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तनाव से मुक्ति के उपाय !

तनाव से मुक्ति कैसे पाएं ! यह जानना आज के परिवेश में जरूरी हो गया है। आज के समय में हर कोई किसी न किसी कारण से परेशानी में है। प्रत्येक को पारिवारिक एवम् सामाजिक दायित्वों को निभाना ही पड़ता है। पर सब कुछ चाहने के अनुसार नहीं होता। और जो हो पाता हैं, उसके लिए भी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तनाव के आने का यह एक सामान्य कारण होता है। परन्तु अल्प समय में विना अधिक चेष्टा किए हर जरुरतों को पूरा करने की मंशा तनावग्रस्त होने का प्रमुख कारण होता है।

तनाव से मुक्ति कैसे पाएं !

आज के समय में तनाव एक मानसिक समस्या बन चूका है। एक ऐसी समस्या, जिससे लोग अपना मानसिक संतुलन खो रहे हैं। जीवन में तनाव के आने का और भी कारण हो सकते हैं। हर किसी की समस्या भिन्न-भिन्न हो सकती है। लेकिन इसके लक्षण सभी में लगभग एक जैसे होते हैं। अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, किसी भी बात के लिए खुद कोसना, बात बात पर तुरन्त भावुक हो जाना आदि इसके सामान्य लक्षण हैं। तनाव से मुक्ति पाने के उपाय..!तनाव जो जीवन में आते ही रहते हैं, और आते ही रहेंगे। लेकिन इसके हरेक वार का प्रतिकार का प्रयत्न करना भी उतना ही जरूरी है। क्योंकि लम्बे समय तक अगर किसी को इस समस्या गुजरना पड़े तो यह उसके लिए आत्मघाती हो सकता है। प्रस्तुत है कुछ सरल उपाय, जिसे पढ़कर खुद को एवम् दुसरों को भी तनाव से निजात पाने में सहायता की जा सकती है।

अकेलापन से दुर रहना !

अगर किसी को तनाव से गुजरना पड़ रहा हो तो कोशिश यह करना चाहिए कि वह अकेला न रहे। ऐसे में उसके मन में वही विचार प्रबल रुप से हावी हो सकते हैं, जो तनाव के कारण होते हैं। अकेलापन व्यक्ति को भावुक कर सकता है और गलत दिशा में प्रवृत कर सकता है।

समय को बेहतर तरीके से व्यतीत करना !

तनाव के समय में एक-एक पल को सही तरह से व्यतीत करने के अनेक तरीके हैं। इन तरीकों को अपनाकर मन की बैचेनी को कम किया जा सकता है।

परिवार एवम् मित्रों के साथ रहना !

तनाव से गुजरते वक्त परिवार के सदस्यों एवंम् अच्छे मित्रों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करने का प्रयास करना चाहिए। परिवार के सदस्यों के साथ उठना-बैठना, साथ खाना, बातें करना। मित्रों के साथ घुमना-फिरना तनाव को कम करने का एक अच्छा तरीका है।

मन की रूचि के अनुसार कार्य करना !

जिस प्रकार तनाव के कई कारण होते हैं, उसकी प्रकार सबकी रुचियां भी भिन्न भिन्न होती हैं। किसी को गीत-संगीत में, किसी को पुस्तकों के पढ़ने में, किसी को चित्रकारी में आदि अनेक प्रकार की रूचियां होती हैं। अपने पसंद के कार्यों में समय को व्यतीत करना लाभकारी होता देखा गया है।

घरेलू कार्यों में हाथ बंटाना !

तनाव अगर ज्यादा महसुस हो तो घर के छोटे-छोटे काम, रसोई के काम, साफ-सफाई आदि कार्यो में खुद को व्यस्त किया जा सकता है। यानि किसी न किसी बहाने खुद को वयस्त रखना तनाव कम करने का एक सरल तरीका है। प्रकृति के साथ समय बिताना !सुबह-शाम खुली हवा में घुमना, पेड़-पौधों वाले जगहों एवम् यदि उपलब्ध हो बहती नदी तट पर टहलना। रात्रि में खुले आसमान को निहारना आदि समय को व्यतीत करने के अच्छे तरीके हैं।

जल्दी सोना जल्दी उठना!

