साहस का अर्थ क्या है ? साहस अथवा निडरता एक सकारात्मक मनोभाव है। मन की दो विपरीत अवस्थाएं हैं, साहस और भय। निडरता, निर्भयता का विपरीत है भय अथवा डर। जहां साहस की कमी है, वहां भय की अधिकता है। निर्भय होने और भयभीत होने का संबंध उचित-अनुचित से है। जो उचित है वह करने से कतराना साहस की कमी को दर्शाता है।
डर के आगे जीत है : Victory is beyond fear.
प्रिय मित्रगण ! साहसी व्यक्ति को यह पता होता है कि कोई भी कार्य विना प्रयत्न के संपन्न नहीं होता। एक साहसी साहस का अर्थ से भिज्ञ होता है। वह सागर की लहरों में कुदने और तैरकर निकलने का प्रयास करता है। हांलांकि यह जोखिम से भरा होता है, परन्तु सागर विशाल है, यह सोचकर कोई तैरना ही छोड़ दे तो यह भय का परिचायक है। साहसी व्यक्ति का मनोभाव आत्मविश्वास से परिपूर्ण होता है, वह योजना बनाता है और उसे क्रियान्वित करता है।
जिन खोजा तिन पाइयां गहरे पानी पैठ।
कबीर
मैं वपूरा बुडन डरा रहा किनारे बैठ।।
उक्त दोहा संत कबीर की वाणी है! भावार्थ है; प्रयत्नशील व्यक्ति को कुछ न कुछ उसी प्रकार से प्राप्त हो जाता है, जैसे कि कोई गोताखोर पानी के अन्दर जाता है और कुछ न कुछ लेकर आ जाता है। परन्तु कुछ ऐसे भी होते हैं जो डुबने के भय से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं। किनारे वैठ कर देखने वाले को कुछ भी प्राप्त नहीं होता। भय मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।
निर्भयता की अनेक वीरगाथाओं से पुस्पकों के पन्ने भरे पड़े हैं। अध्ययन-मनन के द्वारा इन गाथाओं से सीख लिया जा सकता है। हमारा इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है। परन्तु यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने अतीत को किस प्रकार से लेते हैं? हम अपने अतीत के किन घटनाओं पर क्या सोचते हैं? अगर हम भय में जी रहे होते हैं तो हमारा प्रतिक्रिया नकारात्मक होता है, और जब साहस के साथ जी रहे होते हैं तो सकारात्मक होते हैं।
“अगर सारी कठिनाइयों से हार न मानकर मैं इतना हासिल कर सका हूं, तो कोई और भी ऐसा कर सकता है”
उपरोक्त कथन महान वैज्ञानिक एवम् पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की है। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक “fourge your future” जिसका हिन्दी रुपांतरण है “आपका भविष्य आपके हाथ में” , उन्होंने अपने अनुभवों को रखा है। उन्हीं के शब्दों में; ” बचपन से ही मैने हवा में उड़ने का सपना पाल रखा था। पर जब वायुसेना में ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ के इंटरव्यू में कामयाब नहीं हो सका, तो सपना टुटने के बाद हिमाचल में ऋषिकेश तक पैदल यात्रा की, और जो कुछ हुवा उसे स्वीकार करने की कोशिश करने लगा। हममें से कई लोग जिन चीजों की उम्मीद से जीते हैं, जब वह नहीं मिलती तो हार मान लेते हैं। जिसे हम पुरी शिद्दत से चाहते हों, जिसे हमने लगातार चाहा हो, उसके न मिलने पर भी जिंदगी में आगे बढ़ते जाना ही साहस है।”
साहस जीत का सिंहनाद नहीं है। साहस वह धीमी सी आवाज है जो कहती है, कल मैं फिर कोशिश करुंगा।
एपीजे अब्दुल कलाम
साहस का अर्थ क्या है ? साहस का परिचय क्या है ? इस संबंध में एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा है कि “साहस का अर्थ डर का न होना नहीं बल्कि डर पर जीत हासिल करना है। साहस की पहली और सबसे महत्वपूर्ण पहचान है कि डर का अनुभव होने के बावजूद व्यक्ति वह करता है जो उचित है। साहस की दुसरी पहचान है अपने दिल की सुनना। साहस की तीसरी पहचान है, कठिनाइयों का सामना होने पर भी डटे रहना। जो सही है उसका साथ देना साहस की चौथी पहचान है। और साहस की पांचवी पहचान है, दुनिया को युवाओं वाले गुण चाहिए- उम्र विशेष के नहीं, बल्कि वैसी मनःस्थिति, इच्छाशक्ति, कल्पनाशीलता, डर के मुक़ाबले साहस की प्रधानता, जोखिम उठाने की भुख। जितना साहस होता है, उसी के अनुपात में जिंदगी सिकुड़ती या फैलती है।”
धर्म क्या है जानिए ! Know what is religion …
स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि इस संसार में हमारे लिए धर्म की पृष्ठभूमि लेकर कार्य करने के सिवा दुसरा उपाय नहीं है। किसी भी व्यक्ति को सफल होने के लिए धर्म , धैर्य और साहस को मन में धारण करना अनिवार्य होता है।
धैर्य रखना जरूरी क्यों है – Why it is important to be petient
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।।
‘साहस का अर्थ’ और महत्त्व जीवन में क्या है ? इसे समझने के लिए स्वामी विवेकानंद के शब्दों पर विचार किजिए।
उन्होंने युवाओं को आवाहन देते हुए कहा था ; “हमें निर्भय होना होगा, तभी हम अपने कार्य में सिद्धि प्राप्त करेंगे। किसी बात से मत डरो! तुम अद्भुत कार्य करोगे। जिस क्षण तुम डर जावोगे, उसी क्षण तुम बिल्कुल शक्तिहीन हो जानोगे। संसार में दुख का मुख्य कारण भय ही है, यही सबसे बड़ा कुसंस्कार है। और यह साहस है जिससे क्षण भर में स्वर्ग प्राप्त होता है। अतएव उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाय।