ध्यान क्रिया का महत्व!
वास्तविक सुख सांसारिकता का विषय नहीं है, आध्यात्मिकता का विषय है। ध्यान क्रिया मनुष्य को आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर करता है।
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वास्तविक सुख सांसारिकता का विषय नहीं है, आध्यात्मिकता का विषय है। ध्यान क्रिया मनुष्य को आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर करता है।
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क्रियायोग एक सरल एवम् प्रभावी योग प्रणाली है, जो सभी लोगों के लिए उपयुक्त है। इसमें कपालभाति, भस्त्रिका, त्राटक एवम् नेती क्रिया के द्वारा शरीर के अंगों को विशेष रुप से सबल बनाया जाता है। सांसारिक जीवन की गतिविधियों से उत्पन्न तनाव से मुक्ति पाने के लिए इन क्रियाओं का अभ्यास अत्यंत लाभकारी होता है।
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आध्यात्मिकता क्या है? इसे समझने के यह जानना होगा कि अध्यात्म क्या है? क्योंकि आध्यात्मिकता का संबंध अध्यात्म से है। और अध्यात्म एक ऐसा विषय है, जिसे शब्दों से समझाना कठिन है, यह अनुभव का विषय है। आध्यात्मिकता एक मार्ग है, जिसपर चलकर आध्यात्मिक हुवा जा सकता है, अध्यात्म को जाना जा सकता है। यह
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सुर्य नमस्कार का शाब्दिक अर्थ है सुर्य को नमस्कार करना। भारतीय संस्कृति में एक दूसरे को अभिवादन करने के लिए नमस्कार का प्रचलन है। सामान्यतः यह एक दुसरे के प्रति आदर एवम् विनम्रता का भाव व्यक्त करने का एक मुद्रा है। गहन अर्थों में प्रत्येक मनुष्य के भीतर एक विशिष्ट ऊर्जा विद्यमान है, जो कि
सुर्य नमस्कार क्या है जानिए… Read More »
अष्टांगयोग क्या है? इस प्रश्न का समाधान चंद शब्दों अथवा वाक्यों में नहीं किया जा सकता। यह साधना का विषय है, इसके मार्ग पर चलकर ही इस विषय पर समुचित जानकारी प्राप्त की जा सकती है। शब्द की विवेचना करें तो अष्टांग का आशय हुवा है आठ अंगो वाला। और योग का आशय दो अथवा
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प्राणायाम का शाब्दिक अर्थ है प्राण का नियमन। यह प्राण और आयाम दो शब्दों का मेल है। प्राण वह ऊर्जा है जिसके कारण हमारा जीवन है। वह शक्ति जो हमारे शरीर को, जो एक यंत्र की भांति है, इसे संचालित करता है। इसका संबंध श्वास-प्रश्वास से है, इसी प्रक्रिया के द्वारा प्राण ऊर्जा का प्रत्यक्ष
प्राणायाम क्या है जानिए..! Read More »
अनुलोम विलोम श्वास लेने और छोड़ने की एक प्रक्रिया है। सामान्यतः हम नाक के दोनों छिद्रों से सांस लेते और छोड़ते हैं। पर अनुलोम विलोम में नासिका के एक छिद्र से सांस लिया जाता है और दुसरे से छोड़ा जाता है। अनुलोम विलोम एक दुसरे के विपरीत हैं। नासिका के एक छिद्र से सांस लेना
अनुलोम विलोम क्या है जानिए… Read More »
शाब्दिक रुप में ज्ञानयोग दो शब्दों का युग्म है। एक शब्द है ज्ञान और दुसरा है योग। ज्ञान एक शब्द है, जो ‘ज्ञ’ धातु से बना है, जिसका आशय है जानना। और योग का अर्थ है जोड़ना। इस प्रकार ज्ञानयोग का शाब्दिक अर्थ हुवा जानने की क्रिया से है। गहनता से विचार करें तो ज्ञानयोग
ज्ञानयोग क्या है : What is GyanYoga … Read More »
प्रिय बंधुगण ; आइए संक्षिप्त में यह जानने का प्रयत्न करते हैं कि ‘भक्तियोग’ क्या है? योग के अनेक विधियों में से एक है भक्तियोग। यह पावन शब्द दो शब्दों ‘भक्ति’ और ‘योग’ के मेंल से बना है। योग क्या है! इसकी चर्चा पिछले आलेख में की जा चूकी है। भक्ति का अर्थ है, ईश्वर
भक्तियोग — Realization of God with Bhakti Yoga Read More »
ध्यान का अर्थ ! ध्यान एक क्रिया है, जिसमें कोई व्यक्ति अपने मन को एकाग्र करने का प्रयत्न करता है। मन का स्वभाव अस्थिर प्रकृति वाला है। साधारण मनुष्य के मन में एक साथ अनेक विचार चलते रहते हैं। ध्यान अनावश्यक कल्पनाओं, विचारों को मन से हटाकर, इसे स्थिर करने की क्रिया है। इसका उद्देश्य
ध्यान क्या है? — What Is Meditation? Read More »
अष्टांगयोग पर स्वामी विवेकानंद के द्वारा प्रयोग किया गया। बाद के समय में इस संबंध में दिये गये उनके व्याख्यानों को ‘राजयोग’ नामक पुस्तक में संकलित किया गया है।
राजयोग क्या है? — What Is Raja Yoga? Read More »