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ध्यान की धारा …!

ध्यान की धारा का अर्थ क्या है? ‘ध्यान की धारा’, इस वाक्यांश में दो विपरीत प्रकृति केशब्दों का प्रयोग हुआ है। एक है ‘ध्यान और दुसरा है ‘धारा’। ध्यान एक क्रिया है, और धारा में भी क्रिया है। एक की प्रकृति में स्थिरता है, और दुसरे की प्रकृति में गतिशीलता। फिर दो विपरीत प्रकृति के

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Change your mind

सोच को बदलो …

‘सोच को बदलो’ अर्थात् अपने मनोदशा को, अपने सोचने की दिशा को बदल डालो। Change your mind, अगर आपके जीवन में कुछ सही नहीं हो रहा है। change your way of thinking, क्योंकि बदलाव से ही परिस्थितियों को बदला जा सकता है। यह एक प्रेरक कथन है। ‘बदलो’ का आशय किसी वस्तु अथवा विषय के

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Do or Die

करो या मरो।। Do or Die.

करो या मरो का जो मंत्र है, मानसिक एवम् आत्मिक दोनो स्वरुपों में महत्वपूर्ण है। एक स्वरुप को समझो तो भौतिक सुख प्राप्त करना संभव हो सकता है। और दुसरा स्वरूप मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

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मैं कौन हूं..?

मैं कौन हूं? खुद को संबोधित करने के लिए ‘मैं’ का प्रयोग किया जाता है। सामान्यतः ‘मैं’ का भाव मन का विषय है। यह जो भाव है, इंद्रियों के द्वारा पोषित होता है। सामान्य व्यक्ति की दृष्टि में इसका उत्तर उसके दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। इन्द्रिय जनित अनुभव सामान्य व्यक्ति के दृष्टि में सत्य

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व्यथा – कारण और निवारण।

वह ज्ञान जिसके प्राप्त होने से मन को व्यथा से मुक्त किया जा सकता है। क्या उस ज्ञान को खोजा जा सकता है? ज्ञानियों की मानें तो यह संभव प्रतीत होता है।

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करम का लेख मिटे ना रे भाई।

करम का लेख का तात्पर्य क्या है? करम का लेख! अर्थात् कर्म अथवा कार्य के विषय में लेख। किसी भी तथ्य के विषय में  लिखा जाता है, तो उस पर लेख तैयार हो जाता है। लेख का संबंध लेखन से है, लिखने की क्रिया से है। और कर्म कुछ करने का भाव अथवा अवस्था है।

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