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सपने साकार कैसे करें? — How To Make Dreams Come True?

सपने तब तक काम नहीं करते जब तक आप काम नहीं करते !

सपने देखना, सपनों का दिखना और अपनै सपनों को साकार करना, अलग-अलग विषय है। सबसे पहले सपने क्या होते हैं ? यह समझना जरूरी है। किसी एक मान्यता के आधार पर इसकी व्याख्या नहीं हो सकती है। सामान्य दृष्टि में मनुष्य जब सुषुप्तावस्था में होता है, तो तरह तरह के दृश्य चलचित्र की भांति उसके समक्ष उपस्थित होते हैं। सोते समय दिखने वाले इन्हीं दृश्यों को स्वप्न समझा जाता है। सपने में कुछ भी मौजूद नहीं होता, पर सभी प्रकार के वस्तुएं दिखाई पड़ती है। और सपने देखने वाले के जाग जाने तक वह सब-कुछ असली लगता है।

स्वप्न व्यक्ति की यादों, भावनाओं, कल्पनाओं, विचारों, इच्छाओं और उसके डर का एक मिला जुला प्रारुप है। सोते समय दिखने वाले सपनों को व्यक्ति के पूर्व जन्म से भी जुड़ा हुआ माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि कुछ सपने भविष्य का संकेतक होते हैं और सच भी हो जाते हैं। कुछ सपने अच्छे होते हैं और कुछ सपनों का जीवन में गलत प्रभाव पड़ता है। इसी को आधार मानकर ज्योतिष शास्त्र में स्वप्नफल जानने का विधान बताया गया है। किन्तु आधुनिक विज्ञान इन विचारों को अंधविश्वास मानता है। वैज्ञानिक दृष्टि से सोते समय की चेतना की अनुभुतियों को स्वप्न कहते हैं। 

दार्शनिक दृष्टि से स्वप्न मनुष्य के दमित वासनाओं का परिणाम है। मन की दो अवस्थाएं होती हैं, चेतन और अचेतन। चेतन मन जाग्रत अवस्था में सक्रिय रहता है, और अचेतन मन हमेशा सक्रिय रहता है। चेतन मन जब सुषुप्तावस्था में हो तब भी अचेतन मन क्रियाशील रहता है। और जब सुषुप्तावस्था में अचेतन मन दमित वासनाओं की पुर्ति करने लगता है, तो सपनें दिखाई देते हैं। 

सुषुप्तावस्था में जो सपने दिखते हैं, वे व्यक्ति के पुरे ना होने वाले कामनाओं की झलक होती हैं। सोते समय दिखने वाले सपनों का लगाव अतृप्ति से होता है। यह जो अतृप्ति है, इस जन्म का अथवा पूर्व जन्म का भी हो सकता है। क्योंकि चेतन मन तो मृत्यु के साथ तिरोहित हो जाता है। पर अचेतन मन उसके पश्चात भी आत्मा के साथ आसक्त होकर अपना अस्तित्व बनाए रखता है।

विभिन्न मान्यताओं पर विचार करने के बाद एक निष्कर्ष निकलकर सामने आता है।  निष्कर्ष यह है कि मन और इन्द्रियों के अन्तर्मुखी होने से स्वप्न की सृष्टि होती है।

स्वप्न मनुष्य की अभिलाषाओं, समस्याओं, लालसाओं का एक अन्तहीन चलचित्र है। सुषुप्तावस्था में मनुष्य का मन ऐसे दृश्य दिखाता है, जैसे वह जागते हुए यह सब देख रहा है। और जो दिख रहा होता है, ऐसा प्रतीत होता है मानो वह सच ही है। परन्तु सच क्या है इसे तो अनुभव के द्वारा ही जाना जा सकता है।

जागते हुए जो सपने देखे जाते हैं उनका महत्त्व कुछ और होता है। चेतन मन जब किसी विषय पर सोचता है! अपनी अभिलाषाओं को पूर्ण करने के लिए कल्पना करता है! तो यह समझा जाता है कि वह सपने देख रहा है। कोई व्यक्ति क्या करना चाहता है, क्या बनना चाहता है। उसकी  कौन-कौन सी अभिलाषाएं हैं, जिन्हें वह पुरा करना चाहता है। अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए वह कल्पना करता है। फिर कल्पनाओं के सहारे वह योजनाओं का निर्माण करता है। और योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए परिश्रम करता है। इन कल्पनाओं को सपने देखना, योजनाओं को सपने सजाना और इच्छाओं की पूर्ति होना सपनों का साकार होना समझा जाता है। 

एक पुरानी कहावत है कि ‘कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो! जानकारों कि माने तो उनका कहना है कि सपने अपने अवकात से बढ़कर देखना चाहिए। छोटे सपने नहीं देखनी चाहिए। इन सपनों में व्यक्ति के मन को झकझोरने की ताकत नहीं होती। प्रत्येक व्यक्ति के भीतर वो शक्ति है, धैर्य है, ललक है कि वह सितारों को छु सकता है। यानि कि अपने प्रयास के बल पर असंभव को भी संभव कर सकता है। यह बात बिल्कुल स्पष्ट है  कि जो सपने देखते हैं, उन्ही के सपने साकार भी होते हैं। 

