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प्रभाते कर दर्शनम् …. प्रातःकालीन मंत्र।

प्रभाते कर दर्शनम् – यह एक मंत्र का अंश है, जिसमें तीन शब्द हैं। पहला है प्रभात यानि सुबह की बेला, दुसरा है कर यानि हथेली और तीसरा है दर्शन। यहां दर्शन का आशय देखने से है। सुबह की जो बेला है, हम नींद से जगते हैं। जब हम नींद में होते हैं, हमारी पलकें […]

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मूर्खता क्या है जानिए

मूर्खता मूर्ख होने की अवस्था है। इसके मूल में मूल ‘मूर्ख’ शब्द है। बुद्धहीनता इसका समानार्थी शब्द हैं। अर्थात् यह माना जाता है कि मूर्खता में बुद्धि का अभाव होता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में मूर्ख बुद्धिहीन होते हैं? चूंकि यह मन का विषय है, मन का भाव है। अतः

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दृष्टिकोण का अर्थ क्या है जानिए…

दृष्टिकोण हिन्दी भाषा का एक शब्द है। यह जो शब्द है, दृष्टि और कोण दो शब्दों का युग्म है। दृष्टि का आशय देखने की वृति से है, देखने की शक्ति से है। जिन चीजों को देखने की हमारी रुचि होती हैं, वो सबकुछ हमें दिखता है। अगर देखना न चाहें, तो कुछ भी नहीं दिखाई

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निराशा के पल … Moment of despair.

निराशा के पल, अर्थात् वह पल जब कोई निराश होता है। निराशा निराश होने का भाव है, यह आशा के विपरीत की अवस्था है। निराशा का अर्थ है आशा का अभाव। हर कोई सुखी होना चाहता है, सुख की चाहत व्यक्ति को कार्य में प्रवृत्त करता है। और ये कार्य सफलता की आशा के साथ

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आदर्श का अर्थ -Meaning of Ideal.

आदर्श हिन्दी भाषावली का एक शब्द है। आदर्श का अर्थ है, श्रेष्ठतम होने की अवस्था। वह अवधारणा जिसके अनुसार उत्कृष्ट भाव-विचारों को धारण कर उत्तम चरित्र का निर्माण किया जा सकता है। आदर्श एक ऐसी अवधारणा है, जिसका संबंध व्यक्तित्व के विकास से है। आदर्श का अर्थ क्या है जानिए! बात किसी व्यक्ति, संस्था या

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संघर्ष ही जीवन है ..!

संघर्ष ही जीवन है! क्योंकि विना संघर्ष के कुछ भी हासिल नहीं होता। जीवन में जो कुछ भी प्राप्त करने की चाह होती है, उसके लिए संघर्ष करना पड़ता हैं। संघर्ष ही जीवन है! जीवन है तो संघर्ष है! संघर्ष के विना जीवन नहीं है! ये जो उक्तियां हैं, सभी का आशय समान है। इन

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मन की हीनता: कारण और निदान!

मन की हीनता का आशय हीन भावना से है। हीनता निम्न होने का भाव है, तुच्छ होने का भाव है। यह नकारात्मक भाव है, जो मन का विषय है। क्योंकि भावनाएं मन में ही उत्पन्न होती हैं। भावनाएं ही विचारों की जननी हैं। मन में जो भाव होंगे, विचार भी वैसे ही उभरकर आयेंगे। और

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अनुराग का अर्थ

अनुराग मूलत: संस्कृत भाषा का एक शब्द है। यह राग में अनु उपसर्ग लगाकर बना है। राग का अर्थ होता है लगाव, आसक्ति। जो कुछ भी ऐसा हो, जिसमें मनुष्य की चाहत जु़ड़ी हो राग कहलाती है। राग का संबंध मन से है, यह एक मनोभाव है। राग में सुख और दुख दोनों का समावेश

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मन की व्यथा : रहीम के दोहे

मन की व्यथा! अर्थात् मन में दुख का भाव। जब किसी बात को लेकर मन में पीड़ा का अनुभव होता हो। दुख, पीड़ा, व्यथा से मन का व्यथित होना भी स्वाभाविक है। यह जो पीड़ा है मन की, इसे सहन भी करना पड़ता है। पर सभी ऐसा नहीं कर पाते। अधिकांशतः लोग दुख से घबरा

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चिंता से मुक्ति कैसे पाएं!

चिंता से मुक्ति! अर्थात् अपने बुद्धि को उस स्तर पर ले जाना, जहां चिंता हमें ग्रसित न कर सके।  चिंताग्रस्त रहना किसी को भी अच्छा नहीं लगता। पर किसी न किसी वजह से सभी इसके जाल में उलझे रहते हैं। यह जो चिंता है! एक मान्सिक स्थिति है। जीवन में जब असहज स्थितियां उत्पन्न होती

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भ्रम से मुक्ति कैसे पाएं..!

भ्रम से मुक्ति कैसे पाएं! यह एक जटिल प्रश्न है। इससे बाहर निकलने के मार्ग तो हैं। परन्तु जब तक यह पता न हो कि यह जो भ्रम है! कौन सी चीज है, कौन सी स्थिति है? तब तक हम इससे पार पाने का सोच भी नहीं सकते। तो फिर यह भ्रम क्या है?  ऐसा

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