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मन के जीते जीत ..!

मन के जीते जीत ! यह उक्ति मन की शक्ति के महत्व को दर्शाती है। मनुष्य की शक्ति उसके मन पर ही निर्भर करता है। कोई भी मनुष्य समस्त सांसारिक कार्यों को अपने शरीर के द्वारा ही संपन्न करता है। परन्तु उसके शरीर को क्रियान्वित उसका मन ही करता है। जब मन चलता है तो […]

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शारदिय नवरात्र का महत्व ..!

शारदिय नवरात्र हिन्दू धर्मावलंबियों के बीच प्रचलित एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक दैवी शक्ति की आराधना की जाती है। इस नौ दिनों तक चलने वाले पावन अनुष्ठान को  शारदिय नवरात्र कहा जाता है। इस आलेख में अध्ययन के आधार पर शारदिय नवरात्र के विषय में चर्चा की जा

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इच्छा की शक्ति क्या है ..!

इच्छा की शक्ति क्या है ? इसका सरल उत्तर है कि वह शक्ति जो हमें कर्म की ओर अग्रसर करती है। इच्छा अगर बलवती हो, प्रबल हो तो इसके पूर्ण होने संभावना भी प्रबल होती है। इच्छा अर्थात् मन में कुछ पाने का भाव उत्पन्न होना। इच्छा की शक्ति क्या है जानिए ! अब जरा

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आप भला तो जग भला ..!

आप भला तो जग भला! इस पद का का अर्थ है, अपने आप में जो अच्छा है, भला है, उसे सब अच्छा लगता है, सभी लोग अच्छे लगते हैं, समस्त संसार उसे अच्छा जान पड़ता है। अब प्रश्न है कि बुरा कौन है ? तो इसका सरल उत्तर यही है कि जो अच्छा नहीं है।

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साधना से सिद्धि

साधना से सिद्धि – इस वाक्यांश में दो शब्दों का प्रयोग हुवा है। एक है ‘साधना’ और दुसरा ‘सिद्धि’। वाक्यांश का आशय है कि साधना के द्वारा ही सिद्धि की प्राप्ति होती है। साधना क्रिया है और सिद्धि कार्य के संपन्न होने की अवस्था है। पिछले आलेख में साधना के अर्थ और महत्व पर चर्चा

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साधना का अर्थ क्या है ?

साधना का एक अर्थ है नियंत्रित करना , नियंत्रण में लाना। अब नियंत्रण में किसे लाना है ! किसी विषय-वस्तु को , दुसरों को अथवा स्वयं को ! यह चिंतन का विषय है।

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मन की निर्मलता : purity of mind.

मन की निर्मलता ! अर्थात् मन का निर्मल होना। निर्मल का शाब्दिक अर्थ है, कोई मल न हो! मल मुक्त यानि कोई गंदगी नहीं, बिल्कुल स्वच्छ, पवित्र, पावन। अब जरा सोचिए! मन कोई वस्तु तो है नहीं, मन तो एक आभाषित त्तत्व है। तो फिर मन की निर्मलता का अर्थ क्या है?  जानिए! मन की

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मन की प्रकृति : nature of mind.

मन की प्रकृति यानि मन का स्वभाव ! इसके चाल-चलन, व्यवहार को दर्शाता है। तो कैसा है, हमारे मन का स्वभाव ! क्या हम इसे जानने का प्रयास करते हैं?  मन की प्रकृति क्या है जानिए ! इस मन के विषय में बहुत सी बातें कही गई हैं। जैसे मन चंचल है, यह कभी स्थिर

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स्वाभीमान का अर्थ :

स्वाभीमान का अर्थ है ! स्वयं पर अभिमान। यह एक अमूर्त अवधारणा है। यह स्व और अभिमान का मेंल है। स्व का अर्थ आत्म से है, स्वयं से है। इस प्रकार स्वाभीमान का अर्थ हुआ स्वयं पर अभिमान। अभिमान दुसरों से स्वयं को अधिक सम्मानित समझने का मनोभाव है। अभिमानी दुसरों की उपेक्षा करता है,

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मनोकामना का अर्थ : meaning of wish.

मनोकामना, अर्थात् मन की कामना। कामना एक मनोभाव है, जो मन में सृजित होता है। सामान्यतः कामनाओं को जगाना और उन्हें पूर्ण करने की लालसा ही मन की प्रकृति है। मन की जो चाहत होती है, वह उसे ही पाने में लगा रहता है। यह जो लालसा है, यह भी मनोभाव है, जो कामना की

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मन की रिक्तता : emptiness of mind.

जानिए मन की रिक्तता का अर्थ क्या है ? मन की रिक्तता ! रिक्तता का आशय है रिक्त होने की अवस्था, खालीपन अर्थात् जहां कुछ भी न हो। इस प्रकार मन की रिक्तता का अर्थ हुवा, मन के रिक्त होने की अवस्था। शाब्दिक अर्थ तो यही निकलता है- मन की ऐसी अवस्था जहां कुछ भी

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