क्रियायोग एक सरल एवम् प्रभावी योग प्रणाली है, जो सभी लोगों के लिए उपयुक्त है। इसमें कपालभाति, भस्त्रिका, त्राटक एवम् नेती क्रिया के द्वारा शरीर के अंगों को विशेष रुप से सबल बनाया जाता है। सांसारिक जीवन की गतिविधियों से उत्पन्न तनाव से मुक्ति पाने के लिए इन क्रियाओं का अभ्यास अत्यंत लाभकारी होता है। क्रियायोग का प्रतिपादन स्वामी योगानंद जी द्वारा किया गया था। उन्होंने 1920 में अपनी किताब “आत्म-समर्पण” के माध्यम से क्रिया योग के महत्व को रेखांकित किया है।
महर्षि अरविंद अनुसार क्रियायोग एक ऐसा मार्ग है, जिससे आत्मा की शक्ति को जागृत किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि इस विधा के अभ्यास से उच्चतर स्तर के ज्ञान, शक्ति और सुख का उदय होता है। इस योग के माध्यम से साधक अपने मन को शांत रख सकता है और ज्ञान की प्राप्ति के लिए भी समर्थ होता है।
उनके अनुसार: क्रियायोग एक अनुभवात्मक योग है, इसके अभ्यास से साधक को स्वयं के साथ संवाद करने की शक्ति मिलती है। परन्तु इस योग के अभ्यास से सकारात्मक परिणाम मिलने में समय लगता है। और इसके लिए साधक को धैर्य और निष्ठा से आगे बढ़ना चाहिए। सभी इसके योग्य नहीं होते हैं, क्योंकि इसमें जो उन्नति होती है, वह साधक के पूर्व संस्कारों पर निर्भर करती है।
ओशो (Osho) का मानना है कि क्रिया योग एक अद्भुत ध्यान प्रक्रिया है, जो आध्यात्मिक विकास के लिए उपयोगी है। इस प्रक्रिया के द्वारा हम अपने शरीर को स्थिर करतेते हैं, अपने दिमाग को शांत करते हैं। और अपनी आंतरिक ऊर्जा को जागृत करते हैं। इस प्रक्रिया के द्वारा हम अपने जीवन में अधिक सकारात्मकता और आनंद का अनुभव करते हैं। क्रियायोग ध्यान के साथ एक आनंदमय जीवन के लिए साधना करने का एक सशक्त मार्ग है। यह एक अद्भुत तकनीक है, जो हमें शांति, स्थिरता, संतुलन और आंतरिक ऊर्जा के साथ सकारात्मक जीवन जीने में मदद करती है।
श्री श्री रविशंकर जी का कहना है कि क्रियायोग एक ऐसा योग है, जो हमारी मनोदशा को स्थिर करता है और हमें अपनी आत्मा से जोड़ता है। इस योग के माध्यम से हम अपने शरीर, मन और आत्मा के साथ जुड़ सकते हैं और उन्हें एक संतुलित अवस्था में ला सकते हैं। इस योग के अभ्यास से हम अपने दिमाग को शांत करते हैं, और स्पष्टता और जागरूकता की स्थिति में लाते हैं। क्रिया योग हमें अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करता है। यह हमारी मानसिक और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है। यह एक उच्चतम स्तर की ध्यान विधि है, जो हमें एक ऊर्जावान जीवन जीने में मदद करता है। यह एक अद्भुत उपहार है, जो हमें आनंद और खुशी की अनुभूति कराता है। और हमें सफल बनाने के लिए आवश्यक सभी गुणों को विकसित करता है।
सदगुरु जग्गी वासुदेव का कहना है कि क्रिया योग एक ऐसा योग है, जो शारीरिक शक्ति को जागृत करता है और मन को शांत करता है। इसके अलावा, क्रिया योग हमारे मन को शुद्ध करता है और हमें अपने आत्मिक उद्देश्य के प्रति दृढ़ता देता है। इस योग के द्वारा हम अपने शरीर, मन और आत्मा के साथ जुड़ सकते हैं, और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
यह योग एक ऐसा मार्ग है, जो सभी लोगों के लिए उपयुक्त है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो ध्यान और अन्य आध्यात्मिक अभ्यासों में अधिक महारत हासिल नहीं कर सकते हैं।
क्रियायोग का अभ्यास कैसे करें!
