पल का आशय क्या है जानिए !
पल समय की एक इकाई है। वैदिक मापदंड के अनुसार एक सुर्योदय से दुसरे सुर्योदय के समय को दिवस या दिन कहा जाता है। एक दिवस में साठ घड़ी होते हैं और एक घड़ी में साठ पल होते हैं। समय के वर्तमान मानक के अनुसार एक पल चौबिस सेकेंड के बराबर होता है। यह एक सामान्य शब्द है, किन्तु इसका आशय बहुत सुक्ष्म और प्रभावी है। हमारे जीवन में इस छोटे से शब्द का मिश्रित प्रभाव पड़ता है। कोई लम्हा खुशियों से भरा होता है, तो कोई हमें दुखी कर जाता है। कभी कभी यह इतना प्रभावी हो जाता है कि एक क्षण में सब-कुछ बदल जाता है।
वक्त का खेल निराला होता है!
जिस प्रकार बुंद बुंद से घड़ा भरता है, ठीक उसी प्रकार छोटे-छोटे पलों से जिन्दगी बनती है। जीवन इन्हीं लम्हों का खेल है! इन्हे़ं संवारना सीख लिया तो समझो जीना सीख लिया। अत: जीवन सहजता से जीना हो, तो हर घड़ी जीना सीखना होगा। इस बात को समझ लो, जो घड़ी बीत जाते हैं वे कभी लौटकर नहीं आते हैं। ज्ञानियों का कहना है, कि अगर तुम्हें अपने जीवन से प्रेम है तो वक्त को यूंही मत गंवाओ, क्योंकि जीवन उसी से बना है।
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पल दो पल ही तो जीवन है !
जो विचारक होते हैं, वो विचार करते हैं और अपने विचारों को व्यक्त भी करते हैं। हम उन विचारों को सुनते हैं, पढते हैं, समझते हैं, फिर अपना विचार बनाते हैं। इन पलों, लम्हों के संबंध में शायरों ने कुछ ऐसा कहा है;
जिंदगी एक फन है लम्हों का।
अपने अंदाज से गंवाने का।।
_ जॉन एलिया
बंधी है हांथ में सबके घड़ीयां
मगर पकड़ में एक लम्हा भी नहीं।।
_अज्ञात
लम्हा लम्हा रोज संवरने वाला तू।
लम्हा लम्हा लम्हा रोज बिखरने वाला मैं।।
_जावेद फारूकी
जी लो हर लम्हा जीने से पहले
लौटकर यादें आती है, वक्त नहीं।।
_अज्ञात
दौलत-ए-अहद-ए-जवानी हो गये
चन्द लम्हें जो कहानी हो गये ।।
फरहत कानपुरी
वक्त बीतने के साथ अक्सर ये एहसास होता है
कि जो दुर गया वो लम्हा ज्यादा बेहतर था।।
_अज्ञात
लम्हा हर लम्हा गुजरता ही चला जाता है
वक्त खुशबु है विखरता ही चला जाता है।।
_ तनवीर अन्वी
यह जिन्दगी बस पल दो पल है
जिसमें न तो आज है और ना ही कल है।
जी लो इस जिन्दगी का हर पल इस तरह
जैसे बस यही जिंदगी का सबसे हंसी पल है।
_ अज्ञात
साफ लहजे के हवाले से तो गम है, लेकिन
एक लम्हे की खुशी एक सदी रहती है।।
_जफर इमाम
मैं पल दो पल का शायर हूँ!
इस पल को समझ पाना मुश्किल है। हां जीवन में आने वाले प्रत्येक क्षण को अगर जीना सीख लिया, तो हरेक क्षण का आनंद उठाया जा सकता है। जो जीवन के लम्हों को जीना सीख लेता है, उसका जीवन सफल हो जाता है। इस गीत के माध्यम से सहज अंदाज में साहिर लुधियानवी ने जीवन दर्शन को समझाने का प्रयत्न किया है।
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूं!
मुझसे पहले कितने शायर
आए और आकर चले गए
कुछ आहें भर कर लौट गए
कुछ नग़मे गाकर चले गए
वो भी एक पल का किस्सा थे
मैं भी एक पल का किस्सा हूँ
कल तुमसे जुदा हो जाऊँगा
वो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ
मैं पल दो पल का शायर हूं..!
