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मदहोशी का अर्थ — Madhosi Ka Arth

मदहोशी का अर्थ है होश में नहीं होना। अब जरा सोचिए कि ‘होश में होने’ का क्या मतलब है ? सामान्यतः जब कोई नशे में हो अथवा क्रोध में हो तो यह समझा जाता है कि वह होश में नहीं है। अर्थात् मदहोशी की अवस्था शरीर एवम् मन दोनों को प्रभावित करता है। परन्तु गहराई […]

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माया का संसार — World of Illusion

माया क्या है ? इस शब्द को परिभाषित करना कठिन है। यह एक ऐसा शब्द है, जिसका प्रयोग अनेक अर्थों में होता है। भ्रम, सम्मोहन, मन की कल्पना आदि इसके अनेक रूप हैं। कोई व्यक्ति अपनी चतुराई से किसी वस्तु को मिश्र-भिन्न स्वरुप में दिखाता है, इसे हम जादु अथवा तिलिस्म की संज्ञा देते हैं।

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नेकी कर दरिया में डाल —

नेकी कर दरिया में डाल’ यह एक बहुप्रचलित मुहावरा है। जिसका सीधा और सरल अर्थ है, दुसरों की नेकी करो और भूल जाओ। भलाई, उपकार आदि नेकी का समानार्थी शब्द हैं। इसका विपरीत है बदी! बद यानि बुरा, जो अच्छा नहीं है। बद से बना है बदी, बुराई, अपकार आदि इसके समानार्थी शब्द हैं। किसी

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संदेह और श्रद्धा — Doubt and Faith

संदेह मन की दुविधा जनक स्थिति है! किसी वस्तु अथवा विषय के संबंध में वास्तविक ज्ञान का न होना इस मनोभाव के उपस्थित होने का कारण है। अल्पज्ञान की धुंध में हमें चीजें उनके सही स्वरुप में दिखाई नहीं पड़ती। फलस्वरूप हमारा मन उन चीजों के प्रति कोई स्पष्ट विचार नहीं बना पाता है।  जब

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श्रद्धा का अर्थ और महत्व — Meaning and Importance of Faith

श्रद्धा क्या है..? यह एक विचारणीय प्रश्न है! यह एक प्रकार का मनोभाव है। और मनोवृत्तियों की व्याखया करना सहज तो नहीं है। फिर भी शब्द है तो अर्थ भी होगा ही। अध्ययन के आधार पर इस शब्द की मीमांसा तो किया ही जा सकता है। ‘श्रत्’ एवम् ‘धा’ का योग है श्रद्धा। श्रत् अर्थात्

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सोच को बदलो — Change The Way You Think

सोच क्या है ? सोच एक मनोभाव है! और सोचना एक क्रिया। यह किसी विषय पर विचार करने की प्रवृत्ति है। महत्त्वपूर्ण यह है कि हम सोचते क्या हैं ?  किसी विषय-वस्तु पर हमारा विचार करने का भाव कैसा है ? क्योंकि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही करते हैं। महत्त्वपूर्ण है सोच की दिशा

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इच्छा का अर्थ — Meaning of Desire

इच्छा का अर्थ क्या है? इस प्रश्न का उतर है, किसी चीज को पाने की ओर मन की प्रवृति !  यह एक मनोवृति है, जिसे आकांक्षा, अभिलाषा, लालसा, कामना आदि नामों से भी जाना जाता है। सामान्यतः प्रत्येक व्यक्ति सुख-सुविधाओं के साथ जीना चाहता है। सुख, सफलता एवम् समृद्धि की लालसा प्रत्येक के मन में

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सुख और दुख क्या है? — What is Happiness and Sorrow?

प्रिय बन्धुगण ; इस आलेख में इस बात पर विचार किया जा रहा है कि वास्तव में सुख और दुख क्या है ? सामान्य मनुष्य का सारा जीवन इन्हीं दो स्थितियों में क्यों उलझा रहता है ? ज्ञानीजनों के अनुसार सुख और दुख  मन की अवस्थाएं हैं! जिनका अनुभव मन के कारण ही होता है,

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मनोबल का अर्थ — Meaning of Morale

मनोबल का तात्पर्य मन की शक्ति से है ! यह एक ऐसी ऊर्जा है, जो असिमित होती है। मन की तीव्रता और असिमिता की भांति मनोबल की भी कोई सीमा नहीं होती। मन से ही विचार उत्पन्न होते हैं और विचारों से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है। यह समस्त  गुणों-अवगुणों के संदर्भ में मन

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अहंकार का अर्थ — Meaning of Ego

अहंकार मन का एक भाव है!  ऐसा भाव है, जिसे व्यक्ति स्वयं धारण करता है। अहंकार के कारण मन को यह आभास होता है कि सब-कुछ करनेवाला वही है। यह अहम् और कार दो शब्दों का मेंल है। अहम् अर्थात् मैं और कार से तात्पर्य है करने वाला। जब कोई व्यक्ति किसी विषय-वस्तु, कार्य  एवम्

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दान का अर्थ और महत्व — Meaning and Importance of Charity

दान का शाब्दिक अर्थ देने की क्रिया से है! सामान्यतः किसी को सहायता के रुप में कुछ देना दान समझा जाता है। गहन अर्थों में किसी वस्तु अथवा अर्थ पर से स्वयं का अधिकार समाप्त करके दुसरे का अधिकार स्थापित कर देना दान है। इस क्रिया में दी गई वस्तु को किसी भी स्थिति में

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