भरोसा का अर्थ क्या है?
भरोसा यानि आसरा या यूं कहें कि आशा का आधार, यह मन की एक स्थिति है। किसी को आधार मानकर उस पर आधारित हो जाना ही भरोसा है। अब प्रश्न यह है कि हम किसी को कैसे आधार मान लें …
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भरोसा यानि आसरा या यूं कहें कि आशा का आधार, यह मन की एक स्थिति है। किसी को आधार मानकर उस पर आधारित हो जाना ही भरोसा है। अब प्रश्न यह है कि हम किसी को कैसे आधार मान लें …
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क्षमा का क्या अर्थ होता है ! क्षमा का अर्थ है ; अगर कोई आपके प्रति किसी प्रकार का अपराध करे तो आपके मन में उसके प्रति क्रोध को शांत कर लेना। क्षमा शब्द क्षम का अपभ्रंश है, जिससे एक और शब्द क्षमता भी बना है। क्षमता का अभिप्राय शक्ति है, बल से है। वास्तविक
क्षमा का क्या महत्व है? — The Importance of Forgiveness Read More »
समय का अर्थ और उपयोगिता..! समय को किसी एक मापदंड के अनुसार परिभाषित नहीं किया जा सकता। यह एक सामान्य शब्द है, किन्तु इसका आशय अपरिमित है। यह एक अवधारणा है, दो लगातार घटनाओं के घटित होने के बीच के अंतराल को समय समझा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक भौतिक त्तत्व है। यह
समय के महत्व की जानकारी — The Importance of Time Read More »
सामान्य शब्दों में आत्मनिर्भरता अपने सामर्थ्य पर जीवन-यापन करने की अवस्था है। अधिकांशतः आर्थिक रूप से समर्थ व्यक्ति को ही आत्मनिर्भर समझा जाता है। परन्तु ऐसा नहीं है, वास्तव में यह स्वयं पर पूर्ण रुप से निर्भर होने की अवस्था है। मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक क्षमता को धारण किए विना कोई पूर्ण रुप से आत्मनिर्भर
आत्मनिर्भरता का अर्थ — Read More »
वेदना का यथार्थ चित्रण ! सामान्यत: वेदना का अर्थ है दर्द, पीड़ा, व्यथा। यह एक ऐसा मनोभाव है, जो उग्र शारिरीक अथवा मानसिक पीड़ा के कारण उत्पन्न होता है। अगर इस कष्टदायक अवस्था से स्वयं गुजरना पड़े तो यह वेदना है। पर किसी दुसरे को पीड़ा में देखकर यह संवेदना में बदल जाता है। संवेदना
वेदना का अर्थ क्या है? — What is the Meaning of Anguish? Read More »
परोपकार का अर्थ क्या है ! पर और उपकार, इन दो शब्दों का मेंल है परोपकार। पर यानि दुसरो के लिए और उपकार का अर्थ होता है भलाई करना। इस प्रकार परोपकार का शाब्दिक अर्थ हुवा दुसरों का भला करना। दार्शनिक दृष्टि से परोपकार का अर्थ व्यापक हो जाता है ! यह जो परहित है,
परोपकार दिल से — Charity from Heart Read More »
दिल की बात’ दिल से..! ऐसा सुनने में आता है, कि ‘दिल की बात’ दिल की धड़कनें तेज बतलाती हैं। दिल शब्द हदय का पर्याय है, अंग्रेजी में इसे Heart कहते हैं। यह दो रुपों में प्रगट होता है। इसका एक रुप भौतिक और दुसरा भावनात्मक होता है। स्थुल रुप में यह शरीर का एक
दिल की बात सुनो — Listen To Your Heart Read More »
सफलता और विफलता कर्ता का मनोभाव है, जो उसके इच्छाओं, कामनाओं से उत्पन्न होती है। सफलता या कामयाबी से आशय है सफल होने का भाव। यह सफल शब्द का विशेषण है। सफल यानि फल से युक्त, कामना से युक्त। व्यक्ति की कामयाबी उसकी इच्छाओं के पुर्ण होने की स्थिति है। जब व्यक्ति अपनी कामनाओं की
सफलता और विफलता — Success and Failure Read More »
आज के बच्चे कल के पिता हैं ! बच्चे बहुत प्यारे होते हैं। नटखट होते हैं, पर उनका मन बिल्कुल साफ होता है। इनका मन खाली बर्तन के समान होता है। खाली बर्तनों में जो चाहो भर दो, वैसे ही होता है बच्चों का मन। क्या अच्छा है और क्या बुरा उन्हें इसका ज्ञान नहीं
बच्चे मन के सच्चे — Bachche Man Ke Sachche Read More »
‘गुरु’ को परिभाषित करना सरल नहीं है। संत कबीरदास ने कहा है; कि सात समन्दरों के जल को स्याही बना दी जाय, सभी वृक्षों को कलम बना दिया जाय, समुचे धरा को कागज बना दिया जाय तब भी इनकी महिमा को लिखा नहीं जा सकता है। सात समद की मसि करो लेखनी सब बनाई। धरती
गुरु की महिमा — Glory of The Guru Read More »
रिश्ते समझदारी से बनते हैं ! रिश्ते; अर्थात् व्यक्तियों के बीच आपस में होने वाले लगाव, संबंध या संपर्क। यह व्यक्तियों में होने वाला पारस्परिक संबंध है। यह ऐसा संबंध है जो एक ही कुल में जन्म लेने अथवा विवाह आदि करने से होता है। कुछ रिश्ते व्यक्ति के जन्म लेने के साथ ही बन
रिश्ते-नाते क्या होते हैं? — What Are Relationships? Read More »