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अनुराग का अर्थ

अनुराग मूलत: संस्कृत भाषा का एक शब्द है। यह राग में अनु उपसर्ग लगाकर बना है। राग का अर्थ होता है लगाव, आसक्ति। जो कुछ भी ऐसा हो, जिसमें मनुष्य की चाहत जु़ड़ी हो राग कहलाती है। राग का संबंध मन से है, यह एक मनोभाव है। राग में सुख और दुख दोनों का समावेश […]

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मन की व्यथा : रहीम के दोहे

मन की व्यथा! अर्थात् मन में दुख का भाव। जब किसी बात को लेकर मन में पीड़ा का अनुभव होता हो। दुख, पीड़ा, व्यथा से मन का व्यथित होना भी स्वाभाविक है। यह जो पीड़ा है मन की, इसे सहन भी करना पड़ता है। पर सभी ऐसा नहीं कर पाते। अधिकांशतः लोग दुख से घबरा

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चिंता से मुक्ति कैसे पाएं!

चिंता से मुक्ति! अर्थात् अपने बुद्धि को उस स्तर पर ले जाना, जहां चिंता हमें ग्रसित न कर सके।  चिंताग्रस्त रहना किसी को भी अच्छा नहीं लगता। पर किसी न किसी वजह से सभी इसके जाल में उलझे रहते हैं। यह जो चिंता है! एक मान्सिक स्थिति है। जीवन में जब असहज स्थितियां उत्पन्न होती

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भ्रम से मुक्ति कैसे पाएं..!

भ्रम से मुक्ति कैसे पाएं! यह एक जटिल प्रश्न है। इससे बाहर निकलने के मार्ग तो हैं। परन्तु जब तक यह पता न हो कि यह जो भ्रम है! कौन सी चीज है, कौन सी स्थिति है? तब तक हम इससे पार पाने का सोच भी नहीं सकते। तो फिर यह भ्रम क्या है?  ऐसा

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भ्रम क्या है जानिए – know what is illusion…

भ्रम क्या है? मिथ्या ज्ञान, झुठा विश्वास या फिर छलावा। यह वास्तविक है या वास्तविकता से परे है। जो भी हो, इस शब्द की व्याख्या तार्किक रूप से करना ही बेमतलब की बात है। क्योंकि यह जो भ्रम है, बुद्धि के स्तर से इसका कोई तालमेल नहीं है। जिस व्यक्ति की यह मान्यता हो कि

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ज्ञानयोग क्या है : What is GyanYoga …

शाब्दिक रुप में ज्ञानयोग दो शब्दों का युग्म है। एक शब्द है ज्ञान और दुसरा है योग। ज्ञान एक शब्द है, जो ‘ज्ञ’ धातु से बना है, जिसका आशय है जानना। और योग का अर्थ है जोड़ना। इस प्रकार ज्ञानयोग का शाब्दिक अर्थ हुवा जानने की क्रिया से है। गहनता से विचार करें तो ज्ञानयोग

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मन का आपा खोय …

मन का आपा खोय – इस ऊक्ति का आशय है मन को अहंकार से मुक्त करना। यह उक्ति एक कबीर वाणी का अंश है। ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय।औरन को शीतल करे आपहूं शीतल होय।। ऐसी वाणी बोलिए !  जो सुनने में मधुर लगे, जिससे किसी को कोई कष्ट ना पहुंचे। वाणी एक

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विचार का अर्थ: meaning of thought.

विचार का अर्थ है, वह जो कुछ मन के द्वारा सोचा जाता है, वह जो मन में उत्पन्न होता है। यह एक भाव है, इसका आशय मन में उत्पन्न होनेवाली किसी भावना से है। विचार एक प्रक्रिया हैँ, यह किसी विषय-वस्तु के संबंध में केवल सोचना ही नहीं, सोचकर निर्णय लेने की भी क्रिया है। 

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ईश्वर क्या है जानिए…

ईश्वर क्या है!! एक कल्पना, अवधारणा अथवा सच में ईश्वर का अस्तित्व है। यह जो शब्द है, इस शब्द का अर्थ हमेशा से खोज का विषय रहा है। संसार में ईश्वर को माननेवाले और नहीं माननेवाले दोनों ही तरह के लोग मौजूद रहे हैं। यह एक ऐसा विषय है, जिसके संबंध में हमेशा से ही

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सांची कहे कबीरा ..!

सांची कहे कबीरा! अर्थात् कबीरदास ने जो कहा है, सच कहा है। ज्ञानीजन सच की ओर इशारा करते हैं! उनकी जो बातें हैं, वास्तव में उनके अनुभव हैं। परन्तु वे किसी के ऊपर अपने विचारों को थोपते नहीं। ऐसा इसलिए कि लोग स्वयं इन बातों पर विचार करें। और हो सके तो इन बातों से

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नियंत्रण का अर्थ…

नियंत्रण क्या है? नियंत्रण का अर्थ है! वश में करना, रोकना – टोकना, यह सुधार की प्रक्रिया है। अगर हमारे साथ अथवा हमारे समक्ष कुछ ऐसा हो रहा हो, जो अनुचित हो। कोई कार्य या व्यवहार, जो नियम के विरुद्ध हो, अनैतिक हो। तो वैसे कार्य-वयवहार पर अंकुश लगाना और उसे सही दिशा देने का

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