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आकर्षण का सिद्धांत — Law of Attraction

आकर्षण का सिद्धांत क्या है ? 

साथियों आइये आज के कॉलम में इस बात पर चर्चा करते हैं कि आकर्षण का सिद्धांत क्या है? यह सिद्धांत एक विचारधारा है, एक अवधारणा है, इसके अनुसार हमारे साथ ठीक वैसा ही होता है, जैसा कि हम सोचते हैं। आकर्षण के सिद्धांत ‘law of attraction’  के अनुसार हम स्वयं के जीवन में स्वयं ही सकारात्मक और नकारात्मक विचारों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। 

आकर्षण का आशय किसी चीज को अपनी ओर खींचने से है। यह एक ऊर्जा है और सिद्धांत का आशय  विधि से है, नियम से है। जब कोई एक वस्तु किसी दुसरे वस्तु को अपनी ओर खींचती है, तो इसे आकर्षण समझा जाता है। यह एक ऐसी ऊर्जा है जो किसी एक वस्तु को दुसरे के करीब ले जाती है। और सिद्धांत का तात्पर्य व्यवहार से संबंधित नियम से है। सिद्धांत का उद्भव किसी कार्य, व्यवहार के सिद्ध होने के पश्चात होता है। सिद्धांत सिद्धि का अंत है, अतः यह एक निश्चित अवधारणा होता है। 

आइंस्टीन के शब्दों में : ‘सफल व्यक्ति बनने का प्रयास मत किजिए, बल्कि सिद्धांतों वाला व्यक्ति बनने का प्रयत्न किजिए। 

आकर्षण का सिद्धांत हमें बताता है कि हम अपने जीवन में उस चीज को आकर्षित करते हैं, जिसके विषय में हम विचार करते हैं। वास्तव में इस जगत में सबकुछ ऊर्जा का ही खेल है। जब हम किसी विषय-वस्तु के संबंध में लगातार सोचते हैं, तो एक ऊर्जा हमें उस विचार के साथ कनेक्ट करती है। अगर कोई मनुष्य इस रहस्य को समझ लेता है, तो वह अपने जीवन में वह सबकुछ प्राप्त कर लेता है, जो वह चाहता है।

अब प्रश्न यह है कि क्या आप आकर्षण की ऊर्जा को, इसके नियम को जानते हैं? क्या आप इस क्रिया के रहस्य को जानते हैं ? क्या आप इस बात को समझते हैं कि जो आप सोचते हैं, उसे अपने जीवन में उतार सकते हैं ? इसका सीधा और सरल उत्तर है कि आप यह नहीं जानते ! यह एक ऐसा रहस्य है, जिसके विषय में बहुत कम लोगों को जानकारी होता है।

हेनरी फोर्ड के अनुसार ; ‘अगर आप सोंच लें कि आप कर सकते हैं या यह सोंच लें कि नहीं कर सकते हैं, तो दोनों ही मामलों में आप सही हैं।’ 

आकर्षण का सिद्धांत इस तथ्य पर आधारित है कि सब-कुछ ऊर्जा से निर्मित है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक न्युटन जिन्होंने संसार को गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत से अवगत करवाया। उनके अनुसार प्रत्येक क्रिया के विपरीत और समान प्रतिक्रिया होती है। इस प्रकार से जिस तरह की ऊर्जा हम बाहर प्रेषित करते हैं, वही हमारे भीतर वापस लौटकर आती है। 

स्वामी विवेकानंद के शब्दों में ; ‘हम वो हैं जो हमारी सोच ने हमें बनाया है!’ 

भगवान बुद्ध ने कहा है कि ‘हम जो कुछ भी हैं, वो हमने आज तक क्या सोचा! उस बात का परिणाम है।

आकर्षण का सिद्धांत वह सिद्धांत है जिस सिद्धांत पर समस्त विचार की शक्ति काम करती है। जिससे व्यक्ति द्वारा इच्छित सभी चीजें अपने आप ही उसकी ओर खींची चली आती है।  आकर्षण का सिद्धांत! हमे बताता हैं कि यह जो क्रिया है, इसका रहस्य क्या है। 

कल्पना करना महत्त्वपूर्ण है !

विचारक जेनेविव बेहरेड के शब्दों में ; ‘कल्पना ही सबकुछ है, यह जीवन की आगामी आकर्षणों का पूर्वदर्शन है।’

कल्पना करना और उस कल्पना को साकार करने का प्रयास करना ही सफलता का आधार है। किसी व्यक्ति में कल्पना करने की जितनी शक्ति होती है, सपने देखने की जितनी चाहत होती है, वह जीवन में उतना ही सफल होता है। 

आइंस्टीन के अनुसार ; तेज होने का आशय अधिक जानकार होना नहीं है, बल्कि इसका आशय कल्पना करने और सपने देखने की शक्ति से है। तर्क आपको A से B तक ले जा सकता है, जबकि कल्पना की शक्ति आपको कहीं भी ले जा सकती है।’

अनुभव सफलता का स्रोत है !

