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व्यथित मन पर कविता।

व्यथित मन, अर्थात् मन में जब चिंता, तनाव, असमंजस का भाव व्याप्त हो। दुख के भाव से पीड़ित मन व्यथित मन है। लेकिन मन की व्यथा के कई कारण हो सकते हैं। परन्तु मुख्य जो कारण है, वह मन ही है। मन की कामनाएं ही मन की व्यथा के कारण होती हैं। अगर आप मन की व्यथा से पीड़ित हैं, तो इससे निपटने का उपाय भी आप को ही खोजना होगा। 

व्यथित मन और चिंतामुक्त मन की अवस्थाएं एक दुसरे से भिन्न होती हैं। इन्हीं भावों को व्यक्त करती एक स्वरचित कविता आपके समक्ष प्रस्तुत है:

व्यथित मन

व्यथित मन की आहट
अंतर में छुपी बेचैनी बनी
उदासी के बादल छा गए
भर गया दुख की बूंदों से
निराशा में जीवन का ताल।

उलझा मन चिंता की जाल में
भावनाओं के कोपल मुरझा गए
विचारों से सुन हुवे सीने में
परेशानी के बादल छा गए।

आँखों में नींद नहीं,
चेहरे पर मुस्कान नहीं
व्यथित मन की आहट
बेगाना कर गई राहों में।

चिंतामुक्त मन

फिर आया एक ऐसा पल
सुनहरा रोशनी के लिए
मानो धुंध में छुपा सुरज
निकला किरणों को लिए।

छुपा है हर तन्हाई की धुंध में
एक मीठी हंसी की आस
एक अगर बंद हो जाता है
तो खुल जाता है दुजा द्वार
होता है जो कहीं वहीं पास।

छंट गए मन की व्यथा के बादल
मिल गया बेचैनी से निजात
जीने की राह हुवी सुनहरी,
हुवी नई आस की शुरुआत।

चिंता से मुक्त हुवा मन
खिला भावनाओं का सुमन
आस की बदली बरस गई
भर गया खुशी की बुंदों से
इस बारिश में जीवन का ताल।

उलझा हुआ था मन
विचारों के उलझन में
बोझिल मन मुक्त हुवा
आँखों में छायी मस्ती,
और चेहरे पर मुस्कान।

बदल गया मन का संगीत,
विचारों के बादल छंट गए
व्यथीत मन की आहट
अंतर में छुपी खुशियों की
उमंगों की गुंजाइश बनी।

था व्यथीत मन के गहराई में
हैं निरव शांति का सागर
भीतर उंमुख हुवा जो मन
खोजा उसी ने सुख का गागर‌।

चिंतामुक्त मन एक ऐसी स्थिति है जिसमें मन पूर्णतः शांत होता है और किसी भी चिंता, चिंताजनक विचार या चिंताजनक परिस्थिति के साथ इसका संबद्ध नहीं रहता है। इस स्थिति में हमें निरंतर शांति एवं सुख महसूस होता है। और हम जीवन के अनुभवों का आनंद उठाने लगते हैं।

चिंतामुक्त मन की स्थिति प्राप्त करने के लिए, हमें अपने मन को सकारात्मक विचारों से भरना चाहिए और नकारात्मक विचारों एवं सोचों से दूर रखना चाहिए। 

चिंतामुक्त मन हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। 

अगर किसी कारणवश आप दुखी हैं, तो अपने व्यथित मन को सकारात्मक सोच की धारा में प्रवाहित करने का प्रयत्न करें। अपनी समस्याओं को सकारात्मक ढंग से देखें और उसी दिशा में बढ़ने के लिए प्रयास करें। इसके लिए हम ध्यान, ध्यानाभ्यास, मेधावी विचार, सकारात्मक बातचीत आदि के माध्यम से अपने मन को निरंतर प्रेरित एवं ऊर्जावान रख सकते हैं।

ध्यान क्रिया के निरंतर अभ्यास से व्यथित मन को शांत किया जा सकता है। मन की व्यथा को दुर करने का जो सबसे उत्तम उपाय है, वह है ध्यान। इसके द्वारा आप सकारात्मक ढंग से  जीने की कला की खोज कर सकते हैं। 

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