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आत्ममंथन का अर्थ

Aatmamanthan ka arth

आत्ममंथन एक संस्कृत शब्द है, जिसका आशय स्वयं को समझने की प्रक्रिया से है। यह स्वयं के संबंध में अध्ययन का विषय है। यह स्वयं की भूमिका के विषय में जानने में सहायक है। इसके द्वारा अपने जीवन को सही तरीके से जीने में सहायता मिलती है। अपने आप को अपने आप से जानने का प्रयास आत्ममंथन है। इसके माध्यम से हर कोई अपने स्वभाव, सोच और भावनाओं को समझ सकता है। यह हमें हमारे दैनिक जीवन की गतिविधियों में सुधार लाने में सहायक है।

आत्ममंथन के द्वारा हम अपनी निर्णय क्षमता को विकसित कर सकते हैं। जीवन में अधिक स्पष्ट और स्वस्थ विचारों का चुनाव कर सकते हैं। इससे हम अपने भीतर की संघर्षों को दूर करने में सक्षम होते हैं। यह स्वयं पर विश्वास विकसित करने और स्वयं को अपने जीवन में बेहतर बनाने के लिए एक उपयोगी तकनीक है।

जीवन में आत्ममंथन जरुरी है। चाहे वो संघर्ष हो या फिर कठिनाई, हम सबको उनसे जूझना होता है। पर आत्ममंथन हमें मजबूत बनाता है, हमें हिम्मत देता है।

आत्ममंथन हमारी सफलता का राज है। चाहे निराशा हो या फिर असफलता,  आत्ममंथन हमें खुद पर विश्वास रखना सीखाता है। यह हमें सफलता की ओर ले जाता है। आत्ममंथन हमें नई ऊंचाइयों तक ले जाता है। इसके द्वारा हम अपनी सीमाओं को पार करते हैं, नयी उड़ानों की खोज में निकलते हैं। 

यह हमें संघर्ष से नहीं डरने देता, नित नए आसमानों की तलाश में बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। यह हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए बल प्रदान करता है। आत्ममंथन हमारी मनोदशा को उच्च स्तर तक पहुंचाता है। हमें खुशी और संतुष्टि के लिए प्रेरित करता है। जीवन के हर मोड़ पर यह हमें आगे बढ़ने की शक्ति देता है।

जब गुजरना पड़ता है
असफलताओं के दौर से
सामना करना पड़ता है
हर दिन नई उलझनों से
तब चिंतन की जरुरत होती है।

जब विफल हो जाता है
सुलझने का हर प्रयास
जीत जब मिलती नहीं है
मन हो जाता है निराश
तब चिंतन की जरुरत होती है।

ढुंढना होता है उन कारणों को
जो जीत में बाधक होती हैं
सुलझाना पड़ता है खुद को
तभी तो उलझने दुर होती हैं।

उन्हें ही मिलती है सफलता
जिनके मन में होती है आस
जो हारकर भी जीतने की
खुद में बनाए रखते हैं विश्वास।

जीतने वालों के लिए तो
हर हार एक सबक होती है
चिंतन है जिनके जीवन में
समाधान वही खोज पाते हैं।

आत्ममंथन: अंदरूनी जानकारी का विकास

आत्ममंथन जीवन में ज्ञान का विकास हेतु एक महत्वपूर्ण कदम है। यह हमें संघर्षों और असफलताओं से निपटने में सहायता करता है और स्वयं के विषय में अधिक समझदार बनाता है। यह अपने भीतर की शक्तियों से अवगत कराने की प्रक्रिया है।

यह जो सफर है जीवन का
थकान है तभी आराम यहां
पर संघर्ष से डरने वालों को
मिलता है कभी मंजिल कहां।

गर बाहर है चिंतन की दिशा
इस जीवन की डगर पर
सुख-सम्पदा के खोज में
संघर्ष तो होता ही रहता है
है जीवन का एक गुड़ रहस्य
जो देता है जीने की समझ
यह आत्ममंथन से आता है।

चिंतन की दिशा को मोड़कर,
जो भीतर प्रवेश कर जाता है,
जीवन के इस गुड़ रहस्य का,
अनुसंधान वही कर पाता है,
गर सीखना है जीने की कला,
तो आत्ममंथन की जरूरत होती है।