प्रत्येक के भीतर असीम ऊर्जा और संभावनाएं मौजूद हैं, लेकिन अधिकांश को इसका अनुभव ही नहीं होता है। जो भीतर उपस्थित ऊर्जा के खेल को अनुभव कर पाता है, वह उन्नतिशील हो जाता है।

मार्टिन लूथर किंग ने कहा है कि ‘पुरी आस्था से पहला कदम उठाएं! आपको पुरी सीढ़ी देखने की आवश्यकता नहीं है, बस पहला कदम उठा लें।’

adhyatmapedia.com का अस्तित्व में आना इसका एक उदाहरण है। सौभाग्य से मेंरे जीवन के कुछ पल एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व के सानिध्य में व्यतीत हुवा है। फलस्वरूप अध्याम के विषय में हमारी रुची रही है। मेंरे मन में हमेशा इस विषय पर लिखने का विचार उभरता रहता था। परन्तु हमें लिखने के लिए इस प्रकार की तकनीक के विषय में बिल्कुल अनभिज्ञ था।

कालान्तर में मन की चाहत ने, कल्पना की शक्ति ने अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर दिया। इस दिशा में मुझे प्रेरणा के साथ साथ सहयोग भी प्राप्त होता गया। करीब दो वर्षों की छोटी सी अवधि में ही adhyatmapedia के अधिकांश लेख ‘search engine’ में top पर रैंक होने लगे हैं। यह सारी चीजें अपने आप होती चली गई। अब adhyatmapedia को लोग पसंद करने लगे हैं और मेंरी भी अभिरुचि इस कार्य के प्रति बढ़ती चली जा रही है। मेंरा अनुभव कहता है कि यह आकर्षण के नियम का चमत्कार है। आकर्षण का सिद्धांत ही है, जो हमारे मन के विचारों को हकीकत में बदल देता है। इस सिद्धांत के अनुसार चलने पर सपनें साकार हो जाते हैं। 

आइंस्टीन ने कहा है ; ‘जिन्दगी जीने के दो ही तरीके हैं, एक ऐसा कि मानो कुछ भी चमत्कार नहीं है, दुसरा ऐसे कि मानो सबकुछ चमत्कार हो।’

प्रकृति का नियम अद्भुत है!

आइंस्टीन के शब्दों में ; जब तुम प्रकृति को गौर से देखोगे तब कुछ भी बेहतर तरीके से समझ सकते हो। 

प्रकृति जगत की सबसे बड़ी शक्ति है। आकर्षण-विकर्षण सबकुछ इसकी ऊर्जा का ही खेल है। प्रकृति का नियम भी अद्भुत है। यह जो नियम है, इस पर सबकुछ निर्भर करता है। यह जो आकर्षण है, इसके नियम को समझना महत्वपूर्ण है। 

आइंस्टीन ने कहा है कि ‘सबसे पहले आपको खेल के नियमों को जानना चाहिए, उसके बाद ही आप दुसरों से बेहतर खेल सकते हैं।’

सकारात्मक चिंतन सफलता का आधार है !

शास्त्रों में सदैव सकारात्मक चितन करने, आशावान होने एवम् मन में संतोष धारण करने की सीख दी गई है। ज्ञानियों के द्वारा जीवन में जो प्राप्त है उसके लिए सदैव हृदय से ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करने की सीख दी गई है। परन्तु सामान्यतः मनुष्य शांतिपूर्ण जीवन जीने की जगह, जो उपलब्ध नहीं है, उसी पर विचार करता रहता है। अगर कोई लगातार नकारात्मक सोच बनाये रखता है, तो उसका मन स्वत: नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। 

जब कोई व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता है, तो आकर्षण का सिद्धांत प्रभावशाली रुप में कार्यशील हो जाता है। जो अपने दुख, दरिद्रता, निराशा के साथ प्रार्थना करता है, वह इस स्थिति से बाहर नहीं निकल पाता। यही कारण है कि प्रार्थना करने के लिए सकारात्मक शब्दों, मन्त्रो का उच्चारण करने का विधान है। 

श्री श्री रविशंकर के अनुसार ; कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति केवल ऊपरी हालातों को नहीं देखता। वह गहराई में जाकर चीजों को समझता है। चीजें धुंधली नहीं होती, धुंधला व्यक्ति का नजरिया होता है। मनुष्य के मन की प्रवृति ही ऐसी है कि वह अपूर्णता, त्रुटियों एवम् कमियों को आसानी से पकड़ लेता है। और अंत में इस प्रक्रिया के तहत अपने मन-मस्तिष्क को त्रुटिपूर्ण कर लेता है।

अगर कोई व्यक्ति अपने वांछित वस्तुओं को प्राप्त करने में असफल रहता है, तो उसका जिम्मेवार वह स्वयं होता है। जिन विचारों पर  ध्यान केन्द्रित रहता है, उसमें तेजी से विकास होने लगता है। अगर किसी विषय-वस्तु को पुरे मन से पाने की आकांक्षा हो, तो एक प्राकृतिक शक्ति उसे प्राप्त करने में उसकी सहायता करने लगती है। निष्कर्ष यह है कि जिस नियम के साथ चलने पर विचार की शक्ति काम करने लगती है! जिसके कारण इच्छित कामनाएं  स्वत: पूर्ण होने लगती हैं! यही आकर्षण का सिद्धांत ‘law of attraction’ है।

4 thoughts on “आकर्षण का सिद्धांत — Law of Attraction”

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