मन पर विचार जरुरी है ! पर मन पर विचार कैसे करें! सब तो मन के ही विचार हैं। पर मन पर विचार करने के लिए भी मन की जरूरत है। यह प्राय: सबको अनुभव होता है कि उसके पास मन है। मन मनुष्य के पास उपलब्ध एक बहुत बड़ी शक्ति है। शब्द विवेचना करें, तो यह जो मन है, ‘म’ और ‘न’ दो शब्दों का मेंल है। और इस ‘म’ और ‘न’ का खेल भी मनमोहक है। ‘न’ को मन के आगे कर दो तो एक और शब्द नमन बन जाता है। और ‘न’ को मन के पीछे लगा दो तो मनन बन जाता है। और अगर मन में नमन और ममन का भाव हो तो समस्त उलझनों का हल हो जाता है। इस मन के हर समस्याओं का शमन संभव हो जाता है।
मन की आंखे खोल! Open your eyes…
मन के विषय में कई बातें जो अक्सर कही सुनी जाती हैं। जैसे मन चंगा तो कठौते गंगा! जिसका मन मस्त है, उसके पास समस्त है! जब जैसा तब तैसा नहीं तो मन कैसा! आदि। यह जो मन है, सबके पास है भी। परन्तु किसका मन कितना साफ है, कितना मस्त है, विचारणीय है। मन तो हमेंशा विचारों में ही खोया रहता है। इस मन पर विचार करो, तभी मन को समझा जा सकता है।
इस संसार में अगर सबसे बड़ा कोई ग्रंथ है तो वह मन ही है। सारे प्रश्न इसी मन में ही उभरते हैं और यह मन ही है, जो प्रश्नों का हल भी जानता है। बस अपने मन पर विचार करने के लिए सही विषय की जरूरत है। अनावश्यक बातों में मन को लगाये रखो, तो यह और उलझ जाता है। हमें केवल एक ही विचार की जरूरत है, एक ऐसा विचार, जो हमारे लक्ष्य से संबंधित हो। एक लक्ष्यहीन व्यक्ति अपने मन को दिशा नहीं दे पाता। अपने मन की ऊर्जा को व्यर्थ की बातों में करना ही मुर्खता है।
मन को विचार करने के लिए हमेंशा एक दिशा की जरूरत होती है। मनुष्य का मन हमेशा उसकी भावनाओं का पीछा करता है। जिन भावनाओं के साथ व्यक्ति जी रहा होता है, वास्तव में वह वैसा ही बन जाता है। मन में इतनी शक्ति होती है कि वह किसी भी परिस्थिति को बदल सकता है। समस्त सुख और सफलता की कुंजी हमारा मन ही है। और समस्त समस्याओं का जड़ भी हमारा मन ही होता है। लोग उतने ही खुश रह पाते हैं, उतने ही सुखी होते हैं, जितना वो अपने मन को मना पाते हैं।
मन के मते न चलिये – Man Ke Mate mat Chaliye
मन पर विचार आवश्यक है! यह हमेशा किसी न किसी चीज के लिए व्यग्र होता है। सुखी और शांत जीवन की कामना सबको होती है। लेकिन अधिकांश के जीवन में इन त्तत्वों का अभाव होता है। मनुष्य के इसी प्रबल कामना और उसके कामनाओं की पुर्ति न हो पाने की विवशता को ज्ञानियों ने अपने मन पर विचार कर समझा है। और इस विषय में अपने विचारों को व्यक्त किया है। कुछ ऐसे ही महान पुरुषों के विचारों को आपके समक्ष रख रहा हूं। इस विश्वास के साथ की इन विचारों से बहुतों को मन पर विचार करने और मन के स्वरूप को समझने की प्रेरणा मिलेगी।
मन पर महापुरुषों के अनमोल विचार !