एकांत हमें अक्सर सोचने और समझने का समय देता है। जिससे कोई अपनी शक्तियों को समझ सकता है। और अपनी सोच की धारा को बदल सकता है। आदमी अपने अंदर की शक्ति को जगाकर अपने जीवन को संवार सकता है। अतः हम अपने आप से सबकुछ सीख सकते हैं। खुश रहने के लिए, खुद को समझने के लिए, जीवन में आत्ममंथन का होना महत्वपूर्ण है।

आप जो भी हों, जैसे भी है, महत्वपूर्ण हैं। और आपका विचार ही आपके मंजिल का द्वार है। जीवन एक अभिनय है जिसमें अकेलापन आपको संबोधित करता है। यह एक अवसर है, जो आपको अपने आप की खोज के लिए प्रेरित करता है। आत्ममंथन के द्वारा अपने भीतर की शक्ति को विकसित कर जीवन को सकारात्मक जीने का प्रयास करें।

आदमी अकेला है !!

आदमी चलता है,
खुद से चुनी राहों पर,
आदमी भटकता है,
मंजिल की तलाश में।

चलता है जिन राहों पर,
अपने ख्यालों में खोये हुए,
खोजता है मंजिल को,
अपने सपनो में संजोए हुए।

आदमी लड़खड़ाता है,
फिर करता है यत्न,
संभल कर चलने के लिए,
आदमी गिरता भी है,
फिर करता है प्रयत्न,
उठकर आगे बढने के लिए।

अगर मंजिल मिला नही
तो विखर जाता हैं सबकुछ
आदमी अकेला हो जाता है,
चिंता का चादर लपेटे हुए,
अपने दर्दों को समेटे हुए।

आदमी अकेला हो सकता है,
पर वह शक्तिशाली होता है,
जो यह समझ पाता है,
कि है एक अद्भुत शक्ति,
जो उसके भीतर निहित है।

आदमी खुश हो सकता है,
अगर वह आत्मनिर्भर हो,
आदमी सुखी हो सकता है,
अगर उसे स्वतंत्रता मिले।

आदमी आगे बढ़ सकता है,
अगर मंजिल का पता मिले,
आदमी सफल हो सकता है,
जगाकर उस असीम शक्ति को,
जो उसके भीतर निहित है।

जीवन एक अनुभव है, जो जिस तरीके से जीता है, वैसा ही अनुभव पाता है। हम सभी अपने-अपने तरीके से जीते हैं। इसलिए जीवन को अपने तरीके से समझते हैं। पर हमें यह याद रखना चाहिए कि हर किसी में खुद को सक्षम बनाने बनाने का शक्ति निहित है। अपने अकेलापन को अपनी शक्ति बनाने के लिए चिंतन करें। 

क्योंकि चिंता से नहीं चिंतन से ही समाधान निकल कर आ सकता है। इस चिंतन क्रिया स्वरूप अगर बहुर्मुखी हो, तो भौतिक सफलता प्राप्त किया जा सकता है। अगर अंतर्मुखी हो, तो मन के सतह पर, भीतर मंथन होता है। यही विलक्षण क्रिया आत्ममंथन है, जो जीवन को सफल बनाने में सहायक है। आत्ममंथन के द्वारा जीवन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। 

आत्ममंथन एक ऐसी क्रिया है, जो हमें अपनी आत्मा के साथ संवाद करने में सहायता करती है। यह हमारे भीतर की गहराईयों को समझने में सहायता प्रदान करती है। गहन अर्थों में यह मनुष्य को अपनी अंतरात्मा से साक्षात्कार करने की साधना है। 

परन्तु इसके लिए नियमित समय देने और एकाग्र होकर ध्यान करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए एकांत में बैठकर सकारात्मक चिंतन का प्रयास अनिवार्य होता है। आत्ममंथन में ध्यान का उपयोग करना बहुत उपयोगी होता है। क्योंकि ध्यान करने से मन की चंचलता में कमी आती है। आत्ममंथन करने के लिए धैर्य रखने की भी आवश्यकता होती है, क्योंकि यह एक लंबी प्रक्रिया होती है। इसमें सफलता प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से अभ्यास करना पड़ता है। 

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