अंग्रेजी में एक कहावत है ‘early to bed early to rise’। इससे दिमाग को बहुत हद तक क्रियाशील रखने में मदद मिलता है। और जरुरी कार्यों को निबटाने का समय भी मिल जाता है। आज का काम कल को टालने की जरूरत नहीं पड़ती। और इसे रोजाना के नियम में ढाल लो तो नींद भी अच्छी आती है।

वर्तमान में जीना सीखें !

एक बहुत ही सुन्दर लोकोक्ति है, ‘बीती ताहि विसार दे’। यानि जो बीत गया अच्छा या बुरा उस पर न सोचें। हां अगर कुछ गलतियों हुवी हों आपसे तो उसमें सुधार करने का प्रयास अवश्य करें। लेकिन उसके लिए पछतावा न करें। भविष्य की चिंता से भी मन चंचल होता है। इसलिए अपना सारा ध्यान वर्तमान में लगायें।

ना कहना सीखें !

तनाव से मुक्ति का एक सरल मंत्र है, जहां ‘ना’ कहने की जरूरत हो ‘ना’ कहना सीखें। किसी भी तरह का दबाव किसी भी परिस्थिति में अपने ऊपर ना आवे इसका प्रयास करें।

एक बात का ख्याल रखें! जीवन में तनाव देनेवाले अधिकतर ऐसे लोग होते हैं, जो आसपास मौजूद होते हैं। जिनसे निकट का संबंध होता है। वैसे संबंध जो तनाव का कारण बनते हैं, उनसे दुरी बना लेना ही हितकर है। ऐसे लोगों की बातों पर ध्यान न दें। दुसरों के विषय में ही ज्यादा सोचना, दुसरो के समस्याओं में पड़कर खुद के लिए परेशानी खड़ा कर लेना। तनाव का एक प्रमुख कारण है। इस तरह के विचारों, कार्यों से खुद को दुर रखना चाहिए। खुद के हित के लिए सोचना सर्वोपरि है। क्योंकि आप ठीक रहेंगे तभी दुसरों की सहायता भी कर पायेंगे। अगर किसी को सहयोग करना तनाव का कारण होता है तो ‘ना’ कहना सीखें।

किसी से कोई उम्मीद न रखना !

अगर आप किसी के लिए कुछ करते हैं तो बदले में कुछ पाने की उम्मीद पालकर न रखें। अक्सर ऐसा होता देखा गया है कि लोग उम्मीद पर खरे नहीं उतरते। जब आपका उम्मीद टुटता है तो मन व्यथित होता है। अतः इस बात का ख्याल रखें।

व्यायाम, योग का अभ्यास करना !

शरीर और मन को स्वस्थ रखने के अनेक तरीके हैं। सुर्य नमस्कार एक अच्छा व्यायाम है, जिसके करने से शरीर और मन दोनों को लाभ होता है। योग में मन को स्वस्थ रखने के लिए सांस लेने की क्रिया में प्रयोग किया जाता है। ठीक प्रकार से इन विधियों को जानकर, इन क्रियाओं का अभ्यास तनावमुक्त होने में अत्यंत लाभकारी है।

जीवन में ध्यान का होना जरूरी है !

ध्यान (meditation) एक ऐसी विधा है, जिसके नियमित अभ्यास से मन शांत होता है। किसी न किसी रूप में जीवन में तनाव के क्षण आते ही रहते हैं। जीवन में अगर ध्यान का अभ्यास हो तो मस्तिष्क में तनाव का गहरा प्रभाव नहीं पड़ता है। मनोचिकित्सकों ने भी इसे तनाव (stress) को नियंत्रित करने का कारगर उपाय बताया है।

जीवन में प्रार्थना होना चाहिए !

