इच्छाधारी नागिन दो शब्दों का यह मेंल किसी के मन भी में कौतूहल उत्पन्न करता है। इच्छाधारी से आशय है कि जो किसी का भी रूप धारण कर सकता है। इस प्रकार इच्छाधारी नागिन का तात्पर्य यह हुवा कि वैसी नागिन जो अपना रुप-आकार को बदलने में माहिर हो।
पौराणिक भारतीय साहित्य पर नजर डालें तो इच्छाधारी नाग-नागिन का जिक्र मिलता है। प्राचीन काल से ही यह बात प्रचलित है कि सांपो की एक प्रजाति ऐसी है, जो इच्छानुसार अपना रुप बदलते हैं। पौराणिक साहित्य में नागवंशी, नागलोक, नागमणि, नागकन्याओं का भी उल्लेख किया गया है। शेषनाग, बासुकीनाथ, कालिया नाग, तक्षक जैसे शक्तिशाली नागों का उल्लेख मिलता है।
अग्नि पुराण के अनुसार पृथ्वी के भीतर के तल में शेषनाग रहते हैं। पृथ्वी का भीतरी तल सात क्षेत्रों में बंटा हुआ है। उनके नाम हैं – अटल, सतल, तालातल, महातल, रसातल, महत्त्वपूर्ण और पाताल। वायु पुराण के अनुसार वासुकीनाथ सतल में रहते हैं। नागवंश के विषय में उल्लेखित है कि इसकी शुरुआत महर्षि कश्यप से हुवी है। शेषनाग, वासुकीनाथ, तक्षक और पिंगला जैसे शक्तिशाली महर्षि कश्यप एवम् के वंशज कहे जाते हैं।
रामायण काल में लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना जाता है। रावण के पुत्र मेघनाथ की पत्नी सुलोचना को एक नागकन्या बताया गया है। महाभारत काल में एक नागकन्या अहिलवती का जिक्र है जो भीम पुत्र घटोत्कच की पत्नी और परम योद्धा बरबरिक की माता थी। इसी काल में तक्षक नाग का भी जिक्र मिलता है। जिसका द्वंद अर्जुन से हुवा था और कालान्तर में राजा परीक्षित की हत्या उसी ने की थी।
ऐसी मान्यता है कि जो नाग-नागिन सौ वर्ष की उम्र पार कर लेते हैं, इच्छाधारी हो जाते हैं। और फिर वे सैकड़ो वर्षों तक जीवित रहते हैं। नाग-नागिन के विषय में कई और धारणाएं प्रचलित हैं, जैसे वे दुध पीते हैं, उनको मारनेवाले की छवि उनके आंखो में कैद हो जाती है। और उस छवि को देखकर दुसरा जोड़ा अपने साथी के मौत का बदला लेते हैं। नाग-नागिन के पास नागमणि होता है जो किसी भी पत्थर से अधिक कीमती होता है, आदि आदि।
भारतीय सिनेजगत में इसपर कई फिल्में भी बनायी जा चूकी हैं। इन दिनों छोटे पर्दे पर भी इस विषय पर धारावाहिक दिखाये जा रहे हैं। परन्तु क्या वास्तव में इच्छाधारी नागिन होती हैं ? इस प्रश्न का उत्तर अगर वैज्ञानिक दृष्टि से खोजा जाए, तो विज्ञान इस अवधारणा को काल्पनिक और पुरी तरह से मनगढ़ंत मानता है। इस तथ्य को आजतक वैज्ञानिक दृष्टि से प्रमाणित नहीं किया जा सका है। परन्तु इस तथ्य को पूर्णतः नकारा भी नहीं जा सकता। विज्ञान यह मानता था कि सांप केवल एक फन वाले होते हैं। लेकिन अब पांच फनो वाले सर्फ भी देखे जा चूके हैं।
इस संसार में ऐसी बहुत सी बातें प्रचलित हैं, जिसपर विश्वास करना मुश्किल होता है। लेकिन हम विश्वास पूर्वक इन बातों को नकार भी नहीं पाते। इस विश्वास और अविश्वास के बीच अंतर केवल इतना है कि इन बातों का कोई अनुभव नहीं है। जिन्हें अनुभव होता है, उनके लिए यह सच है। इच्छाधारी नागिन के विषय में भी यही कहा जा सकता है कि यह अनुभव का विषय है।