क्रियायोग के अभ्यास के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं, जिनका पालन किया जा सकता है। यहां क्रिया योग की विधि का उल्लेख किया जा रहा है, जो निम्नलिखित है:
- सर्वप्रथम आपको को मानसिक रूप से खुद को इस क्रिया को करने के लिए तैयार कर लेना चाहिए। क्योंकि यह एक नियमित और निरंतर की जानेवाली प्रक्रिया है। और इसे धैर्य रखकरऔर दृढ़तापूर्वक करने की होती है।
- शरीर का शुद्धिकरण : स्नानादि क्रिया के द्वारा शरीर को बाहर से स्वच्छ रखें। और भीतर से स्वच्छ और सबल बनाने के लिए यौगिक क्रियाओं का अभ्यास करें। जैसे कि जल नेती! इन क्रियाओं के द्वारा अपने शरीर को भीतर से स्वच्छ और सक्रिय किया जा सकता है। जो मन को एकाग्र करने में सहायक है।
- अभ्यास का समय: आप योग क्रिया का अभ्यास किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन सबसे अच्छा समय सुबह का समय होता है। एक नियमित अभ्यास की अवधि 30 से 60 मिनट की होती है।
- आहार: क्रिया योग के अभ्यास से पहले और बाद में शुद्ध,सात्विक और स्वस्थ आहार लें। अगर आहार योगाभ्यास के पूर्व लेना हो, कम से कम आधे घंटे पहले लें। दुध, घी, फल, सब्जियां एवम् अन्य पौष्टिक भोजन का सेवन करें जो आपको ऊर्जा और शक्ति प्रदान करते हैं।
- स्थान: अगर आप क्रियायोग के अभ्यास के लिए एक शांत वातावरण वाला स्थान का चयन करें, जहां आप एकाग्र हो सकते हैं। यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है, क्योंकि योग के अभ्यास के दौरान आपको शांत और स्थिर रहना होगा। एक शांत वातावरण में एकाग्र होने की संभावना अधिक होती है।
- आसन: अभ्यास के लिए एक बैठने का एक निश्चित एवम् आरामदायक तरीके का चुनाव करें। जैसे कि सुखासन, पद्मासन या वज्रासन इत्यादि। दीर्घ समय तक शरीर को एक स्थिति में रखा जा सके, इसका अभ्यास भी जरूरी है।
- मन की शुद्धि: मन को शुद्ध करने के यह विचार करते कि हमारा शरीर भीतर और बाहर से शुद्ध हो रहा है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों को शुद्ध कर सकते हैं और अपने मन को स्वच्छ कर सकते हैं।
- प्राणायाम: अपने श्वसन क्रिया को नियंत्रित करने एक विशेष प्रक्रिया का अभ्यास जरूरी है। इससे नाडी शोधन होता है, और क्षुक्ष्म तंतुओं के माध्यम से पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार होने लगता है। इसके लिए अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका एवम् कपालभाति जैसी यौगिक क्रियाओं का अभ्यास किया जा सकता है। अभ्यास के दौरान नियमित तरीके से प्राणायाम करना चाहिए। इससे मन को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।
- ध्यान: इन क्रियाओं को करने के बाद ध्यान करना चाहिए। अपने मन को अपने भीतर आत्मा की ओर उन्मुख करने का प्रयास ध्यान है। शुरुआत में अपने मन को एक विशिष्ट वस्तु अथवा स्थान पर केंद्रित करने का अभ्यास करें। मन ही मन एक मंत्र का जाप करते रहें।
- अंतिम अवस्था: ध्यान की अवस्था में बने रहें और मंत्र का जाप जारी रखें। कुछ समय के पश्चात धीरे से अपनी आंखें खोलें। शांति के साथ बैठें और अपने शरीर और मन के अनुभवों को अनुमान करें।
अगर आप क्रियायोग का अभ्यास करना चाहते हैं, तो इसके नियम- विधि ठीक तरह से समझ लें। आपको पूरी प्रक्रिया का समुचित ज्ञान होना चाहिए। और इसे सही तरीके से करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही नियमित रूप से एवम् निरंतर अभ्यास करना चाहिए। क्रिया योग के अभ्यास के समय स्वयं को शांत रखें। पूरी अवधि में मौन रहने का प्रयास करें, इससे शांति का अनुभव प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
इन सभी चरणों का पालन करने से क्रिया योग का अभ्यास सम्पन्न होता है। ध्यान रखें कि यह एक व्यायाम की तरह नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है। जो आपकी आत्मा के साथ साक्षात्कार करने और समरसता प्राप्त करने में करता है। अंत में यह कहना चाहूंगा कि किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही इस प्रक्रिया का अभ्यास करना शुरू करें। क्योंकि किसी भी तरह की अनियमितता से हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। यह आलेख केवल क्रियायोग के महत्व और इसके विधि से अवगत कराने के लिए लिखी गई है।
क्रियायोग एक सक्रिय और शक्तिशाली योग है, जो आपके शरीर एवम् मन को संतुलित कर आत्माभिमुख करने में सहायक है। एक विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में इसका नियमित रूप से अभ्यास करने से आप अपने शरीर की ऊर्जा बढ़ा सकते हैं। मानसिक तनाव को कम कर सकते हैं, और अपने जीवन को सकारात्मक बना सकते हैं।