प्रार्थना में याचना की जाती है, इससे हमारा मन तनावमुक्त रहता है। जो सदा तनावमुक्त रहता है, वह और कोई नहीं परमात्मा है। प्रार्थना तनाव से मुक्ति पाने का यह एक उत्तम उपाय है। इससे किसी प्रकार की कोई हानि नहीं होती। मन में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है। कोई किसी भी धर्म संस्कृति को माननेवाला क्यों न हो। प्रत्येक धर्म में उपासना का अपना अपना विधान होता है। इन क्रियाओं को करने से तनाव को कम करने में व्यक्ति सक्षम हो सकता है।एक मात्र परमात्मा है जो अविनाशी है,चिंतामुक्त है, बेफ्रिक है! उसे ध्यान में रखकर अपना हर कर्म करते जाना चाहिए। सुबह उठते ही स्नानादि कर्म से निवृत्त हो जाएं। अपने रोजमर्रा के कार्य में लगने से पहले और रात सोने से पूर्व तरीका चाहे जो भी हो, परमात्मा से सुख-चैन हो जीवन में इसके लिए याचना करना सीखें।

शब्दों का चयन भी आप अपने सुविधानुसार कर सकते हैं। इसमें भाषा का भी कोई बंधन नहीं है। उदाहरण के लिए आप मन ही मन यह बोल सकते हैं ‘हे प्रभु मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो’! इसी बात को अगर अंग्रेजी में बोलना हो तो आप कह सकते हैं ‘Lord take me from darkness to light’! सुबह उठने के बाद और रात को सोने से पूर्व कम से कम 21 बार इन शब्दों का मन ही मन या बोलकर उच्चारण करें। आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपके जीवन में परिवर्तन होना शुरू हो जायगा।

हां कहना सीखें ..!

रोजमर्रा के जीवन में छोटी-मोटी घटनाएं घटती रहती हैं। सभी चीजें मनोनुकूल नहीं हो सकती, इस बात को समझ लेने की जरूरत है। अच्छा या बुरा जो भी हो, उसे स्वीकार करना चाहिए। मन में यह धारणा होना चाहिए कि जो हुवा, हो सकता है इसमें कुछ अच्छा छिपा हो। जो भी हो ‘हां’ कहना सीखें। यह मानकर चलें जो हुवा वह अच्छे के लिए ही हुवा और जो होगा अच्छा ही होगा। सामने जो भी हो रहा है, जैसा भी हो रहा है। मन के अनुसार नहीं हो तो नजरअंदाज करें और अगर अच्छा हो रहा है तो उसका भरपूर आनंद लें।

आशावादी दृष्टिकोण बनाये रखना !

एक चिड़िया जो पेड़ पर घोंसला बनाती है। उस घोंसले को बनाने में उसे मेंहनत करनी पड़ती है। आंधी तुफान में अगर घोंसला नष्ट हो जाए तो पुनः वह उसे बनाने में लग जाती है। और हो सके तो कभी गौर अवश्य करें! पतझड़ के मौसम में जब पेड़ की सारे पत्ते झड़ जाते हैं तो वह घोंसले को छोड़कर नहीं जाती। बरसात के आने का इंतजार करती है। क्योंकि उसे यह मालूम होता है कि पेड़ फिर से हरा भरा हो जायगा। इससे यह सीख मिलता है कि खराब समय भी गुजरता है और फिर से अच्छे दिन आते हैं। अतः तनाव से मुक्ति के लिए हमेशा मन में आस जगाए रखने की जरूरत है।

मनोचिकित्सक से सलाह लें !

अगर इन बातों का कोई प्रभाव तनावग्रस्त लोगों के जीवन पर नहीं पड़ रहा हो तो उसे किसी अच्छे मनोचिकित्सक से मिलना चाहिए। इसमें किसी तरह का कोई संकोच नहीं करना चाहिए। ध्यान रहे किसी भी प्रकार की कोई दवा या ड्रग्स न खुद इस्तेमाल करें और न किसी को करने की सलाह दें। मित्रों आशा करता हूं कि तनाव से मुक्ति का मंत्र एवम् उपायों की जो चर्चा की गई, आपको अच्छा लगा होगा। अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति तनावग्रस्त रहता हो। और आप उसकी सहायता करना चाहते हैं तो उसे इन उपायों को अपनाकर चलने का सलाह अवश्य दें। यह हमेशा याद रखें कि तनाव का प्रतिकार कर उसे दुर किया जा सकता है। यह एक बीमारी है लेकिन इसका इलाज भी है।

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