मनुष्य किस्मत का कैदी नहीं है, बल्कि अपने खुद के मन का कैदी हैं। _ फ्रेंकलिन रूज़वेल्ट
आपका मन एक पवित्र घेरा है, जिसमें कोई भी हानिकारक चीज आपके प्रोत्साहन के बिना प्रवेश नहीं कर सकती। _ राल्फ डी. एमर्सन
जिज्ञासा एक प्रखर मन के सबसे स्थायी और सुनिश्चित लक्षणों में से एक है। _ सेमुवेल जोनसन
मन स्वर्ग को नरक और नरक को स्वर्ग बना सकता है। _ जोन मिल्टन
लोग उतने ही प्रसन्न होते हैं, जितना वो अपने मन को तैयार कर पाते हैं। _ अब्राहम लिंकन
भीतर के ज्ञान से प्रज्वलित मन एक पवित्र उपहार है और विचारशील मन एक आज्ञाकारी सेवक है। हमने ऐसे समाज का निर्माण कर दिया है, जो सेवक का तो सम्मान करता है, और उपहार को भुल गया है। _ अल्वर्ट आइंस्टीन
मनुष्य का मन बर्फ के एक विशाल टुकड़े की तरह है, जो अपने समूचे भार के सातवें हिस्से से पानी के ऊपर तैरता है। _ सिगमंड फ्रायड
सहनशीलता मन का सबसे बड़ा उपहार है, यह मस्तिष्क से उसी प्रयास की मांग करता है, जो साइकिल पर संतुलन साधने के लिए जरूरी होता है। _ हेलेन केलर
मन का संबर्धन उतना ही आवश्यक है, जितना शरीर के लिए भोजन। _ सिसेरो
मन का संबर्धन मानवीय मस्तिष्क का परम उद्देश्य होना चाहिए। _ डॉ भीमराव अम्बेडकर
जब मैं स्वयं पर हंसता हूं तो मेंरे मन का बोझ हल्का हो जाता है। _ रविन्द्र नाथ टैगोर
एक प्रखर शक्तिशाली और शांत मन संसार का सबसे शक्तिशाली अस्त्र है, जिसके सामने सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड नतमस्क है। _ स्वामी विवेकानंद
जिस प्रकार जल के द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है, उसी प्रकार ज्ञान के द्वारा मन को शांत किया जाता है। _ वेदव्यास
उत्तम प्रकार से नियंत्रित में किया हुवा मन मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र हैं। परन्तु अगर यह नियंत्रण में ना हो तो मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन सिद्ध होता हैं। _ श्रीमद्भागवत गीता
मन पर विचार करना जरूरी है! यह विचार करना जरूरी है कि मन बैचेन क्यों रहता है। मन अशांत इसलिए है कि उसे हमेशा कुछ चाहिए होता है। वह जो कुछ है, मन से ऊपर की चीज है। और उसे पाना बहुत मुश्किल है, पर संभव है। अगर मन को वह मिल गया, जो वास्तव में उसे चाहिए, तो वह शांत हो जाता है, स्थिर हो जाता है। फिर उसमें कुछ भी पाने की चाह नहीं होती।
मन पर नियंत्रण कैसे करें! how to control the mind.
मन को कुछ चाहिए! सामान्यतः उसे जो चाहिए, हम उसकी तलाश नहीं करते। हम मन का सूख, शांति और प्रसन्नता को भौतिकता में ढ़ुढ़ते हैं। और इस संसार में वह सबकुछ पा लेने के बाद भी यह बैचेन रहता है। उस त्तत्व को ढ़ुंढ़ता रहता है, जो उसे चाहिए। अगर मन अशांत है, तो समझो उसे कुछ चाहिए। अब तक हमने जो किया, जो पाया, वह प्रर्याप्त नहीं है।
चंचलता मन के स्वभाव में है। वह एक जगह स्थिर नहीं रह सकता। उसे स्थिर करना पड़ता है। मन को नियंत्रित करना पड़ता है। मन को आनंद की तलाश है। उस परम तत्त्व की तलाश है, जिसके कारण जीवन है, जिसके कारण मन का अस्तित्व है। और उसे पाने का एक ही मार्ग है, वह है अध्यात्म का मार्ग। अध्यात्म के मार्ग पर चलकर मन को शांत किया जा सकता है।
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