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असफलता एक चुनौती।।

असफलता एक चुनौती है, ऐसा कहने का तात्पर्य क्या है? ऐसा कहा गया है, और कहा जाता है। इस बात पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि जानकरों ने ऐसा कहा है। 

असफलता एक चुनौती है, इस कथन में मुख्यत: दो शब्दों का उल्लेख है। एक है असफलता, और दुसरा है चुनौती। जब किसी कार्य को करने का प्रयत्न किया जाता हो। और परिणाम वांक्षित न मिले तो इसे असफलता समझा जाता है। सामान्यतः कोई भी कार्य सफल होने की मंशा के साथ ही किया जाता है। सफलता वांक्षित है, प्रत्येक कार्य सफल होने की मंशा के साथ ही किया जाता है।

असफलता वांछित नहीं है, यह केवल सफलता के विपरीत की अवस्था है। असफलता को स्वीकार नहीं किया जा सकता। परन्तु विभिन्न कारणों से हमेशा वांक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हो पाता है। चूंकि असफलता वांक्षित नहीं होता, इसलिए यह अस्वीकार्य है। इसलिए इसे चुनौती के रूप में लेने की सीख जानकारों ने दी है। 

चुनौती का आशय ललकार से है, आवाहन से है। अब यहां पर यह सोचने की जरूरत है कि ललकारना किसे है? सीधा और स्पष्ट जबाब है कि ललकारना खुद को है। खुद से यह कहना कि हम असफल नहीं हो सकते, हमें केवल सफल होना है। असफल होने के कारणों को खोजकर, प्राप्त अनुभवों से सीख लेते हुए, सफलता को आवाहन देकर, पुनः कार्य में प्रवृत्त होना जरूरी है। असफलता एक चुनौती है, इस बात का यही आशय है।

विफलता के कारण!

विफलता के कारण विभिन्न हो सकते हैं। यह व्यक्ति या स्थिति के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। कुछ आम कारण होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

. असमर्थ होना: असमर्थता विफलता का सबसे बड़ा कारण होता है। असमर्थता शारीरिक, मानसिक, वित्तीय अथवा सामाजिक भी हो सकती है।

२.आलस्य: कुछ लोग सफल होने के लिए निरंतर प्रयास नहीं करते। सफल होने के लिए काम करने की बजाय केवल सोच विचार करते रहते हैं। इसका मुख्य कारण है उनके स्वभाव में आलस्य का होना। 

३. पराश्रित होना: कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके पास अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उपयुक्त संसाधन नहीं होते। और आवश्यक संसाधनों को जुटाने के लिए दुसरों पर आश्रित हो जाते हैं।  

४. विवाद: विफलता का एक अन्य कारण विवाद हो सकता है, जो आपके उद्देश्यों तक पहुंचने में आपको विलंब कर सकता है।

५. गलत निर्णय: गलत निर्णय भी विफलता का कारण हो सकता है। कुछ लोग अपने लक्ष्य तक पहुंचने के योग्य निर्णय नहीं ले पाते। इससे उनके सफल होने की संभावना कम हो जाती है। 

७. धैर्य नहीं रखना: सफलता एक ऐसा परिणाम है, जो दृढ़ संकल्प और धैर्य रखने से मिलता है। किसी भी कार्य को संपन्न होने में समय लगता है। अधिकतर लोग इसके लिए धैर्य नहीं रख पाते, जो असफलता का एक कारण है। 

यदि कोई विफल होता है तो उसे उससे सीखने की जरूरत होती है। उसे इस संदर्भ में अपनी गलतियों का समीक्षा करना चाहिए, ताकि वह अपने दुर्भावनाओं, त्रुटियों और अन्य कारणों को बेहतर ढंग से समझ सके। इससे वह अगले बार बेहतर कर सकता है।

जब हम अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में असफल होते हैं, तो हमें निराश नहीं होना चाहिए। इस दौरान, हमें सीखने और सुधार करने का मौका मिलता है। इसलिए, हमें अपनी गलतियों से सीखना चाहिए और अगली बार बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करनी चाहिए।

विफलता से निपटने के लिए कुछ सुझाव, जो निम्नलिखित हैं:

अपने लक्ष्य का स्पष्टीकरण: सबसे पहले, हमें अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करना चाहिए और उन्हें समझने का प्रयत्न करना चाहिए। 

अपनी क्षमता एवं दुर्बलता पर विचार: हमें अपनी क्षमताओं के बारे में जानना चाहिए और अपनी दुर्बलताओं को भी संज्ञान में लेना चाहिए। अगर कोई दुर्बलता हो, तो पहले उसे दुर करने का प्रयत्न करना चाहिए। कार्य के अनुरूप योग्यता को विकसित कर कार्य में लगना हमेशा अच्छा होता है। 

सही मार्गदर्शन: हमें एक सही मार्गदर्शक खोज लेना चाहिए जो हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सही राह दिखा सके।

गलतियों से सीखना: हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और उनसे सीखना चाहिए। इससे हम अपनी गलतियों से सीख कर उन्हें दोहराने से बच सकते हैं और फिर से उनका सामना नहीं करना पड़ेगा।

सक्रिय रहना: हमें निरंतर सक्रिय रहना चाहिए ताकि हमें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद मिल सके। इसके लिए हमें निरंतर अपने काम में लगे रहना चाहिए। 

स्वस्थ मानसिक स्थिति: सफल होने के लिए हमें स्वस्थ मानसिक स्थिति बनाएं रखनी चाहिए। इसके लिए हमें ध्यान, योग, प्राणायाम जैसी गतिविधियों को अपनाना चाहिए।

खुद पर विश्वास : सफलता के लिए हमें खुद पर विश्वास करना चाहिए। हमें अपनी क्षमताओं को समझना चाहिए और उनके अनुसार कार्य करना चाहिए।

असफलता का समाधान यह है कि हमें अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए। हमें अपने लक्ष्यों को पाने के लिए उचित योजना बनानी चाहिए। सही मार्गदर्शन का सहारा लेना चाहिए। समय का उपयोग सही ढंग से करना चाहिए। और परिणाम आने तक धैर्य रखना चाहिए। इसके अलावा, सफलता के लिए स्वस्थ शारीरिक स्थिति, उच्च स्तर का ज्ञान, जुझारू मानसिक स्थिति और सकारात्मक सोच भी महत्वपूर्ण हैं। इस प्रकार असफल होने से बचा जा सकता है और सफलता हासिल की जा सकती है। 

असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो,
जब तक सफल न हो नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष कर मैंदान छोड़कर मत भागो तुम,
कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

सोहनलाल द्विवेदी

उपरोक्त पंक्तियों के माध्यम से कवि ने यही सीख देने का प्रयास किया है। द्विवेदी जी के अनुसार भी असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करना चाहिए। इससे हताश होकर कार्य से विमुख नहीं होना चाहिए। सफलता ही वांछित है, तो जब तक यह न मिले, प्रयत्न करते रहना चाहिए। क्योंकि जो कोशिश करते हैं, उनकी जीत अवश्य होती है।

अंत में, असफलता एक अवसर होता है, जिससे हम सीखते हैं और बेहतर होते हैं। विफलता उस व्यक्ति के लिए एक समस्या नहीं होती, जो इससे सीखता है। और इसे एक चुनौती के रूप में लेता है। हमें विफलता को स्वीकार करना और इससे सीखना चाहिए, ताकि हम अपनी गलतियों से निपट सकें और बेहतर प्रदर्शन कर सकें। इसलिए तो कहा गया है कि असफलता एक चुनौती है।

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