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करम का लेख मिटे ना रे भाई।

करम का लेख का तात्पर्य क्या है? करम का लेख! अर्थात् कर्म अथवा कार्य के विषय में लेख। किसी भी तथ्य के विषय में  लिखा जाता है, तो उस पर लेख तैयार हो जाता है। लेख का संबंध लेखन से है, लिखने की क्रिया से है। और कर्म कुछ करने का भाव अथवा अवस्था है।

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ताड़ना का अर्थ क्या है?

ताड़ना एक ऐसा शब्द है, जिसका प्रयोग एक से अधिक संदर्भों में किया जाता है। ताड़ना एक क्रिया है, जिसका संबंध दो विपरीत मनोभावों से है। एक भाव है, जो चीजों को परखने, समझने की क्रिया को दर्शाता है। वहीं जो दुसरा भाव है, वह किसी पर आघात करने, किसी को अपमानित करने की क्रिया

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मानो तो देव, ना मानो तो पत्थर!!

मानो तो देव! इस कथन का आशय क्या है?  ‘देव’ अर्थात् परमात्मा! इस कथन का आशय है कि मानो तो परमात्मा है। यह बात मान लेने की है, इसलिए कि परमात्मा अदृश्य है। हर जगह, हर चीज में परमात्मा है, लेकिन दिखाई नहीं देता। जो अप्रत्यक्ष होता है, उसके विषय में संदेह बना रहता है। 

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सवाल पर सवाल..!

सवाल क्या है? सवाल पर सवाल! यानि सवाल यह है कि सवाल क्या है? आइए यह जानने का प्रयास करते हैं कि सवाल क्या है? सवाल उर्दू भाषा का एक शब्द है। सवाल का ताल्लुक जानकारी से है। जब किसी विषय पर जानकारी का अभाव होता है, तो उस विषय पर जानने की चाहत भी

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ईर्ष्या या बैर !!

ईर्ष्या या बैर मन के भाव हैं। ईर्ष्या में जलन का भाव है, और बैर में शत्रुता का भाव है। दोनों ही नकारात्मक भाव हैं, परन्तु भिन्न भिन्न स्वरुप में परिलक्षित होते हैं। वस्तुत: ईर्ष्या का ही परिवर्तित रुप बैर है। जब किसी किसी की उन्नति देख मन आहत हो, तो यह भाव ईर्ष्या है।

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वाणी की प्रकृति!

वाणी की प्रकृति का आशय क्या है? वाणी मुख के बोल हैं, मुख से प्रगट होनेवाले शब्दों से जो ध्वनि उत्पन्न होती है, वाणी की संज्ञा दी गई है। मनुष्य के तन में जो इंद्रियां हैं, वो मन के अनुसार कार्य करती हैं। मन जो चाहता है, जैसा चाहता है, वही करना पसंद करता है।

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एकांत और अकेलापन!

एकांत और अकेलापन एक दुसरे जुड़े हुवे शब्द हैं। एकांत एक स्थिति है, और अकेलापन एक भाव है। एकांत ‘एक’ और ‘अंत’ दो शब्दों का मेल है। अंत का आशय है नष्ट होना, विलुप्त होना, समाप्त हो जाना। तो फिर इस युग्म शब्द का अर्थ क्या है? क्या एकांत का आशय एक का अंत होना

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देख-भाल का अर्थ क्या है?

सामान्यतः देख-भाल का आशय किसी का ख्याल रखना समझा जाता है। देख एक क्रियात्मक शब्द है। देख का आशय किसी को देखने, निहारने की क्रिया से है। एक शब्द है संभाल, जिसका अर्थ है सहेज कर रखना। संभाल में भाल शब्द जुड़ा हुआ है, भाल के साथ सम उपसर्ग लगा हुवा है। सम का आशय

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ज्ञानी भुगते ज्ञान से ।।

देह धरे का दंड है, सब काहु को होय।ज्ञानी भुगते ज्ञान से, अज्ञानी भुगते रोय।‌। कबीर के उक्त दोहे का शाब्दिक अर्थ है कि देह धारण करने का दंड हर किसी को भोगना पड़ता है। परन्तु ज्ञानी इसे ज्ञान से भोगते हैं और अज्ञानी रोते-चिल्लाते हुवे भोगते हैं।  देह धरे का आशय जन्म लेने से

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