स्वप्नद्रषटा व्यक्ति का आशावादी होना जरूरी है। जो स्वप्न को यथार्थ में परिवर्तित करने की चाहत रखता है। उसके लिए यह मायने नहीं रखता कि वह कितना साधन सम्पन्न है। वह अपने लिए अवसर खोज लेता है। वह जब सपनों में जी रहा होता है, तो सकारात्मक होता है। और इन विचारों के साथ अपनी योजनाओं का क्रियान्वयन करता है। अधिकांशतः देखा गया है कि ऐसे लोगों के सपने साकार होते हैं।

निराशा में आशा छुपी है – Nirasha Me Asha Chupi Hai

अनेक विचारकों ने जाग्रत अवस्वा में स्वप्न देखने की मानसिकता को महत्त्वपूर्ण माना है। पर उन्होंने यह भी कहा है कि अगर सपने साकार करने के प्रयास ना हों तो यह निरर्थक हो जाता है। प्रयास विहीन सपनों को ख्याली पुलाव, कोरी कल्पना, दिवास्वप्न आदि संज्ञा दे दी गई है।

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती : Never give up

आइए कुछ वैसे विभुतियों के विचारों पर नजर डालते हैं, जो अपने सपने साकार कर गए। अपने विचारों से प्रेरित करने वाले महान वक्ता स्वेट मार्डन के शब्दों में: 

  • अभिलाषा तभी फलदायक होती है, जब वह दृढ़निश्चय में परिणत कर दे जाती है।

महान वैज्ञानिक, विचारक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने युवाओं के मन को झकझोरने का प्रयास किया है। उन्होंने स्वयं अपने सपनों को साकार करके दिखाया भी है। इस बात से सभी अवगत हैं कि वह एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे। अपने दृढनिश्चय और प्रतिभा के दम पर उन्होंने जो कुछ हासिल किया वह दुसरों के लिए मिसाल है। सपनों के विषय में उनके कुछ विचार हैं, जो खुद उन्होंने कहा है !

  • इससे पहले कि आपके सपने सच हों, आपको सपने देखने होंगे !
  • सपने देखना बेहद जरूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंजिल को हासिल नहीं किया जा सकता! सबसे ज्यादा जरुरी है जिन्दगी में खुद के लिए कोई स्वप्न तय करना।
  • महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेंशा पुरे होते हैं।

विचार जब सोचने के तरीके पर हो, सपनों को साकार करने की हो। और इन चर्चाओं के क्रम में स्वामी विवेकानंद के विचारों का उल्लेख नहीं हो ! तो चर्चा अधुरा सा लगता है। जिनका जीवन गाथा हर किसी को प्रेरित करता है, उनके विचारों का उल्लेख जरूरी हो जाता है। 

  • तुम जो सोचते हो तुम बन जावोगे! यदि तुम खुद को कमजोर समझते हो तो कमजोर हो जावोगे! और अगर खुद को ताकतवर समझते हो तो ताकतवर हो जावोगे।
  • हम वो हैं जो हमारे सोच ने हमें बनाया है! इसलिए इस बात पर ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं! शब्द गौण हैं विचार दुर तक यात्रा करते हैं..!
  • अगर आपने सोच लिया कि आप कर सकते हैं और आपको हर हाल में करना है ! तो आपका आत्मविश्वास बढ़ जायगा और आप कुछ ना कुछ रास्ता निकाल लोगे।
  • एक विचार लो, उस विचार को अपना जीवन बना लो, उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो, उस विचार को जियो! अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को किनारे रख दो! यही सफल होने का तरीका है।
  • उठो जागो और तब तक ना रुको जब तक कि लक्ष्य को प्राप्त न कर लो।

स्वामी विवेकानंद – Swami Vivekanand Ka Mahan Jeevan

प्रत्येक व्यक्ति की कुछ ना कुछ अभिलाषाएं होती हैं। सबके अपने सपने होते हैं। कुछ के सपने कोरी कल्पना होकर रह जाते हैं। तो कुछ के सपने साकार भी होते हैं। जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक है, पहले यह निश्चय करना कि क्या करना है। क्या पाना है, क्या बनना है, फिर उसे पाने के लिए निश्चय कर लेना है। सपने देखना और इसे साकार करना दोनों में फर्क होता है। अगर अपने सपने साकार करना चाहते हैं, तो इसके लिए पुरी तैयारी करनी होगी। एक बार लक्ष्य तय कर लेने के पश्चात निरंतर आगे बढ़ते रहना होगा। 

सफलता और विफलता : Failure on the way to success !

अगर कोई अपनी इच्छाओं को पुरा करना चाहता है। तो उसे स्वप्नद्रष्टा होने के साथ-साथ यथार्थ का सृष्टिकर्ता भी होना होगा। क्योंकि जो व्यक्ति कुछ नहीं करता उसके सपने भी काम नहीं करते हैं। जागरुक और कर्मशील व्यक्ति के सपनों में जिम्मेदारी की शुरुआत होती है। सकारात्मक विचारों के साथ ही कोई अपने सपने साकार कर सकता है।

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