गीतकार योगेश का यह गीत बताता है कि जीवन में अगर प्रेम हो, कर्म से, कर्त्तव्य से, प्रकृति से या किसी वस्तु से, तो जीवन के पल अच्छे लगते हैं।
कभी कुछ पल जीवन के
लगता है के चलते-चलते
कुछ देर ठहर जाते हैं
कितना भला लगता है, सूरज का ये ढलना
दुनिया से दूर छुप के यहाँ, तेरा-मेरा यूँ मिलना
कभी-कभी दीवानेपन की, हम हद से गुज़र जाते हैं
कभी कुछ …
हर घड़ी हर पल गीत गाता चल!
जो हर राह पर, हर मोड़ पर चलना जानता हैं। जो सबकुछ खो कर भी मुस्कुराना जानता हैं, वह जीवन के हर लम्हों को जी लेता है। रविन्द्र जैन के इस गीत के एक एक कलियों को गौर से पढ़िए।
खुला खुला गगन ये हरी भरी धरती
जितना भी देखूँ तबियत नहीं भरती
सुन्दर से सुन्दर हर इक रचना
फूल कहे काँटोँ से भी सीखो हँसना
ओ राही सीखो हँसना, ओ राही रे
कुम्हला न जाए कहीं मन तेरा कोमल!
चाँदी सा चमकता ये नदिया का पानी रे
पानी की हर इक बूंद देती ज़िन्दगानी
अम्बर से बरसे ज़मीन पे गीरे
नीर के बिना हो भैया काम ना चले
ओ भैया काम ना चले, ओ मेघा रे
जल जो न होता तो ये जग जाता जल !
कहाँ से तू आया और कहाँ तुझे जाना है
खुश है वही जो इस बात से बेगाना है
चल चल चलती हवाएं करें शोर
उड़ते पखेरू खींचे मनवा की डोर
ओ खींचे मनवा की डोर, ओ पंछी रे
पंछियों के पंख लेके हो जा तू ओझल
गीत गाता चल ओ साथी गुनगुनाता चल
ओ बन्धू रे…
हंसते हंसाते बीते हर घड़ी हर पल
गीत गाता चल ओ साथी मुस्कुराता चल !
दुख से मत घबराना पंछी : Udana tujhe akela hai..!
शब्द महत्त्वपूर्ण होते हैं!
साथियों मै अपने प्रत्येक ब्लोग में एक एक महत्त्वपूर्ण शब्दों को केन्द्र में रखकर लिख रहा हूं। अब तक मैंने मन, जीवन, धैर्य, इच्छाशक्ति, संतोष, विश्वास, नजरिया, प्रयास, प्रतिस्पर्धा, व्यवहार, दुख, आनंद, सफलता, आशा-निराशा, क्रोध, अभिमान, अपमान आदि महत्त्वपूर्ण शब्दों पर लिखा है। यह आलेख समय का एक इकाई को केन्द्र में रखकर लिखा हूं। साथ ही इसमें कर्म के आशय को रखने का प्रयत्न किया गया है।
साथियों शब्दों के अर्थ को समझना जरूरी होता है। शब्दों पर चिंतन करो, तो विचार उत्पन्न होते हैं और विचारों से कार्यशीलता। एक शब्द पर चिंतन करने से मनुष्य के जीवन में बदलाव आ जाता है। जीवन में एक एक पल का सदुपयोग करना है, तो शब्दों पर चिंतन होना चाहिए। साथियों एक विचार यह भी है!
जग में कीमती केवल समय है
जो कभी नहीं है वापस आता।
अमूल्य पलों का लाभ जीवन में
कर्मण्य मनुष्य ही पाता।।
उम्मीद करता हूं, मेंरे द्वारा लिखे गये लेख आप सबों को पसंद आ रहा होगा। कोई भी परिपूर्ण नहीं होता, मैं भी नहीं। मेंरे द्वारा लिखित इन लेखों में जहां कहीं भी कुछ त्रुटी नजर आवे, इससे मुझे अवश्य अवगत कराने का कष्ट करें। आपका सहयोग और सलाह मेंरे लिए महत्त्वपूर्ण है।
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