.)

Maharshi Arvind

अपने सपनों के पीछे भागने से हमारी निरंतरता, संघर्ष और दृढ़ इच्छाशक्ति विकसित होती है। इसके साथ ही हमें अपने लक्ष्य की ओर एक निश्चित दिशा भी मिल जाती है। इसलिए अपने सपनों को पूरा करने के लिए हमें कठिनाईयों से नहीं घबराना चाहिए। हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए सक्रिय रहना चाहिए और हमेशा अपने मंजिल की तलाश में आगे बढ़ते रहना चाहिए।

इस विचार का महत्व हमारे जीवन में बहुत अधिक होता है। यह हमें एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है जो हमें अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इसलिए, हमें हमेशा यह ध्यान में रखना चाहिए कि हम अपने सपनों को कभी भी नहीं छोड़ सकते। यदि हम सक्रिय रहते हैं और निरंतर उनकी तलाश में बने रहते हैं, तो हम निश्चित रूप से अपने लक्ष्य को पूरा करने में सफल होंगे।

इसके साथ ही, अपने सपनों को पूरा करने के लिए हमें अपनी क्षमताओं और दक्षताओं का भी उपयोग करना चाहिए। हमें अपनी कमजोरियों को दूर करने और अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए। इससे हम अपने लक्ष्य को ठीक से समझ सकते हैं और उसके लिए सही तरीके से प्रयास कर सकते हैं।

अरविंद के विचार हमें इस बात की ओर इशारा करते हैं कि सफलता के लिए अपने जीवन शैली को बदलने की जरूरत हो सकती है। अपनी दृष्टिकोण को बदलने की जरूरत हो सकती है, या फिर नए कौशल को सीखने की भी जरूरत हो सकती है। अपने सपनों को पूरा करने के लिए हमें उनके प्रति दृढ़ संकल्प रहना चाहिए, सक्रिय रहना चाहिए और अपनी क्षमताओं का भी उपयोग करना चाहिए। इस तरीके से हम सफलता की ओर अग्रसर होते हुए अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार होते हैं।

अरविंद के अन्य महत्वपूर्ण विचारों में से एक यह भी है कि हमें अपने जीवन के लक्ष्य को समझने और स्पष्ट करने की जरूरत होती है। हमें अपने लक्ष्य को न केवल स्पष्ट करना चाहिए, बल्कि उसके लिए एक योजना बनाना और उसे प्राप्त करने के लिए काम करना चाहिए। हमें अपने सपनों के लिए अपनी समय, उपलब्धियों, संसाधनों और कौशलों का उपयोग करना चाहिए।

सफल होने के लिए हमें अपनी भावनाओं और विचारों को नियंत्रित करने की भी जरूरत होती है। हमें अपने मन को शांत रखना चाहिए और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना चाहिए ताकि हम अपने लक्ष्य के लिए निरंतर काम कर सकें। उनके विचारों से स्पष्ट होता है कि हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए सक्रिय रहना चाहिए, अपनी शक्तियों का उपयोग करना चाहिए, और अपनी भावनाओं और विचारों को नियंत्रित करना चाहिए। यदि हम अपने लक्ष्य के लिए निरंतर काम करते रहेंगे, तो उसे प्राप्त करने में सफलता मिलेगी।

अरबिंद के विचारों से स्पष्ट होता है कि वह जीवन को सकारात्मक बनाने के लिए सक्रिय रहने और स्वयं के विकास पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत को समझते थे। उनके विचारों के अनुसार, हमें अपने स्वयं को बेहतर बनाने के लिए निरंतर काम करना चाहिए। हमें अपने अनुभव से सीखना चाहिए और अपने कौशल को विकसित करना चाहिए।

महर्षि अरविंद के विचार एक सकारात्मक मानसिकता को विकसित करने की भावना से भरे हुए हैं। उनके अनुसार, हम अपने सपनों को साकार करने के लिए निरंतर काम करते रहने चाहिए। हमें उन संकटों के सामना करना चाहिए जो हमारे रास्ते में आते हैं, और उन्हें सफलता से पार करना चाहिए। उनके विचार हमें यह भी सिखाते हैं कि हम अपने जीवन में सकारात्मकता और सफलता को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें। 

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