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संदेह और श्रद्धा — Doubt and Faith

संदेह मन की दुविधा जनक स्थिति है! किसी वस्तु अथवा विषय के संबंध में वास्तविक ज्ञान का न होना इस मनोभाव के उपस्थित होने का कारण है। अल्पज्ञान की धुंध में हमें चीजें उनके सही स्वरुप में दिखाई नहीं पड़ती। फलस्वरूप हमारा मन उन चीजों के प्रति कोई स्पष्ट विचार नहीं बना पाता है।  जब […]

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श्रद्धा का अर्थ और महत्व — Meaning and Importance of Faith

श्रद्धा क्या है..? यह एक विचारणीय प्रश्न है! यह एक प्रकार का मनोभाव है। और मनोवृत्तियों की व्याखया करना सहज तो नहीं है। फिर भी शब्द है तो अर्थ भी होगा ही। अध्ययन के आधार पर इस शब्द की मीमांसा तो किया ही जा सकता है। ‘श्रत्’ एवम् ‘धा’ का योग है श्रद्धा। श्रत् अर्थात्

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सोच को बदलो — Change The Way You Think

सोच क्या है ? सोच एक मनोभाव है! और सोचना एक क्रिया। यह किसी विषय पर विचार करने की प्रवृत्ति है। महत्त्वपूर्ण यह है कि हम सोचते क्या हैं ?  किसी विषय-वस्तु पर हमारा विचार करने का भाव कैसा है ? क्योंकि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही करते हैं। महत्त्वपूर्ण है सोच की दिशा

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इच्छा का अर्थ — Meaning of Desire

इच्छा का अर्थ क्या है? इस प्रश्न का उतर है, किसी चीज को पाने की ओर मन की प्रवृति !  यह एक मनोवृति है, जिसे आकांक्षा, अभिलाषा, लालसा, कामना आदि नामों से भी जाना जाता है। सामान्यतः प्रत्येक व्यक्ति सुख-सुविधाओं के साथ जीना चाहता है। सुख, सफलता एवम् समृद्धि की लालसा प्रत्येक के मन में

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सुख और दुख क्या है? — What is Happiness and Sorrow?

प्रिय बन्धुगण ; इस आलेख में इस बात पर विचार किया जा रहा है कि वास्तव में सुख और दुख क्या है ? सामान्य मनुष्य का सारा जीवन इन्हीं दो स्थितियों में क्यों उलझा रहता है ? ज्ञानीजनों के अनुसार सुख और दुख  मन की अवस्थाएं हैं! जिनका अनुभव मन के कारण ही होता है,

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मनोबल का अर्थ — Meaning of Morale

मनोबल का तात्पर्य मन की शक्ति से है ! यह एक ऐसी ऊर्जा है, जो असिमित होती है। मन की तीव्रता और असिमिता की भांति मनोबल की भी कोई सीमा नहीं होती। मन से ही विचार उत्पन्न होते हैं और विचारों से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है। यह समस्त  गुणों-अवगुणों के संदर्भ में मन

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अहंकार का अर्थ — Meaning of Ego

अहंकार मन का एक भाव है!  ऐसा भाव है, जिसे व्यक्ति स्वयं धारण करता है। अहंकार के कारण मन को यह आभास होता है कि सब-कुछ करनेवाला वही है। यह अहम् और कार दो शब्दों का मेंल है। अहम् अर्थात् मैं और कार से तात्पर्य है करने वाला। जब कोई व्यक्ति किसी विषय-वस्तु, कार्य  एवम्

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दान का अर्थ और महत्व — Meaning and Importance of Charity

दान का शाब्दिक अर्थ देने की क्रिया से है! सामान्यतः किसी को सहायता के रुप में कुछ देना दान समझा जाता है। गहन अर्थों में किसी वस्तु अथवा अर्थ पर से स्वयं का अधिकार समाप्त करके दुसरे का अधिकार स्थापित कर देना दान है। इस क्रिया में दी गई वस्तु को किसी भी स्थिति में

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महत्त्वाकांक्षा क्या है जानिए — Learn What Is Ambition

सामान्य शब्दों में महत्त्वाकांक्षा का आशय है महत्व की आकांक्षा। यह महत्व और आकांक्षा दो शब्दों का योग है। महत्व से आशय है बड़ा होने का भाव! बड़ा होने का भाव के अलग-अलग रुप होते हैं। धनाढ्य होने का भाव, शिक्षित होने का भाव, प्रतिष्ठित होने का भाव, सेवा का भाव, नेतृत्व का भाव, उन्नत

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जानिए समाज क्या है — Learn What Is Society

युनानी दार्शनिक अरस्तु ने मनुष्य को  एक सामाजिक प्राणी की संज्ञा दी है। व्यक्ति के विना समाज और समाज के विना व्यक्ति की कल्पना नहीं की जा सकती। सामाजिक होने का आशय है समाज में रहना और समाज के नियमों का पालन करना। व्यक्ति के विना समाज और समाज के विना व्यक्ति की कल्पना नहीं

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Sakal padarath ehi jag mahin

सकल पदारथ एही जग माहीं

प्रकृति के द्वारा इस जगत में विभिन्न प्रकार के संसाधनों की रचना की गई है। परन्तु इन समस्त संसाधनों का उपभोग करने के लिए कर्म करने पड़ते हैं …

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